अल्पसंख्या के आधारपर विखंडित भारत के समक्ष देश का स्वामित्व रखनेवाला हिन्दू अल्पसंख्यक होने का जो संकट खड़ा है उसके लिए सभी राजनितिक संगठनो की हिन्दू विश्वासघात की नेहरु-पटेल के साथ प्रतिबध्दता का दुष्परिणाम है।राष्ट्रीयता में विषमता,ब्रिटिश सरकार की देन थी और उसके लिए १९३५ का संविधान कम्युनल अवॉर्ड बनाया गया था। विभाजनोत्तर सभी राजनितिक दलों की आवश्यकता राष्ट्रीयता में विषमता बन गयी है।
आजकल एक ट्रेंड चल रहा है अविवाहित, कथित हिन्दू,हिन्दुओ को कितने बच्चे पैदा करने है वह उपदेश दे रहे है।
२००१-२०११ जनगणना के अनुसार मुस्लिम जनसँख्या २४.६० % बढ़ी वही हिन्दू १६.७६ % बढ़ी। तुलनात्मक दृष्टया २९.५२ % तेजी से मुस्लिम जनसँख्या वृध्दी हुई है। जो,अखण्ड पाकिस्तान का राजमार्ग बनेगा। इसलिए इस जनसँख्या वृध्दी पर चिंतित नेता हिन्दुओ को ज्यादा बच्चे पैदा करने का मार्गदर्शन कर रहे है। आज तक टी व्ही चैनल पर ऊपरवाला देख रहा है दिनांक २३ अप्रेल २०१६ रात १० बजे कार्यक्रम चल रहा था। इसमें भाजप-विहिंप के नेता कॉमन सिव्हिल कोड तक आकर रुक रहे थे। ठोस कारन बताया नहीं जा रहा था। वह संदर्भ दे रहे है -
*श्री.शंकर शरण जी ने दैनिक जागरण २३ फरवरी २००३ में लिखे लेख पर एक पत्रक हिंदू महासभा के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय श्री.जगदीश प्रसाद गुप्ता,खुर्शेद बाग,विष्णु नगर,लक्ष्मणपुरी (लखनौ) ने प्रकाशित किया था। १८९१ ब्रिटीश भारत सरकार के जनगणना आयुक्त ओ.डोनेल के सर्वेक्षण अनुसार ६२० वर्ष में हिंदू जनसंख्या विश्व से नष्ट होगी।सन १९०९ में कर्नल यु.एन.मुखर्जी ने १८८१ से १९०१, ३ जनगणना के नुसार ४२० वर्ष में हिंदू नष्ट होंगे ! ऐसा भविष्य व्यक्त किया था।१९९३ में एन.भंडारे,एल.फर्नांडीस,एम.जैन ने ३१६ वर्ष में खंडित भारत में हिंदू अल्पसंख्यक होंगे ऐसा भविष्य बताया है।१९९५ रफिक झकेरिया ने अपनी पुस्तक द वाईडेनिंग डीवाईड में ३६५ वर्ष में हिंदू अल्पसंख्यांक होंगे ! ऐसा कहा है। परंतु,कुछ मुस्लीम नेताओ के कथानानुसार १८ वर्ष में (अर्थात २००३+१८=२०२१ में ?) हिंदू (पूर्व अछूत-दलित-सिक्ख-जैन-बौध्द-शैव-वैष्णव भी) अल्पसंख्यांक होंगे !
शुध्दिकरण आग्रा से आरंभ हुआ तो,विहिंप-भाजप ने कन्नी कांट दी !
अब इसका प्रतिकारात्मक उत्तर तिन/चार हिन्दू के बच्चे या समान नागरिकता के अनुसार ? बहुपत्नी-गर्भपात विरोध-परिवार नियोजन इस्लाम में धर्म विरोधी ? समान नागरिकता पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का संविधान विरोधी उत्तर। ऐसे में,पाकिस्तान लेकर भी संविधान का विरोध करनेवालों की राष्ट्रीयता समाप्त करने का निर्णय लेना नितांत आवश्यक हो गया है !
इस्लाम का इतिहास,२२ मई ७१२ सिंध नरेश दाहिर पर इस्लामी सैनिक एवं गद्दार द्वीप नौकायन करनेवाले बसैया हिन्दू की सहायता से मोहम्मद बिन कासिम ने विजय पाई।मीम के सांसद-विधायक भाई की मुस्लिम आक्रमण को सहायता करने की खुली धमकी,भारतमाता की जय नहीं कहूंगा ! पर गृह मंत्रालय ने अब तक क्या कार्यवाही की ? लव्ह जिहाद की गृहमंत्री को कोई जानकारी नहीं ऐसे सिध्द होता है। वहीं लव्ह जिहाद के विरुध्द बोलनेवाले हिंदुत्ववादी नेता-सांसद को भाजप का चेहरा न मानना स्पष्ट करता है कि,भाजप देशद्रोहियों की बढती जनसंख्या-आतंकी राष्ट्रद्रोही गतिविधी-खुली धमकियों को सामान्य कहकर अखंड पाकिस्तान की कांग्रेस नीति को ही आगे बढ़ा रही है।
अखंड भारत विभाजन पश्चात् लाहोर से प्रकाशित मुस्लिम पत्र 'लिजट' में अलीगढ विद्यालय के प्रा.कमरुद्दीन खान का एक पत्र प्रकाशित हुवा था। जिसका उल्लेख पुणे के दैनिक ' मराठा ' और दिल्ली के "ओर्गनायजर" में २१ अगस्त १९४७ को छपा था। सरकार के पास इसका रेकॉर्ड है।" अखंड भारत विभाजन का सावरकरजी पर आरोप लगानेवाले देखें,देश बट जाने के पश्चात् भी शेष भारत पर भी मुसलमानों की गिध्द दृष्टी किस प्रकार लगी हुई है ! लेख में छपा था चारो ओर से घिरा मुस्लिम राज्य इसलिए समय आनेपर हिन्दुस्थान को जीतना बहुत सरल होगा।"
कमरुद्दीन खा अपनी योजना को लेख में लिखते है, " इस बात से यह नग्न रूप में प्रकट है की ५ करोड़ मुसलमानों को जिन्हें पाकिस्तान बन जाने पर भी हिन्दुस्थान में रहने के लिए मजबूर किया है , उन्हें अपनी आझादी के लिए एक दूसरी लडाई लड़नी पड़ेगी और जब यह संघर्ष आरम्भ होगा ,तब यह स्पष्ट होगा की,हिन्दुस्थान के पूर्वी और पश्चिमी सीमा प्रान्त में पाकिस्तान की भौगोलिक और राजनितिक स्थिति हमारे लिए भारी हित की चीज होगी और इसमें जरा भी संदेह नहीं है की,इस उद्देश्य के लिए दुनिया भर के मुसलमानों से सहयोग प्राप्त किया जा सकता है. " उसके लिए चार उपाय है।
१)हिन्दुओ की वर्ण व्यवस्था की कमजोरी से फायदा उठाकर ५ करोड़ अछूतों को हजम करके मुसलमानों की जनसँख्या को हिन्दुस्थान में बढ़ाना।
२)हिन्दू के प्रान्तों की राजनितिक महत्त्व के स्थानों पर मुसलमान अपनी आबादी को केन्द्रीभूत करे। उदाहरण के लिए संयुक्त प्रान्त के मुसलमान पश्चिम भाग में अधिक आकर उसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र बना सकते है.बिहार के मुसलमान पुर्णिया में केन्द्रित होकर फिर पूर्वी पाकिस्तान में मिल जाये।
३)पाकिस्तान के निकटतम संपर्क बनाये रखना और उसी के निर्देशों के अनुसार कार्य करना।
४) अलीगढ मुस्लिम विद्यालय AMU जैसी मुस्लिम संस्थाए संसार भर के मुसलमानों के लिए मुस्लिम हितो का केंद्र बनाया जाये।
६ दिसंबर १९९२ को न्यायालय संरक्षित श्रीराम जन्मस्थान मंदिर को बाबर का कलंक लगाकर ध्वस्त करने के पश्चात दूसरे खिलाफत का आरंभ हुआ है।राष्ट्रद्रोही संगठित हुए। १९९३ मुंबई ब्लास्ट के पश्चात ७ अगस्त १९९४ लंदन में,"विश्व इस्लामी संमेलन" संपन्न हुआ। वेटिकन की धर्मसत्ता के आधारपर "निजाम का खलीफा" की स्थापना और इस्लामी राष्ट्रों का एकीकरण इस प्रस्ताव पर सहमती बनी।(संदर्भ २६ अगस्त १९९४ अमर उजाला लेखक शमशाद इलाही अंसारी) इसके लिए न्यायालय संरक्षित-शिलान्यासित श्रीराम जन्मस्थान मंदिर को बाबर का कलंक लगाकर ध्वस्त करनेवाली भाजप जिम्मेदार है।
यु.एस.न्यूज एंड वल्ड रिपोर्ट इस अमेरिकन साप्ताहिक के संपादक मोर्टीमर बी.झुकर्मेन ने २६/११ मुंबई हमले के पश्चात् जॉर्डन के अम्मान में मुस्लीम ब्रदरहूड संगठन के कट्टरवादी ७ नेताओ की बैठक सम्पन्न होने तथा पत्रकार परिषद का वृतांत प्रकाशित किया था।ब्रिटीश व अमेरिकन पत्रकारो ने उनकी भेट की और आनेवाले दिनों में उनकी क्या योजना है ? जानने का प्रयास किया था। 'उनका लक्ष केवल बॉम्ब विस्फोट तक सिमित नहीं है, उन्हें उस देश की सरकार गिराना , अस्थिरता-अराजकता पैदा करना प्रमुख लक्ष है।' झुकरमेन आगे लिखते है ,' अभी इस्त्रायल और फिलिस्तीनी युध्द्जन्य स्थिति है। कुछ वर्ष पूर्व मुस्लीम नेता फिलीस्तीन का समर्थन कर इस्त्रायल के विरुध्द आग उगलते थे।अब कहते है हमें केवल यहुदियोंसे लड़ना नहीं अपितु, दुनिया की वह सर्व भूमी स्पेन-हिन्दुस्थान समेत पुनः प्राप्त करनी है,जो कभी मुसलमानो के कब्जे में थी।' पत्रकारो ने पूछा कैसे ? ' धीरज रखिये हमारा निशाना चूंक न जाये ! हमें एकेक कदम आगे बढ़ाना है। हम उन सभी शक्तियोंसे लड़ने के लिए तयार है जो हमारे रस्ते में रोड़ा बने है !' ९/११ संदर्भ के प्रश्न को हसकर टाल दिया.परन्तु, 'बॉम्ब ब्लास्ट को सामान्य घटना कहते हुए इस्लामी बॉम्ब का धमाका होगा तब दुनिया हमारी ताकद को पहचानेगी. ' कहा. झुकरमेन के अनुसार," २६/११ मुंबई हमले के पीछे ९/११ के ही सूत्रधार कार्यरत थे।चेहरे भले ही भिन्न होंगे परंतु, वह सभी उस शृंखला के एकेक मणी है।" मुस्लिम राष्ट्रो में चल रहे सत्ता परिवर्तन संघर्ष इस हि षड्यंत्र का अंग है।
जमात ए इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी हिन्दू वर्ल्ड के पृष्ठ २४ पर स्पष्ट कहते है कि, " इस्लाम और राष्ट्रीयता कि भावना और उद्देश्य एक दुसरे के विपरीत है। जहा राष्ट्रप्रेम कि भावना जागृत होगी , वहा इस्लाम का विकास नहीं होगा। राष्ट्रीयता को नष्ट करना ही इस्लाम का उद्देश्य है।" यह हमारे राजनेताओ के समझ में नहीं आ रहा है ?
३१ जुलाई १९८६ देहली के मेट्रो पोलीटिन कोर्ट ने हिंदू महासभा नेताओ की मांगपर उन २४ आयातो को विघातक,विद्वेषक,घृणा फैलानेवाली माना है।उनको जब तक कुराण से निकाला नहीं जाता,एल.जी.वेल्स अपनी पुस्तक विश्व इतिहास की रुपरेखा में लिखते है," जब तक दिव्य ग्रंथ का अस्तित्व है अरब राष्ट्र सभ्य राष्ट्रो की पंक्ती में बैठने के लायक नही है !"इसलिए ईसिस या आई एस आई या एल ई टी या अल कायदा विभिन्न नामो से चल रहे मुस्लिम ब्रदरहुड के वैश्विक कार्यकलापों को देखकर विभाजनोत्तर भारत के स्वामियों की सुरक्षा के लिए मुस्लिम जनसँख्या का बढ़ना,लव्ह जिहाद,भूमि जिहाद हानिकारक है। इनकी नागरिकता समाप्त किये बिना संविधान का अनुपालन और समान नागरिकता का स्वीकार नहीं करेंगे !
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