Sunday 17 June 2012

For Naitionalist Voter's

राष्ट्रीय मतदार बंधू बहनों,
          देश विभाजन पश्चात् खंडित हिन्दुस्थान को अखंड पाकिस्तान बनाने के षड्यंत्र में लगे राष्ट्रद्रोही वक्तव्य हमने-आपने बारबार सुने पढ़े है।फिर भी सत्ताधारी उन्हें सत्ता साझेदार समझते है।देश के संविधान ने सभी को समान  नागरिकता में पिरोया है परन्तु,राजनितिक लाभ के लिए राष्ट्रीयता में विषमता फैलाई गयी है।देश की जनता जाती-पंथ-भाषा-प्रांत-लिंग भेद में विघटित होने के कारण विघटनवादी-आतंकवादी-राष्ट्रद्रोही अराष्ट्रीय जनता के विरुध्द संगठित नहीं है।धर्म निरपेक्षता की बात करनेवाले समान नागरिकता के लिए तयार नहीं, सांप्रदायिक-जातीयवादी कही जानेवाली हिन्दू महासभा 1985 से समान नागरिकता का आग्रह कर रही है।हिन्दू महासभा आपको वचन देती है राष्ट्रीयता में राजनितिक लाभ के लिए फैलाई विषमता नष्ट करेंगे,जिन्हें मान्य नहीं उनकी राष्ट्रीयता नष्ट कर सभी अधिकार निकालकर देश निकाला कर देंगे। घुसपैठियों को तत्काल बाहर का रास्ता दिखाया जायेगा।आपके हाथ में राज्यक्रांति का निर्णय लेने का अवसर आता है और आप जाती-पक्ष  के प्रत्याशी को चुनकर भेज देते है, योग्य अयोग्य का विचार नहीं किया जाता; संसद-विधानसभा-नगर पालिका-पंचायत में हमारे धनी बन बैठे हमारे प्रतिनिधि प्रचंड भ्रष्टाचार में लिप्त होकर दबंग बन जाता है तब आँख खुलती है।प्रसार माध्यम हमें सहाय्यक नहीं होंगे,हमारे निष्ठावान प्रत्याशी प्रचार-जनसभा में क्षमता से अधिक खर्चा नहीं कर पाएंगे,उनके लिए आप को ही आयोजन खर्च या चंदा (फंड) की व्यवस्था करनी होगी, आपके लिए आपका चुना हुवा प्रतिनिधि एकमत से स्वीकार किया जायेगा। आगामी लोकसभा "हिन्दू संसद" समान नागरिकता के लिए होगी।हम सर्व दलीय हिन्दू संसद के पक्ष में है,आयेंगे उनके लिए द्वार खुले रखकर  विरोध करेंगे उनके विरुध्द आपकी सहमति से प्रत्याशी खड़े कर हिंदुत्व विरोधियो का पर्दाफाश करेंगे।
           संसद सत्र में परस्पर लड़कर लोकसभा भंग करनेवाले,अवसरवादी-सत्ता लोलुप-तुष्टीकरण करनेवाले कथित रूप से निधर्मी हिन्दू कैसे होगे ? पद-पैसा-प्रतिष्ठा के लिए पक्षांतर-मतान्तर करनेवाले देश-धर्म-संस्कृति का भय नहीं रखते ऐसे भ्रष्टाचारी प्रत्याशी आगामी चुनावो में बहिष्कृत करे।मत देने अवश्य जाये और अपना अधिकार प्रस्तुत करे।कोई प्रत्याशी योग्य नहीं यह विकल्प के साथ मतदाता को रसीद की व्यवस्था चुनाव आयोग को करनी होगी जो,मतदाता को किसी आवेदन या सुविधा प्राप्ति के लिए प्रतिलिपि जोड़ने की सक्ती की जाएगी।इससे मतदाताओ में जाग्रति और लाभ मिलेंगे।
           विश्व में इस्लामी राज सत्ता स्थापित करने की योजनाए खुलकर प्रकट हुई है ऐसे में ब्रुहोत्तर भारत के अनेक खंड झेल चुके शेष हिन्दुस्थान में अखंड पाकिस्तान की जड़ को सींचना,उन्हें विशेष सुविधा प्रदान करना या अराष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहन देना बंद करना होगा। विश्व इस्लाम के विस्तार में तेल-इंधन की भूमिका महत्त्व पूर्ण बनी है।आतंकवाद के लिए शस्त्र खरीद स्वर्ण-चांदी के ऐवज में हो रही है इसलिए स्वर्ण-चांदी-इंधन तेल की दरो में प्रचंड वृध्दि हुई है।परिणाम स्वरुप 2012 में पडोसी राष्ट्रों में नहीं परन्तु,हिन्दुस्थान में रुपये का प्रचंड अवमूल्यन हुवा है।विदेशो में रखे भ्रष्टाचार के प्राप्त काले धन को छुपाने से भी यह सार्वत्रिक परिणाम संयुक्त रूप से प्रकट हुवा है।धान की प्रचंड पैदावार को सुरक्षित नहीं रखने से कृत्रिम संकट पैदा कर भिगाया सडा धान दारु बनाने भेजने की निति अपनाई जा रही है।ऐसा होते हुए भी बहुसंख्यक जनता मोह में फंसकर हमें जिताएंगे यह उनका विश्वास तोड़ना आप के हाथ में है।
            विदेश निष्ठ या विदेशी नेतृत्व में धनलोभी-लाचार हिन्दू नेता गैर हिन्दू वादी बन गए है।इन नेताओ के माध्यम से हिन्दुओ को आपस में लड़ाकर देश को निर्बल किया जा रहा है।गैर हिन्दुओ को दंगे-धर्मान्तरण के लिए खुली छुट मिल रही है।देश में हिन्दुओ को कुचलने के लिए लक्षित सांप्रदायिक हिंसा विधेयक,पाकिस्तान से भागे राजेन्द्र सच्चर -रंगनाथ मिश्रा की आड़ में शरसंधान किया जा रहा है।आश्रयार्थी जमात को आरक्षण के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव और संविधानिक धारा 44 को लागु करने कोई पहल नहीं हो रही; नाही आम्बेडकर अनुयायी अवमानना समझ रहे है।देश को जागृत होना होगा,हिन्दू महासभा जातिवाद-भेद नहीं मानती।निर्धनता निर्मूलन के लिए कठोरतम प्रयास करने होंगे संविधान संशोधन करना है तो,निर्धन को अस्थायी आरक्षण ; निशुल्क राष्ट्रिय-प्रांतीय शिक्षा आवास-भोजन के सह देने का प्रयास हो।योग्यता के अनुसार नौकरी में प्राथामिकता हो तब ही विदेशो में जानेवाले युवको की संख्या में कमी आएगी।
            राष्ट्रिय मतदाताओ,गत अनेक वर्ष चुनावो में हिन्दुत्ववादियो को अपेक्षित मतदान नहीं मिला। छुत-अछूत नहीं माननेवाली समान नागरिकता की पक्षधर हिन्दू महासभा को अछूत,जातीयवादी,सांप्रदायिक बनाया गया।फिर भी हमने हिन्दू हित के लिए सब कुछ सहा,सत्ता-धन के लिए समझौते नहीं किये।जिन्हें आप ने भोले मन या स्वार्थ रखकर मत दिया उन्होंने देश को किस स्थिति में लाकर खड़ा किया है वह आप देख रहे हो।सतत विघटनवाद-लव जिहाद-धर्मान्तरण में निमग्न सशस्त्र दंगाईयो को अभिनव भारत-संघ या सनातन संस्था का भय लगता है इसलिए उनपर प्रतिबन्ध की मांग करनेवाली कांग्रेस तथा अल्प संख्यक आयोग निर्माती अलीगढ विद्यापीठ को मान्यता देनेवाली जनता पार्टी,हज यात्रा के लिए देशभर से अनेक स्थान से अधिक सब्सिडी देकर उड्डान करानेवाली-पूजा दर्शन हो रहे शिलान्यसित निर्मोही अखाड़े के श्रीराम जन्मस्थान मंदिर को बाबरी कहकर धन-मत लुत्नेवाली तोड़नेवाली भाजप,समाजवादी,साम्यवादी को मत मत देना।

Friday 8 June 2012

वैश्विक इस्लाम और हिन्दुराष्ट्र की रक्षा सावरकर अपेक्षित १० अगस्त १९४७ हिन्दू संसद !



७ अगस्त १९९४ विश्व इस्लामी संमेलन -लन्दन प्रस्ताव वेटिकन की धर्मसत्ता के आधारपर " निजाम का खलीफा " की स्थापना और इस्लामी राष्ट्रों का एकीकरण उद्देश्य दैनिक अमर उजाला दि.२६ अगस्त १९९४ शमशाद इलाही अंसारी ने प्रकट किये थे के अनुसार, जमात ए इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी ने 'हिन्दू वर्ल्ड' पृ.२४ में लिखा है," इस्लाम और राष्ट्रीयता की भावना और उद्देश्य एक दुसरे के विपरीत है.जहा राष्ट्रप्रेम की भावना होगी,वहा इस्लाम का विकास नहीं होगा.राष्ट्रीयता को नष्ट करना ही इस्लाम का उद्देश है."

               U.S.News & World Report नमक अमेरिकी साप्ताहिक के प्रधान संपादक मोर्टीमर बी. झुकरमेन ने कहा है, " मुस्लिम ब्रदरहुड " के ७ कट्टरवादी नेताओ ने २६/११ पश्चात् अम्मान-जोर्डन में बैठक आयोजित की थी.इस बैठक के पश्चात् उन्होंने पत्रकार परिषद् भी संबोधित की थी.उनका लक्ष केवल धमाको तक सिमित नहीं है.देश की सरकार गिरे जनता का मनोबल गिरे,खिलाफत के लिए सडको पर उतरे यही उनका उद्देश है." मुस्लिम ब्रदर हुड के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए झुकरमेन लिखते है, ' वर्षो पूर्व मुस्लिम नेता फलिस्तीन की बात किया करते थे.इस्त्रायल का विरोध करते थे.उसके  पीछे यहूदियों से ही लड़ना नहीं था.विश्व की भू सत्ता का उद्देश था.जहा स्पेन-हिन्दुस्थान में कभी मुस्लिम राज्य था उसपर कब्ज़ा करना है.' पत्रकारों ने पूछा कैसे ? तब कहा था, ' धीरज रखिये !हमारा निशाना चुक न जाये इसलिए हम एक एक करके मंजिल प्राप्त करना चाहते है.हम उन ताकदो से लड़ना चाहते है जो रूकावटे है. ..... जब इस्लामी धमाका होगा तब दुनिया हमारी ताकद देखेगी. .... दुनिया में इस्लामी राज बहुत ही निकट है."

              इस्लामी पुरातनवादीयो की विशेषता यह है की वह मुस्लिम राष्ट्रों को भी नहीं छोड़ते.शरियत का राज स्थापित नहीं करता, विश्व इस्लामी साम्राज्य स्थापित करने में सहाय्यता नहीं करता उसे भी माफ़ नहीं करते.इजिप्त,काहिरा आदि अरबी गण राज्य हो या अफगानिस्तान-पाकिस्तान-बंगला जहा मुस्लिम राष्ट है वहा शरियत राज लागु करना उनका उद्देश है.वहा के अल्प संख्यक अत्याचार-बलात्कार-धर्मान्तरण-अपहरण से त्रस्त है.जहा शिया अल्प संख्य है उनकी भी हत्या हो रही है.परन्तु इस्लाम के नाम यह भेद अब दुय्यम बना है.अल्जेरिया-मोरक्को सुन्नी देश, वहा भी सरकार विरोधी आन्दोलन जारी है.उन्होंने इरान से सम्बन्ध विच्छेद किया है.उनके आपसी विवाद इस्लामी राज का उद्देश समाप्त करेगा ! इस भ्रांत कल्पना में अमेरिका नहीं है.उसने मक्का-मदीना को हिरोशिमा बनाने की ठान ली है.    रूस ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है.चीन पाकिस्तानी-अफगानी आतंक को कुचलने में कोताही नहीं करता.परन्तु विभाजन का रक्त कभी सुखा नहीं ऐसे खंडित हिन्दुस्थान में अखंड पाकिस्तान की राजनीती को सींचने का कार्य सत्ताधारीयो के साथ मिलकर छद्म हिन्दू करते है तब आश्चर्य होता है.

             १८९१ ब्रिटिश हिन्दुस्थान के जन गणना आयुक्त ओ.डोनोल ने अनुमान लगाया था ६२० वर्ष में हिन्दू जनसँख्या समाप्त हो जाएगी.१९०६ कर्नल यु.एन.मुखर्जी ने भविष्यवाणी की थी की,हिन्दुओ को लुप्त होने में ४२० वर्ष ही लगेंगे.१९९३ एन.भंडारे,एल.फर्नांडिस और एम्.जैन ने ३१६ वर्ष में मुस्लिम बहुसंख्य हो जाने के संकेत दे रहे है.१९९५ रफ़ीक झकेरिया लिखते है ३६५ वर्ष में मुस्लिम बहुल होगा खंडित हिन्दुस्थान.जब की कुछ मुस्लिम नेता आगामी १८ वर्ष में सब कुछ समाप्त हो जाने की बात करते है.फिर भी हिन्दुओ में असुरक्षा की भावना नहीं है ? धर्म निरपेक्षता का भुत बुध्दिजीवी उतरने नहीं देते. फिर समान नागरिकता के लिए प्रामाणिक क्यों नहीं ?सावरकरजी ने अखंड हिन्दुस्थान का दिया संकल्प हो या हिन्दुराष्ट्र तथा समान नागरिकता का अधिकार कथित हिन्दुओ ने नेहरू के चरणों में रखा है.आरक्षण से उपजी विषमता है. इसलिए,भविष्यत् चुनाव में सभी दलोंके हिन्दू मिलकर " हिन्दू संसद " को बलवान करे !

               नेहरू के अखंड हिन्दुस्थान के वचन और वीर सावरकरजी के प्रति इर्षा के कारन १९४५-४६ चुनाव में गोलवलकर गुरूजी ने  कांग्रेस का खुला समर्थन किया,संघ के हिन्दू महासभानिष्ठ प्रत्याशियों ने संघ नेतृत्व का आदेश मानकर अंतिम क्षण नामांकन वापस लिया और संघ के समर्थन के कारण ही कांग्रेस-मु.लीग बहुमत में आई और हिन्दू महासभा को १६% मतदान मिला. हिन्दू पक्ष की ओर से कांग्रेस ने विभाजन करार पर हस्ताक्षर किये.विभाजन की पार्श्वभूमी पर दिनांक १० अगस्त १९४७ को हिन्दू परिषद् ,हिन्दू महासभा भवन , मंदिर मार्ग,नई दिल्ली-१ अखिल भारत हिन्दू महासभा पूर्व राष्ट्रिय अध्यक्ष स्वा.वीर सावरकरजी की अध्यक्षता में संपन्न हुई ; सावरकर जी ने कहा," अब निवेदन,प्रस्ताव,विनती नहीं !अब प्रत्यक्ष कृति का समय है. " सर्व पक्षीय हिन्दुओंको हिन्दुस्थान को पुनः अखंड बनाने के कार्य में लग जाना चाहिए." रक्तपात टालने के लिए हमने पाकिस्तान को मान्यता दी ऐसा नेहरू का युक्तिवाद असत्य है.इससे रक्तपात तो टलनेवाला नहीं है परन्तु,फिरसे रक्तपात की धमकिया देकर अपनी मांगे रखते रहेंगे.उसका "अभी प्रतिबन्ध नहीं किया तो इस देश में १४ पाकिस्तान" हुए बिना नहीं रहेंगे.उनकी ऐसी मांगो को "जैसे को तैसा" उत्तर देकर नष्ट करना होगा.रक्तपात से भयभीत होकर नहीं चलेगा.इसलिए " हिन्दुओंको पक्ष भेद भूलकर संगठित होकर सामर्थ्य" संपादन करना चाहिए और देश विभाजन नष्ट करना चाहिए ! " कहा.

विद्यमान परिस्थिति में, विश्व इस्लाम की धन सत्ता इंधन तेल,स्वर्ण-रौप्य पर केन्द्रित है इस ही लिए महँगी भी हुई है.हम राष्ट्रप्रेमी जबतक अपनी आवश्यकताओ को कम नहीं करते उनको आर्थिक सहायता ही होगी और उसे रोकना हमरे हाथ है.

देश की राजनीती अखंड पाकिस्तान की ओर बढ़ रही है,राष्ट्रीयता में विषमता का बिज घोलकर आरक्षण को ढाल बनाकर हिंदुओंकी एकसंघ शक्ति खंडित की जा चुकी है,जातिवाद-भाषा वाद प्रबल है, न्यायालय की सूचना के बाद भी  संविधानिक समान नागरिकता को नकारकर कांग्रेस-भाजप ने जो पाप किया वह भारतीय जनसंघ के निर्माण के समय वीर सावरकरजी ने कांग्रेस -२ कहा था,जो सत्य हुवा है.भाजप के इशारे पर स्वाभिमान पक्ष का निर्माण रोकनेवाले बाबा रामदेव ने देवबंद अधिवेशन में वन्दे मातरम विरोधी प्रस्ताव का मूक समर्थन किया.१२ मई २०१२ को भाजप की भाषा का अपरोक्ष प्रयोगकर अन्य हिन्दू विरोधी दलों की तरह पाकिस्तान ले चुके खंडित हिन्दुस्थान के आश्रयार्थी मुसलमानों को आरक्षण का भाजप प्रस्ताव बाबा ने रखा है. रामदेव इस विषय का अध्ययन करे. देश की वर्तमान स्थिति में वीर सावरकरजी का सन्देश आज भी प्रेरक है. देश हिन्दू राजनीती की प्रतीक्षा कर रहा है.धर्मान्तरितो का दलितत्व अभी समाप्त नहीं हुवा है तो शुध्दिकरण का मार्ग खुला है !

वर्तमान कालखंड में संघ-सभा संयुक्त रूपसे " हिन्दू संसद " निर्माण के लिए हिंदूवादी पक्ष-संगठन की सहाय्यता से अखंड पाकिस्तान के षड्यंत्र को रोक नहीं पाई तो हमें हमारे वीर पुरुषोंके, धर्म रक्षकोंके, धर्माचार्यो ,समाज सुधारकोंके नाम का जयकार करने का भी अधिकार नही रहेगा और उन्होंने जो निःस्वार्थ भूमिका में त्याग-बलीदान-बंदिवास-उपेक्षा झेलकर जो स्वाधीनता प्रदान की है वह निः ष्फल हो जाएगी.हमारा दायित्व है आनेवाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित अखंड हिन्दुराष्ट्र और समानता के लिए " हिन्दू संसद " बनाये !

यह लेख राष्ट्रिय स्तर पर प्रसारित करने में योगदान दीजिये.या हैण्ड बिल छपवाए अपने नाम से नही तो,प्रोत्साहक के रूप में आप हमारे नाम से छपवाए लिखे अखंड हिंदुस्थान या अखंड पाकिस्तान ?

- written by Pramod Pandit Joshi Hindu Mahasabha

Sunday 3 June 2012

गो हत्या और गो मांस भक्षण समर्थन-गाँधी



 गाँधी की अहिंसा मुसलमान को गो हत्या करने और गो मांस भक्षण का पूर्ण समर्थन करती है. 
गाँधी गो हत्या विरोधी थे,यह भ्रम है.अनेक बार गो हत्या का समर्थन कर उसे मुसलमानों का धार्मिक अधिकार माना था, जब की कुराण में मादी पशु हत्या प्रतिबंधित है."धर्म पालन"भाग-२ पृष्ठ १३५ ले.मो.क.गाँधी सस्ता साहित्य मंडल नई दिल्ली के शीर्ष प्रकरण में लिखा है,'गो हत्या बंद करने का मतलब अहिंदुओ के साथ जबरदस्ती करना होगा.' राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद को गो हत्या प्रतिबन्ध के लिए देश से आये पत्रों का उल्लेख कर गाँधी लिखते है," हिन्दुस्थान में गो हत्या रोकने के लिए कोई कानून नहीं बन सकता. हिन्दुओ को गाय का वध करने की मनाई है , इसमें मुझे कोई शक नहीं.मगर जो मेरा धर्म है, वही हिन्दुस्थान में रहने वाले सब लोगो का हो, यह कैसे हो सकता है? इसका मतलब जो लोग हिन्दू नहीं है उनके साथ जबरदस्ती करना होगा. ..... भारतीय यूनियन में अकेले हिन्दू तो है नहीं,यहाँ मुसलमान -ईसाई आदि सभी लोग रहते है.हिन्दुओ का यह कहना की अब हिन्दुस्थान हिन्दुओ की भूमि बन गयी है,बिलकुल गलत है.अतः मै तो यही सलाह दूंगा कि,विधान परिषद् पर इसके लिए जोर न डाला जाये."

मुसलमानों को गो मांस खाने का पूर्ण अधिकार मानते हुए "प्रताप"लाहोर २९ दिसंबर १९२४ के अंक में लिखते है,"मै एक कट्टर सनातनी हूँ परन्तु, एक मुसलमान को अधिकार दूंगा कि यदि उसका विश्वास है तो निःसंदेह वह गाय का मांस खाए.यदि कुराण किसी मुसलमान को गो वध की शिक्षा देता है तो मै कौन हूँ जो उसे जबरदस्ती मना करू.अगर मै ऐसा करूँगा तो अपने मजहब के खंडन का कारन बन जाऊंगा."

- written by Pramod Pandit Joshi Hindu Mahasabha