Monday 25 January 2016

,"मस्जिद को बचाने के लिए गोलिया चलवाई !"मुलायम सिंग

श्रीराम जन्मभूमि स्थित मंदिर पर भाजप-वामपंथी इतिहासकारो ने श्रीराम भक्तो को गुमराह किया तो,शिलान्यास करनेवाले कोंग्रेसियो ने वोट के लिए न्यायालय संरक्षित मंदिर विध्वंस पश्चात ,"बाबरी विध्वंस कमिटी "गठित की।
२०१७ के विधानसभा चुनाव के आते ही भाजप को फिर से एजेंडा जो हिन्दू महासभा के साथ तालमेल कर सात सीट छोड़ने के ऐवज में समाविष्ट कर सीट नहीं छोड़ी तब से भाजप हिन्दुओ को गुमराह कर कभी समाजवादी पार्टी के साथ अभी मीम के साथ हाथ मिलाकर श्रीराम भक्तो की बली चढ़ाती रही है। वास्तव में ,भाजप या संबंधित संगठन न्यायालय में पक्षकार नहीं है। इसलिए ,न्यायालय में न्यायधीश नियुक्ती का षड्यंत्र कर देखा। जबरन भूमि अधिग्रहण के पीछे भाजप का अंतस्त हेतू ,श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर नझुल में श्री पञ्च रामानंदीय निर्मोही आखाड़े के नाम पंजीकृत है। २३ मार्च १५२८ पूर्व से उनका अधिपत्य है।१९९१ भाजप ने सत्ता में आते ही ६७:७७ एकड़ मुख्य भूमि से २:७७ विवादित बनाकर उसे कब्जाने का षड्यंत्र उजागर किया था। अब ६५ + एकड़ भूमि सरकार के माध्यम से कब्जाने का षड्यंत्र है। औरंगजेब के चंगुल से श्रीराम जन्मस्थान मुक्त करने में श्रीराम पुत्र वंश के गुरुश्री गोबिंदसिंग सोढ़ी महाराज ने भी योगदान देकर रामानंदीय निर्मोही आखाड़े को सौपा है। ऑनर श्री पञ्च रामानंदीय निर्मोही आखाडा ही है। 
ऐसे में श्री सुब्रम्हण्यम स्वामी को आगे कर भाजप जो वैकल्पिक प्रयास कर कब्जाना चाह रही है वह केवल रामानंदीय निर्मोही आखाड़े का अधिकार छीनना और पक्षकार हिन्दू महासभा के पक्ष में रहा मुद्दा छीनना मात्र है। रामानंदीय निर्मोही आखाडा इस विवाद को न्यायालय ले गई है और FIR लिखकर मंदिर विध्वंस की शिकायत दी है। ब्रह्मलीन महंत श्री जगन्नाथ दास महाराज ने मंदिर विध्वंस पर दो सौ करोड़ का दावा भाजप तथा मंदिर विध्वंस में सहयोगियों पर 4A में किया है।

हिन्दू महासभा ने स्पष्ट रूप से सर्वोच्च न्यायालय से मांग की है कि ,राम के नाम जमा धन,पत्थर,मौल्यवान धातु और ६७:७७ + एकड़ भूमि अपनी कस्टडी में लेकर मंदिर निर्माण के लिए रिसीव्हर नियुक्त करे। श्री पञ्च रामानंदीय निर्मोही आखाडा अपनी निजी संपत्ती से राष्ट्रिय मुसलमान लोगो को प्रार्थनास्थल बनवाने के लिए भूमि देने के लिए तयार है। यह विकल्प सभी पक्षकारों को स्वीकार है। मात्र छद्महिंदु अपनी राजनितिक दुकान बंद हो जाने के भय से राम नवमी के उपलक्ष में नौटंकी यात्रा करने जा रहे है। हिन्दू महासभा श्रीराम जन्मस्थान मंदिर आंदोलन में बलि का बकरा बने श्रीराम भक्तो के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए ,मुलायम सिंग के साथ हाथ मिलाकर कारसेवको पर गोलिया चलवानेवाले १९५१ पूर्व से हिन्दू राजनीतीघाती देश के हिन्दुओ को गुलाम बनाने के लिए सपा-मीम से हाथ मिला चुकी है।
मुलायम सिंग के ,"मस्जिद को बचाने के लिए गोलिया चलवाई !" इस वक्तव्य की हिन्दू महासभा राष्ट्रिय प्रवक्ता प्रमोद पंडित जोशी ने निंदा करते हुए "न्यायालय संरक्षित ,शिलान्यासित मंदिर को हिन्दू महासभा नेता बिशन चंद सेठ के विरोध के बाद भी भाजप ने बाबरी का कलंक लगाया नहीं होता तो,मुलायम भी गोलिया नहीं चलाते !" ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता जफरयाब जिलानी तक १९८३ तक बाबरी को नहीं जानते थे तो,मुलायम सिंग कैसे जानते है वह मस्जिद थी ? बुक्कल नबाब के वक्तव्य की प्रशंसा करते हुए आझम खान के मंदिर स्विकरोक्ति पर अभिनन्दन किया है। 

Friday 8 January 2016

श्रीराम जन्मस्थान हिन्दुओ का है तो,रामानंदीय निर्मोही आखाड़े को लौटाओ !

प्रेस विज्ञप्ती :- कल्याण दिनांक ८ जनवरी २०१६
विषय :- श्रीराम जन्मस्थान पर मंदिर निर्माण
संदर्भ :- सुब्रह्मण्यम स्वामी द्वारा मंदिर निर्माण पर इस वर्ष के अंत तक का समयावधि घोषित करने पर
माननीय संपादक,पत्रकार महोदय ,
24 दिसंबर 1949 को हिन्दू महासभा-निर्मोही आखाडा के संयुक्त आंदोलन के साथ मंदिर कलंकमुक्त हुआ था। 26 दिसंबर को मंदिर कुर्की के साथ सरकार ने वहा पूजा,दर्शन,भोग,राग की व्यवस्था कर दी थी जो अभी तक चल रही है।
हिन्दू महासभा का राजनितिक जनाधार बढ़ने के भय से नेहरू-पटेल ने गुरु गोलवलकर जी  माध्यम से हिन्दू महासभा में सेंध लगाई। गुरूजी ने पटेल-नेहरू के इशारेपर उत्तर भारत संघ चालक बसंतराव ओक को श्यामाप्रसाद मुखर्जी के पीछे लगाया और जनसंघ का निर्माण हुआ।
तब से जनसंघ-संघ-विहिंप-भाजप मंदिर कब्जे के लिए प्रयत्नशील है।
डॉक्टर स्वामी को ढाल बनाकर भाजप उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए राजनितिक प्रोपोगंडा कर हिन्दू मतों को आकर्षित करने का प्रलोभन दे रही है। वास्तव में भाजप और उनके सहयोगियों का मंदिर विषयक न्यायालयीन विवाद में कोई अंतर्भाव नहीं है। केवल 6 दिसंबर 1992 को मंदिर विध्वंस की FIR और दो सौ करोड़ का हर्जाना रामानंदीय निर्मोही आखाड़े के ब्रह्मलीन महंत श्री जगन्नाथ दास महाराज द्वारा ठोंक कर उसका अंतर्भाव 4A में किया है।
रामानंदीय निर्मोही आखाड़े के पास बाबर का मंदिर विध्वंस का हुकमनामा तथा 14 अगस्त 1941 नझुल फ़ैजाबाद में 583 प्लाट पंजीकृत है तथा 67:77 भूमि के स्वामित्व का लेख उपलब्ध है। 1885 से अपने अधिकार के लिए लड़ रहे है।
अयोध्या आन्दोलक एवं पक्षकार हिन्दू महासभा की राष्ट्रिय कार्यकारिणी ने 2002 प्रस्ताव पारित कर मंदिर एवं परिसर रामानंदीय निर्मोही आखाड़े को लौटाने का संकल्प किया है। जो इसके विपरीत वक्तव्य दे रहे है वह हिन्दू महासभा का कब्ज़ा करने के के लिए भाजप द्वारा छोड़े गए हस्तक है। इसलिए प्रसार माध्यम हिन्दू महासभा-निर्मोही आखाडा के अतिरिक्त अन्य किसी को श्रीराम जन्मस्थान मंदिर के विषय पर बोलने के लिए आमंत्रित न करे !
यह निवेदन है ! Natl.Spokperson Pramod Pandit Joshi +919833113997
साथ में 23 दिसंबर 2015 श्रीराम जन्मभूमि रिसीव्हर,फ़ैजाबाद के द्वारा माननीय मुख्य न्यायाधीश,सर्वोच्च न्यायालय,देहली को भेजा पत्र जोड़ रहे है।