Wednesday 12 December 2012

हाशिम अंसारी की मृत्यु,श्रीराम जन्मभूमि मंदिर संघर्ष या समझौता

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर-रामकोट सम्पूर्ण परिसर 67:77 मंदिर पुनर्निर्माण


श्रीराम जन्मभूमि मंदिर-रामकोट सम्पूर्ण परिसर 67:77 मंदिर पुनर्निर्माण श्रीअयोध्यापुरी

   श्री अयोध्यापुरी का मुख्य परिचय प्रभु श्रीराम जी के जन्मस्थल के रूप में ही विश्वभर में प्रसिध्द है ! चारधाम में से एक इस पवित्रस्थल पर देश-विदेश के यात्री यहाँ श्रीराम जन्मस्थान दर्शन के लिए आते है और उन यात्रियों के आगमन पर ही यहाँ के स्थानीय उद्योग,व्यवसाय,बाजार में मुद्रा आकर अनेक निवासियों का उदरभरण हो रहा है।कल्पना ही नहीं की जा सकती की यहाँ मंदिर न होता तो ? यदि यहाँ सांप्रदायिक सौहार्द के नाम पर श्रीराम जन्मस्थान को लेकर कोई राजनितिक सौदा हुवा तो,सांप्रदायिक अशांति तो फैलेगी ही यात्रियों का आना   भी बंद हो जायेगा।

पक्षकार हाशिम अंसारी की मृत्यु पश्चात् संत मंडली रोने की बात सामने आई थीं। उनकी भर्त्सना करते हुए,पक्षकार हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता प्रमोद पंडित जोशी ने तर्क दिया है कि,"१९४९ हिन्दू महासभा आंदोलन पश्चात् सत्रह राष्ट्रीय मुसलमानो ने न्यायालय में हलफनामा देकर मंदिर का स्विकार किया था।सुलतानपुर के विधायक नाजिम ने कुरान को समझने वालों के नाम पत्रक निकालकर मंदिर लौटाने का विवरण दिया था।हाशिम अंसारी नही चाहते थे राजनीति हो और स्वयं राजनीति के शिकार होते रहे।क्यों नही सत्रह मुसलमानों के साथ गये यह प्रश्न है। हाशिम की म्रृत्यु के साथ जिनकी दुकाने बंद हुई वह बिलख बिलख कर रोएं,इनका राम जन्मभुमी से श्रद्धाभाव के अतिरिक्त स्वामित्व का कोई अधिकार नहीं है।
सिहंस्थ कुंभ में रामानंदीय साधु-संतों ने श्रीराम जन्मभुमी मंदिर-परिसर श्री पंच रामानंदिय निर्मोही आखाडे की है।यह कहकर मोदी सरकार का हस्तक्षेप नकारा था।अयोध्या में राम मंदिर बनने की तारिख घोषणा कर दी है । उन्होंने ऐलान किया है कि 77 एकड़ की जमीन पर राम मंदिर के निर्माण का कार्य इस साल 9 नवंबर से चार सिंहद्वार के साथ शुरू हो जाएगा ।
भाजप ने भी न्यायालय संरक्षित,शिलान्यासित मंदिर को बाबरी कहकर हाशिम अंसारी को पुनर्जिवीत किया था।उसने कहा है कि मस्जिद को तो तोड़ ही दिया गया है, लेकिन अगर मंदिर बनाने की कोशिश हुई तो मंदिर तो बना लोगे लेकिन मुल्क तबाह और बर्बाद हो जाएगा ।यह कहना सांप्रदायिक उन्माद को उकसानेवाला क्यों नहीं कहा गया,प्रश्न शेष।
संदर्भ-http://i2.wp.com/lokbharat.com/wp-content/uploads/2016/04/hashimansari.jpg?w=700

हाशिम असारी की मृत्यु पश्चात् उनका लडका व्यापारी संतों और सुन्नी वक्फ बोर्ड का प्यादा बनकर रहेगा।संदर्भ-इस्लामी दुनिया दिनांक 20 जुलाई 2016


 * पर्शियन ग्रन्थ हदिका ए शहादा के लेखक मिर्झाजान ने सन 1856 में पृष्ठ 7 पर लिखा है,"अयोध्या,मथुरा,वाराणसी में हिन्दुओ की आस्था जुडी हुई है।जिन्हें बाबर के आदेश से ध्वस्त करके मस्जिदे बनाई गयी।"
* ऑस्ट्रेलियन मिशनरी जोसेफ टायफेंथालेर सन 1766-71 के बिच यहाँ घूमकर वापस लौटा तब 1785 में हिस्ट्री एंड जिओग्राफी इंडिया ग्रन्थ लिखा उसके पृष्ठ 235-254 पर लिखा है,"बाबर ने राम जन्मभूमि स्थित मंदिर ध्वस्त कर मस्जिद बनायीं,उसमे मंदिर के स्तंभों का प्रयोग किया गया है।मुसलमानों के विरोध के पश्चात् भी हिन्दू वहा पूजा अर्चना के लिए आते है।इस परिसर में राम का पालना (राम चबुतरा) पर परिक्रमा  की जाती है।देश के कोने कोने से यात्री आकर यहाँ धूमधाम से उत्सव मानते है।"
* हिस्टोरिकल स्केच ऑफ़ फ़ैजाबाद के ले.कार्नेजी सन 1870 में लिखते है,"राम जन्म मंदिर में काले पत्थर के वजनदार स्तम्भ थे।उनपर सुन्दर नक्काशिकाम किया गया था।उन्हें मंदिर गिराए जाने के पश्चात् मस्जिद में लगाया गया।" अनेक मुस्लिम विद्वानों के अनेक प्रमाण ग्रन्थ में समान विचार है।
        श्रीराम जी का जन्म अयोध्यापुरी में इक्ष्वाकु कुल के रघुकुल में हुवा।शरयु उनकी साक्ष है।इक्ष्वाकु कुल के लिच्छवी कुल में जन्मे महात्मा बुध्द अयोध्या आये थे उसका साक्षी दंतधावन कुंड है।श्रीराम पुत्र वंश के श्री गुरु नानकदेव बेदी यहाँ दर्शन स्नान करने आये थे।श्रीराम पुत्र वंश के श्री गुरु गोबिंदसिंग जी सोढ़ी महाराज मंदिर मुक्त करने निर्मोही आखाडा के महंत श्री वैष्णवदास महाराज के आग्रह पर आये थे।अयोध्या में जन्मे चार तीर्थंकर भी इक्ष्वाकु कुल दीपक रहे है।
        23 मार्च 1528 (खैर बकी) को मीर बांकी ने बाबर के इशारे पर श्री निर्मोही आखाडा-रामघाट के पुजारी श्री श्यामानंद जी का शिर कांटकर मंदिर प्रवेश किया और मुर्तिया न मिलने पर तोप से मंदिर ध्वस्त किया।दो वर्ष चले युध्द में महताब सिंग भीटी,रणविजय सिंग,देवीदीन पांडेय,स्वामी महेशानंद और जयराज कुमारी ने बलिदान दिया।1556 से 1606 के बिच 20 बार लड़कर स्वामी बलरामाचार्य जी ने मंदिर पर कब्ज़ा बनाये रखा।ओरंगजेब के कार्यकाल में 30 बार लड़कर मंदिर कब्जाया उनमे श्री गुरु गोबिंदसिंग जी भी एक थे।कुंवर गोपालसिंग,ठा जगदम्बा सिंग-गजराज सिंग जी ने भी प्रचंड योगदान देकर मंदिर कब्जे दिया।नबाब सआदत अली के कार्यकाल में अमेटी के गुरुदत्त सिंग,पिपरा के राजकुमार सिंग ने मंदिर मुक्त कर निर्मोही सौपा।नासिर उद्दीन हैदर के कार्यकाल में मकरही नरेश ने मंदिर अस्तित्व बनाये रखा।वाजिद अली शाह के कार्यकाल में निर्मोही आखाड़े के बाबा उध्दवदास महाराज और रामचरण दास महाराज जी ने गोंडा नरेश की सहायता से लड़कर मंदिर मुक्त करवाया।31 मई 1855 को बहादुर शाह जफ़र के नेतृत्व में ब्रिटिश सरकार के विद्रोह में हरिद्वार के कुम्भ में स्वामी पूर्णानंद महाराज ने शंखनाद किया तब आमिर अली की मध्यस्तता में वाजिद अली ने बाबा रामचरण दास जी से समझौता कर मंदिर की मान्यता मान ली।ब्रिटिश सरकार ने बाबा और अली को फांसी दी और वाजिद अली को पकड कर ले गए।वाजिद अली के द्वारा नियुक्त व्यवस्थापक मौलवी अब्दुल करीम " गुम इश्ते हालात ए अयोध्या" में लिखते है,राम जन्मस्थान,सीता रसोई गिराकर मस्जिद बनवाई गई थी !
       ब्रिटिश सरकार के उकसावे पर मो.अजगर ने जन्मस्थान मंदिर की दिवार में दरवाजा बनाने को लेकर 13 दिसंबर 1877 को विवाद खड़ा किया। निर्मोही आखाड़े के महंत खेमदास जी ने विरोध किया।फिर शिलालेख लगाने पर 1882 में विवाद अधिक गरमाया।ब्रिटिश सरकार ने सत्ता के लिए मुस्लिम पक्ष को बारबार सहयोग किया।इसलिए 19 जनवरी 1885 को निर्मोही अखाड़े के महंत श्री रघुबरदास महाराज ने कम से कम राम चबूतरे पर प्राप्त पूजन के आधार पर छत डालने की अनुमति मांगी।18 मार्च 1886 को कमिश्नर ऑफ़ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में की अपील पर न्या.डब्ल्यू यंग ने वास्तविकता को जाने बिना "विवादित स्थल-मस्जिद द जन्मस्थान" कहकर अपील ठुकराया।दुर्भाग्य से स्वाधीन हिन्दुस्थान के लोग उस ही बात को अब मान्य कर उर्वरित भूमि कब्जाने के लिए निर्मोही के अधिवक्ता के साथ मिलकर सौदेबाजी कर रहे है।
        सन 1912 का साधुओ का साथ देकर अयोध्यावासीयो ने दंगा किया।1934 गो हत्या के कारण दंगा भड़का।सन 1935 ब्रिटिश संविधान में कम्युनल एवार्ड समविष्ट हुवा।हिन्दू महासभा नेता मालवीय,मुंजे,भाई परमानंद आदियो विरोध किया परन्तु,कांग्रेस तटस्थ रही समर्थन नहीं किया।1936 को वक्फ बोर्ड का गठन हुवा।16 सप्तम्बर 1938 वक्फ बोर्ड कमिश्नर ने 'अयोध्या के मुसलमान इस विवादित वास्तु में नमाज पढ़ने के इच्छुक नहीं।' लिखा।इस बिच शहीद गंज साहिब लाहोर  गुरुद्वारा की मुक्ति के लिए अकाली नेता मास्टर तारासिंग और सरहद प्रान्त हिन्दू महासभा अध्यक्ष राय बहादुर बद्रीदास ने लन्दन प्रिव्ही कौन्सिल तक लड़कर सिक्ख-मुस्लिम-ब्रिटिश तीन जज्ज की खंडपीठ में सुनवाई करवाई।2 मई 1940 न्या.दीन महंमद ने गुरुद्वारा मुक्ति का आदेश दिया था।अयोध्या ही नहीं देश का श्रध्दालु हिन्दू श्रीराम जन्मस्थान की सैकड़ो वर्षो से चली निर्मोही आखाड़े की स्वामित्व की लडाई रोककर स्थायी समाधान के लिए उत्सुक था।14 अगस्त 1941 नझुल विभाग-फ़ैजाबाद ने श्रीराम जन्मस्थान रामकोट को प्लाट क्रमांक 583 वर्णन तीन गुम्बद मंदिर कब्ज़ा रघुनाथदास,राम सकलदास,राम सुभगदास निर्मोही आखाडा लिख दिया।क्यों की,ब्रिटिश अभिलेख में भी रामचरण दास,बलदेव दास को जन्मभूमि व्यवस्थापक और चबूतरे के मंदिर में भोग राग उत्सव की भी व्यवस्था निर्मोही आखाड़े के पास लिखित है।विभाजन के संकट से घाव और गहरे हुए थे और सरकार जैसे थे कहकर पाकिस्तान गए मुसलमानों को वापस बुलाकर विभाजन से शांति का परिणाम नष्ट कर रही थी।इस बिच फ़ैजाबाद मंडल हिन्दू महासभा के आयोजन में हनुमान गढी के महंत श्री रामदास जी की अध्यक्षता में सार्वजनिक जनसभा करके,"श्रीराम मंदिर पर श्रीराम भक्तो का अधिकार प्राप्त करने का संकल्प किया गया।' इस जनसभा तक कोई मुस्लिम जानबूझकर मंदिर में चप्पल जुते पहनकर आकर बैठते थे।उनके विरोध में बलप्रयोग करने की शिकायत पर डेप्युटी कमिश्नर फ़ैजाबाद रामकेर सिंग ने जिला अध्यक्ष गोपालसिंग विशारद,श्रीराम चबूतरा मंदिर पुजारी बाबा गोबिंद दास,नगर मंत्री हिन्दू महासभा के बाबा सत्यनारायण दास,बाबा यदुनंदन दास,बाबा राम टहल दास जी को बंदी बनाया।गोपालसिंग जी के अनशन की बात सुनकर अयोध्या पूरी के नगरजनो ने हड़ताल की।बाबु प्रियरंजन दास जी की मध्यस्थता तीसरे दिन सभी मुक्त हुए और मंदिर प्रांगण में जुते चप्पल पहनकर आने के लिए पाबन्दी का बोर्ड लगाया गया। अयोध्यावासीयो में उत्साहवर्धन हुवा।अखिल भारत हिन्दू महासभा के पूर्व राष्ट्रिय महामंत्री पंडित नथुराम विनायक गोडसे जी ने शरणार्थी हिन्दुओ की उपेक्षा से क्रोधित होकर बैरिस्टर गाँधी का वध किया।हिन्दू महासभा फ़ैजाबाद जिला अध्यक्ष गोपाल सिंग विशारद,जिला संयुक्त मंत्री लक्ष्मणदास शास्त्री,संघ प्रचारक विशिष्ठ धरे गए 22 मई 1948 को मुक्त होने तक मंदिर आन्दोलन ठप्प रहा।
      ओक्टोबर 1949 रजवाड़े के समक्ष हुई जनसभा में हिन्दू महासभा नेता गोपालसिंग विशारद,अयोध्या नगर मंत्री महंत परमहंसश्री रामचंद्र दास-दिगंबर आखाडा, नगर प्रचारक बाबा अभिराम दास निर्मोही अखाडा,लक्ष्मण शास्त्री तथा महाराजा इंटर कोलेज प्रा.भगीरथ प्रसाद त्रिपाठी जी उपस्थित थे। प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष गोबिंद सहाय को बाबा अभिरामदास,रामचंद्रदास जी ने श्रीराम जन्मभूमि पर बोलने का आग्रह किया।नहीं माने तो स्टेज का कब्ज़ा लेकर सहाय को भगा दिया। महंत रामदास जी की अध्यक्षता में सभा हुई,"प्राचीनकाल से श्रीराम जन्मभूमि हमारी है।वह हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम की चिरंतन जन्मभूमि है।उसपर लुटेरे आक्रांताओ ने अमानवीय बल पर कब्ज़ा किया है,आज देश आझाद है।इसलिए यह जन्मभूमि हमें अविलम्ब वापस दी जाये।"ऐसा प्रस्ताव पारित कर उसकी प्रतिया प्रांतीय अधिकारी,विधानसभा सदस्यों को भेजी गयी।
        श्री रामायण महासभा प्रधान रामचंद्रदास परमहंस,संयुक्त मंत्री गोपालसिंग विशारद,अभिरामदास संघटक थे।इन्होने हनुमान गढी पर सार्वजानिक सभा की। प पु श्री वेदांती राम पदार्थ दास जी की अध्यक्षता में कार्तिक कृ नवमी को 108 नव्हान्न पाठ हुए,समापन में उ प्र हिन्दू महासभा अध्यक्ष महंत श्री दिग्विजयनाथ महाराज, स्वामी करपात्री जी महाराज,कांग्रेस नेता बाबा राघवदास,बड़ा स्थान के महंत श्री बिन्दुगाद्याचार्य जी महाराज,रघुवीर प्रसादाचार्य आदि गणमान्य उपस्थित थे। मार्गशीर्ष शु द्वितीय को 1108 नव्हान्न का निश्चय हुवा।जन्मभूमि मंदिर परिसर स्वच्छ करने हेतु सैकड़ो साधू और नगरजनो ने पूर्व रात्रि में मलबा हटाने औजार उठाये।निर्मोही आखाड़े के महंत बलदेवदास,जन्मस्थान महंत तथा नगर हिन्दू महासभा कार्याध्यक्ष हरिहर दास,स्वामी रामचंद्रदास नगर पार्षद हिन्दू महासभा, तपस्वियों की छावनी से अधिरिसंत दास,बाबा बृन्दावन दास,गोपालसिंग विशारद के नेतृत्व में परिसर साफ़ सुथरा हो गया।1108 की संख्या पौ फटने से पूर्व में ही पूर्ण हो गयी थी हनुमान गढी तक लम्बी कतार में बैठे लोगो में अनेक मुसलमान भी पाठ पढ़ने बैठे थे।जुहूर अहमद के नेतृत्व में के के के नायर को शिकायत कर हमारी कब्र उखाड़कर रखी कहा वहा देखने गए तो फिर नमाज की अनुज्ञा मांगी वह भी मिली 85 नमाजी पहुंचे भी वहा का माहौल देखकर मुस्लमान वापस गए।
       24 दिसंबर 1949 अखिल भारत हिन्दू महासभा का राष्ट्रिय अधिवेशन कोलकाता में हो रहा था। स्वातंत्र्यवीर सावरकर उपस्थित रहनेवाले थे।उनके कट्टर भक्त गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत तथा उ प्र हिन्दू महासभा अध्यक्ष दिग्विजयनाथ जी महाराज के नेतृत्व में श्रीराम जन्मस्थान पर भजन-संकीर्तन हो रहे थे।दिनांक 24 की भोर में कड़ाके ठण्ड के बिच श्रीराम विग्रह का प्राकट्य हुवा।हवालदार अबुल बरकत खां प्राकट्य देखकर दंग रह गया।इस साधना में निर्मोही आखाड़े के तपस्वी सुदर्शन दास पहाड़ी,राम बिलास दास,राम सकल दास,बलदेव दास,राम चरण दास के साथ हनुमान गढी के अभिराम दास,बृन्दावन दास का योगदान महत्वपूर्ण था।
       नेहरू के आदेश पर पुलिस ने हड़बड़ी में गर्भगृह के कपाट बंद कर ताला ठोंक दिया।बाबा अभिराम दास और गुदड़ बाबा अन्दर ही अनशन पर बैठ गए।श्रीराम पूजन भोग संकीर्तन में आई बाधा के कारन संतो ने निर्णय किया की,"जब तक प्रकट श्रीराम को भोग लगाया नहीं जाता तब तक अयोध्या के किसी भी मंदिर में भोग नहीं लगेगा।कोई भोजन नहीं करेगा।"अयोध्यावासीयो के साथ भक्तों की भीड़ को देखकर नायर जी ने जिम्मेदारी के साथ साहस करते हुए " विवादग्रस्त वास्तु " घोषित कर संविधान की धारा 145 के अंतर्गत अपने कब्जे में ली और श्रीराम जी की पूजा अर्चना भोग की व्यवस्था लगा दी,परिसर में गैरहिंदू प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगाकर चार पुजारी एक भंडारी गर्भगृह में जाने की अनुमति प्रदान की।दर्शन के लिए शिकंजे से अनुमति प्रदान की।इस व्यवस्था में प्रशासन ने कोई परिवर्तन नहीं किया।
हिन्दू महासभा 1949 अयोध्या आन्दोलन के बाद से यह मंदिर न्यायालय संरक्षित है।**1950-51 हिन्दू महासभा फ़ैजाबाद जिला अध्यक्ष ठा गोपाल सिंग विशारद द्वारा चली 3/1950 न्यायालयीन कार्यवाही में अयोध्या परिसर के 17 राष्ट्रिय मुसलमानों ने कोर्ट में दिए हलफनामे का आशय, *"*हम दिनों इमान से हलफ करते है की,बाबरी मस्जिद वाकई में राम जन्मभूमि है।जिसे शाही हुकूमत में शहेंशाह बाबर बादशाह हिन्द ने तोड़कर बाबरी बनायीं थी।इस पर से हिन्दुओ ने कभी अपना कब्ज़ा नहीं हटाया।बराबर लड़ते रहे और इबादत करते आये है।बाबर शाह बक्खत से लेकर आज तक इसके लिए 77 बल्वे हुए।सन 1934 से इसमें हम लोगो का जाना इसलिए बंद हुवा की,बल्वे में तीन मुसलमान क़त्ल कर दिए गए और मुकदमे में सब हिन्दू बरी हो गए।कुरआन शरीफ की शरियत के मुतालिक भी हम उसमे नमाज नहीं पढ़ सकते क्योंकी,इसमें बुत है।इसलिए हम सरकार से अर्ज करते है की,जो यह राम जन्मभूमि और बाबरी का झगडा है यह जल्द ख़त्म करके इसे हिन्दुओ को दिया जाये।"* टांडा निवासी नूर उल हसन अंसारी की अर्जुनसिंग को दी साक्ष*,"मस्जिद में मूर्ति नहीं होती इसके स्तंभों में मुर्तिया है।मस्जिद में मीनार और जलाशय होता है वह यह नहीं है।स्तंभों पर लक्ष्मी,गणेश और हनुमान की मुर्तिया सिध्द करती है की,यह मस्जिद मंदिर तोड़कर बनायीं गयी है।"
माननीय न्यायालय का आदेश है की ,*"मेरे अंतिम निर्णय तक मूर्ति आदि व्यवस्था जैसी है* वैसे ही सुरक्षित रहे और सेवा,पूजा तथा उत्सव जैसे हो रहे थे वैसे ही होते रहेंगे।*"
* पक्षकार हिन्दू महासभा की मांग पर १९६७ से १९७७ के बिच प्रोफ़ेसर लाल के नेतृत्व में पुरातत्व विभाग के संशोधक समूह ने श्रीराम जन्मभूमि पर उत्खनन किया था।इस समिती में मद्रास से आये *संशोधक मुहम्मद के के भी थे वह लिखते है*,"वहा प्राप्त स्तंभों को मैंने देखा है। JNU के इतिहास तज्ञोने हमारे संशोधन के एक ही पहलु पर जोर देकर अन्य संशोधन के पहलुओ को दबा दिया है।मुसलमानों की दृष्टी में मक्का जितना पवित्र है उतनी ही पवित्र अयोध्या हिन्दुओ के लिए है।मुसलमानों ने राम मंदिर के लिए यह वास्तु हिन्दुओ को सौपनी चाहिए।उत्खनन में प्राप्त मंदिर के अवशेष भूतल में मंदिर के स्तंभों को आधार देने के लिए रची गयी इटोंकी पंक्तिया,दो मुख के हनुमान की मूर्ति,विष्णु,परशुराम आदि के साथ शिव-पार्वती की मुर्तिया उत्खनन में प्राप्त हुई है।"

गैझेटियर ऑफ़ दी टेरिटरीज अंडर गव्हर्मेन्ट ऑफ़ ईस्ट इंडिया कं के पृष्ठ क्र 739-40 के ऐतिहासिक तथ्य के अनुसार 23 मार्च 1528 को श्रीराम जन्मस्थान मंदिर ध्वस्त किया और उस ही मलबे से 14 स्तम्भ चुनकर उसपर खडी की वास्तु कभी मस्जिद नहीं बन पायी क्यों की इन स्तम्भोपर मुर्तिया थी।

न्यायालय के संरक्षण में पूजा-दर्शन हो रहे न्यायालय के आदेश से ताला खुले शिलान्यासित मंदिर को भाजप ने,हिन्दू महासभा सांसद स्वर्गीय बिशनचंद सेठ की सूचना का अनादर कर राजनितिक और आर्थिक लाभ के लिए बाबर का कलंक लगाया और 6 दिसंबर 19 92 को मंदिर ही ध्वस्त किया ! ऐसी शिकायत भी निर्मोही अखाड़े ने कोर्टके मूलवाद पत्र 4 ए में की है। 
* हिन्दू महासभा और निर्मोही आखाड़े का पक्ष सुनकर उ. न्या. के लखनऊ खंडपीठ के विशेष पूर्ण पीठ ने 1949 हिन्दू महासभा आन्दोलन से जुडी पत्रावलिया प्रस्तुत न करने पर उ. प्र. अपर महाधिवक्ता को मूल रेकोर्ड प्रस्तुत करने को कहकर 14 जुलाई 2010 को सुनवाई निश्चित की थी। लिबरहान रिपोर्ट जमात ए उलेमा ए हिन्द के कार्यक्रम में गृहमंत्री को की गयी मांग के अनुसार प्रधानमंत्री को प्रस्तुत करते ही फ़ाइल गायब होने वार्ता प्रकट हुई 14 जून 2010 को हिन्दू महासभा ने उ.प्र. मुख्यमंत्री को सी.बी.आई. जाँच की मांग कर एफ.आई.आर. के लिए सूचित किया।10 जुलाई को ए. के. सिंग ने हजरत गंज थाने में ऍफ़.आई.आर. लिखी। उ.प्र. सरकार ने 4 जुलाई 2010 को गृह सचिव जाविद अहमद की आख्या पर शपथ पत्र प्रस्तुत कर कहा की," 23 पत्रावलिया उपलब्ध नहीं है।विशेषाधिकारी सुभाष भान साध के पास यह फाइल थी।लिबरहान आयोग में जाते समय उनका एक्सीडेंट हुवा और मृत्यु के साथ फ़ाइल गायब हुई। "मायावती ने गायब फाइल्स की जाँच सी.बी.आई. से करवाने की संस्तुति करते हुए यह फ़ाइल भाजप शासनकाल में गायब होने की आशंका व्यक्त की थी। 26 जुलाई 2010 को माननीय न्यायालय ने इस विवाद को अनिर्णीत रखा है। ऐसी स्थिति में 30 सप्तम्बर 2010 को न्यायालय ने शर्मा जी निवृत्त होने कारन देकर 1/3 राजनितिक निर्णय थोपते समय 1989 को उ.न्या.ने लताड़े पक्षों को 1/3 हिस्सा दिया।रामसखा बनकर देवकी नंदन अग्रवाल ने जो रामलला विराजमान 1/3 प्राप्त किया उस स्थानपर 1961-62 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने हिन्दू महासभा पर मुर्तिया रखने का आरोप लगाकर जो याचिका प्रस्तुत की थी वह स्थान निर्मोही आखाड़े का होने की साक्ष ओ.पी.डब्ल्यू.न.1 श्री रामचंद्रदास महाराज वक्तव्य पृष्ठ क्र.55 पर तथा ओ.पी. डब्ल्यू. न 2 देवकी नंदन अग्रवाल उपाख्य रामसखा की साक्ष पृष्ठ क्र 142 पर," 26 दिसंबर 1949 को कुर्की पूर्व और पश्चात् निर्मोही आखाड़े का अधिकार मान्य करते है।"

20 जून 2011 को सर्वराह्कार महंत श्री भाष्कर दास महाराज,उपसरपंच श्री दिनेंद्र्दास महाराज निर्मोही आखाडा और हिन्दू महासभा की ओर से प्रमोद पंडित जोशी-राजन बाबा अयोध्या ने गायब फ़ाइल की रिकव्हरी के लिए सी.बी.आई.जाँच के लिए मांग करते हुए संयुक्त पत्र हनुमान गढी नाका फ़ैजाबाद से प्रकाशित कर मुख्यमंत्री-राज्यपाल महोदय को भेजा था।पता चला है की,सुभाष भान साध को प्रिंसिपल सेक्रेटरी वी.के.मित्तल, मूल प्रति लिबरहान आयोग देहली में लाते समय फोटोकॉपी बनाकर रखने की सलाह देते थे।गृह सचिव महेश गुप्ता को पता नहीं की कहा से दस्तावेज गायब हुए। साध के पिता बीर भान साध के अनुसार यह हत्या है।उनके अधिवक्ता रणधीर जैन ने दो बार याचिका लगायी परन्तु राजनितिक षड्यंत्र के अंतर्गत इस की जांच नहीं हुई और फ़ाइल न मिलने पर कोई गंभीर नहीं दिखा।मात्र मित्तल को बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी का व्हाईस चांसलर बनाया गया है।इस हत्या के साथ 1949 हिन्दू महासभा के योगदान तथा न्यायालयीन पक्ष को दबाने का संयुक्त राजनितिक प्रयास हुवा है इतना पक्का।

       इसलिए बाबरी पर चले राजनितिक अभियोग को बंद कर मंदिर विध्वंस की न्यायालयीन प्रक्रिया आरम्भ करने की मांग हिन्दू महासभा करती है। पूजा दर्शन हो रहे ताला खोलकर शिलान्यास किये गए मंदिर को हिन्दू महासभा सांसद स्वर्गीय बिशनचंद सेठ के विरोध के बाद भी बाबरी का कलंक लगाने वाली भाजप ने कलंक लगाना बंद नहीं किया इसलिए ध्वंस के पश्चात् यह अभियोग बाबरी विध्वंस पर चला।श्रीराम जन्म मंदिर ध्वंस कर कराची गए अडवानी ने मस्जिद ध्वंस के लिए क्षमा मांगी इसलिए 2005 में आत्मघाती हमला हुवा था।इसलिए सर्व प्रथम बाबरी विध्वंस का राजनितिक अभियोग बनाकर देश को गुमराह कर रही सरकार,इस अभियोग को मंदिर विध्वंस कहकर 6 दिसम्बर 1992 श्रीराम जन्म मंदिर ध्वन्सियो को "मंदिर विध्वंस के राष्ट्रद्रोही आरोप" में गिरफ़्तार करे ऐसी हमारी राष्ट्रपति महोदय के पास 17 जून 2005 तथा 30 जुलाई 2010 से लंबित इस मांग पर सरकार-राष्ट्रपति महोदय तत्काल कार्यवाही करे।
श्री पालोक बासु को केन्द्रीय मंत्री के षड्यंत्र के अनुसार निर्मोही आखाड़े के अधिवक्ता के साथ रही बासु की मित्रता का लाभ पहुंचाकर विवादित 2:77 का 9 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने नकारा 1/3 का निर्णय बलात स्वीकार करने के लिए दबाव डालकर रामलला विराजमान वि.हिं.प. को, एक हिस्सा मुस्लिम पक्ष जिन्हें 1989 कोर्ट ने नकारा उन्हें दूसरा और बचा 1/3 निर्मोही को देकर 67:77 - 2:77= 65 एकड़ भूमि से भी निर्मोही आखाड़े को बेदखल करने का इस्लामी सेंटर बनाने का बहोत बड़ा षड्यंत्र है। इसका अयोध्यावासी तथा श्रीराम भक्त विरोध करते हुए सम्पूर्ण भूमि 67:77 निर्मोही आखाड़े को सौपने की आग्रही हिन्दू महासभा के गैरराजनीतिक जागरण का समर्थन दे।

Saturday 11 August 2012

अध्यात्म से क्रांति की प्रेरणा

                    अध्यात्म से क्रांति की प्रेरणा देते हमारे योध्दा संन्यासी 
     धार्मिक श्रध्दा के क्षय में विज्ञानं का जैसे योगदान है वैसे ही धर्म की अज्ञानता भी एक कारन है.
     श्री रामानुजाचार्यजी ने सम्पूर्ण शरणागति से भक्ति को प्रार्थमिकता दी है.कर्मानुष्ठान को भक्ति का सहाय्यक माना है.
     श्री मध्वाचार्यजी ने "अमला" निर्दोष भक्ति को प्रार्थमिकता देते हुए निष्काम-अहेतुक अनन्यभक्ति की प्रेरणा  दी है.
      श्री वल्लभाचार्यजी ने "मर्यादा" व "पुष्टि" ऐसे भेद कर "निष्काम" व "अनन्य" ऐसी पुष्टि भक्ति को महत्त्व दिया है.इश्वर को परम मूल्य बनाना भक्ति की दृष्टी से महत्त्वपूर्ण माना है.
      श्री चैतन्यप्रभु जी ने भक्ति को पांचवा पुरुषार्थ कहकर भक्ति से प्राप्त होनेवाले परमानन्द को मोक्ष से अधिक श्रेष्ठ माना है.                    
       नाथ संप्रदायने विरक्ति-योग साधना को महत्त्वपूर्ण अंग माना है,श्री दत्त संप्रदाय में सद्गुरु भक्ति श्रेष्ठ मानी गयी है.श्री रामानन्दीय संप्रदाय के समर्थ श्री रामदासजी ने श्रीराम भक्ति के साथ सामाजिक कर्तव्यो को श्रीमत दासबोध में अलंकृत किया है.
       स्वधर्माचरण,इश्वरनिष्ठां,सदाचार के लिए सभी संतो ने प्रेरित किया है.श्रीमद भागवत नुसार श्रवण,कीर्तन, विष्णु स्मरण,पादसेवन,अर्चन,वंदन,दास्य,सख्य,आत्मनिवेदन इन नवविधा भक्ति का स्वीकार किया है. भक्ति का अर्थ पलायनवाद-निवृत्तिवाद नहीं.यह एक इश्वरनिष्ठ जीवनदृष्टी है.जिसके द्वारा आत्मिक कल्याण के साथ विश्वकल्याण भी निहित है.धर्म को अभिप्रेत आचार्योंके विचार इश्वर चिंतन का समान अभिप्राय रखते है. एकात्मता का समान दृष्टिकोण रखते है.1893 शिकागो धर्म परिषद में स्वामी विवेकानंदजी ने हिंदुत्व को विश्वधर्म की प्रेरणा देनेवाला बताया था.
       साधू संतों के आचरण से इन्द्रिय,प्राण,मन,क्रिया को संतुलन प्राप्त होता है.उनको सहज संयम-वैराग्य प्राप्त होता है.इनको कर्तुत्व का अहंकार नहीं होता.यश-अपयश के प्रति निर्विकार परन्तु कर्तव्य पालन दक्ष होते है. कही भी काम क्रोध लोभ द्वेष मत्सर नहीं होता.विश्वनियंता की दिव्य सत्ता के प्रति सेवा भक्ति का कर्मयोग होता है.
      अज्ञान और दुक्ख ग्रस्त मानव के कल्याण के लिए सामर्थ्य और प्रतिष्ठा प्रदान करने का कार्य संतो ने किया है.प्रसंगवश आत्म बलिदान भी दिया है.धर्मराज हर्षवर्धन ने सन 799 में कनौज में युध्द विरोंकी सर्व खाप पंचायत बनायीं थी. 1365 में वह सौरभ मुजफ्फरनगर में स्थानांतरित हुई थी.उसके दस्तावेजो के अनुसार "1857 की स्वाधीनता संग्राम के संयोजक और प्रेरक चार प्रमुख योगी-संन्यासी थे.स्वामी ओमानंद आयु 160,हिमालय से ; स्वामी पूर्णानंद आयु 129,हरिद्वार ; अंध स्वामी विरजानंद आयु 79 मथुरा ; स्वामी दयानंद आयु 33 उत्तर पश्चिमी भारत " तात्पर्य यह है की, अध्यात्म का ज्ञान देनेवाले संतो ने समय पर क्रांति की प्रेरणा दी है.देश में अधर्म बढ़ रहा है उसके समापन के लिए संत प्रेरक बने.

Tuesday 31 July 2012

लोकसभा हिन्दू संसद नहीं बनी तो अखंड पाकिस्तान का धोखा !

                 अखंड हिन्दुस्थान का विभाजन धार्मिक अल्पसंख्या के आधारपर जनसँख्या के अनुपात में हुवा। फिर भी आश्रयार्थी संविधान विरोधी मुसलमानों के कारण आये दिन दंगा-ब्लास्ट-आतंक-विघटनवादी कृत्य होते रहते रहते है।घुसपैठ को राजाश्रय प्राप्त होने के कारण घुसपैठियों को नागरिकता प्राप्त होती है तो,शरणार्थी हिन्दुओ को सुरक्षा की भीख मांगनी पड़ती है।आसाम में हो रही घुसपैठ के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है।1943 में बना भूमि विकास के नाम घुसपैठिये मुसलमान बंगालियों को बसना उन्हें निवास बिजली-पानी मतदाता परिचय पत्र प्रदान करना हानिकारक रहा है।1943 से हिन्दू महासभा इसका विरोध कर रही है।                                      विश्व में इस्लामी साम्राज्यवाद के लिए आतंकवाद फैला रहे समूह को अमेरिका जैसे राष्ट्रों ने लगाम लगाकर रखी है। ७ अगस्त १९९४ विश्व इस्लामी संमेलन -लन्दन में संपन्न हुवा।पारित प्रस्ताव, वेटिकन की धर्मसत्ता के आधारपर " निजाम का खलीफा " की स्थापना और इस्लामी राष्ट्रों का एकीकरण का उद्देश्य। दैनिक अमर उजाला में दि.२६ अगस्त १९९४ को शमशाद इलाही अंसारी ने प्रकट किये थे। के अनुसार, जमात ए इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी ने 'हिन्दू वर्ल्ड' पृ.२४ में लिखा है," इस्लाम और राष्ट्रीयता की भावना और उद्देश्य एक दुसरे के विपरीत है.जहा राष्ट्रप्रेम की भावना होगी,वहा इस्लाम का विकास नहीं होगा.राष्ट्रीयता को नष्ट करना ही इस्लाम का उद्देश है।"
               U.S.News & World Report नामक अमेरिकी साप्ताहिक के प्रधान संपादक मोर्टीमर बी. झुकरमेन ने कहा है, " मुस्लिम ब्रदरहुड " के ७ कट्टरवादी नेताओ ने २६/११ पश्चात् अम्मान-जोर्डन में बैठक आयोजित की थी।इस बैठक के पश्चात् उन्होंने पत्रकार परिषद् भी संबोधित की,उनका लक्ष केवल धमाको तक सिमित नहीं है। देश की सरकार गिरे,जनता का मनोबल गिरे,खिलाफत के लिए लोग  सडको पर उतरे यही उनका उद्देश है।" मुस्लिम ब्रदर हुड के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए झुकरमेन लिखते है, ' वर्षो पूर्व मुस्लिम नेता फलिस्तीन की बात किया करते थे।इस्त्रायल का विरोध करते थे।उसके पीछे केवल यहूदियों से ही लड़ना नहीं था,विश्व की भू सत्ता का उद्देश था।जहा स्पेन-हिन्दुस्थान में कभी मुस्लिम राज्य था, उसपर कब्ज़ा करना है.' पत्रकारों ने पूछा कैसे ? तब कहा था, ' धीरज रखिये ! हमारा निशाना चुक न जाये इसलिए हम एक एक करके मंजिल प्राप्त करना चाहते है।हम उन ताकदो से लड़ना चाहते है जो रूकावटे है. ..... जब इस्लामी धमाका होगा तब दुनिया हमारी ताकद देखेगी. .... दुनिया में इस्लामी राज बहुत ही निकट है।"
              इस्लामी पुरातनवादीयो की विशेषता यह है की,वह मुस्लिम राष्ट्रों को भी नहीं छोड़ते.जो मुस्लिम राष्ट्र शरियत का राज स्थापित नहीं करता, विश्व इस्लामी साम्राज्य स्थापित करने में सहाय्यता नहीं करता उसे भी क्षमा नहीं करते।इजिप्त,काहिरा आदि अरबी गण राज्य हो या अफगानिस्तान-पाकिस्तान-बंगला जहा मुस्लिम राष्ट है वहा शरियत राज लागु करना उनका उद्देश है।वहां के अल्पसंख्यक हिन्दू और हिन्दू पंथिय  अत्याचार-बलात्कार-धर्मान्तरण-अपहरण से त्रस्त है.जहा शिया अल्पसंख्य है, उनकी भी हत्या हो रही है।परन्तु, इस्लाम के नाम यह भेद अब दुय्यम बना है.अल्जेरिया-मोरक्को सुन्नी देश, वहा भी सरकार विरोधी आन्दोलन जारी है।उन्होंने इरान से सम्बन्ध विच्छेद किया है।उनके आपसी विवाद इस्लामी राज का उद्देश समाप्त करेगा ! इस भ्रांत कल्पना में अमेरिका नहीं है.उसने मक्का-मदीना को हिरोशिमा बनाने की ठान ली है.  रूस ने साम्यवादी दृष्टिकोण के कारण मुस्लिम तुष्टिकरण कर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है।चीन में भी इस्लामी आतंकवाद है, पाकिस्तानी-अफगानी प्रेरित आतंक को कुचलने में चीन कोताही नहीं करता।परन्तु, विभाजन का रक्त कभी सुखा नहीं ऐसे खंडित हिन्दुस्थान में कश्मीर-बंगाल-आसाम में,अखंड पाकिस्तान की राजनीती को सींचने का कार्य सत्ताधारीयो के साथ मिलकर छद्म हिन्दू करते है तब आश्चर्य होता है.कश्मीर-पंजाब-बंगाल-आसाम के सन्दर्भ में अखंड हिन्दुस्थान में हिन्दू महासभा ने दी चेतावनी को द्विराष्ट्रवादी कहकर अपप्रचारित किया गया.आसाम-त्रिपुरा आदि बांग्ला सीमावर्ती क्षेत्र में हो रही घुसपैठ को अनदेखा करना राष्ट्रीयता प्रदान करना सरकार का राष्ट्रद्रोह है और इसके लिए सत्ताधारी दल तथा समर्थक दलोपर  राष्ट्रद्रोह का वाद लगाकर राष्ट्रीयता में विषमता फैलाकर विघटित रखने का संविधान विरोधी कृत्य का आरोप हिन्दू महासभा करती है,ऐसे दलोपर प्रतिबन्ध लगाने का कार्य जन न्यायालय,मतदान के द्वारा सुनिश्चित करे।
             खंडित हिन्दुस्थान में विघटन-अलगाववादियों की घुसपैठ और बढती जनसँख्या एक चिंता का विषय है l १८९१ ब्रिटिश हिन्दुस्थान के जन गणना आयुक्त ओ.डोनोल ने अनुमान लगाया था ६२० वर्ष में हिन्दू जनसँख्या समाप्त हो जाएगी।सन १९०६ कर्नल यु.एन.मुखर्जी ने भविष्यवाणी की थी की,हिन्दुओ को लुप्त होने में ४२० वर्ष लगेंगे।सन १९९३में एन.भंडारे,एल.फर्नांडिस और एम्.जैन ने ३१६ वर्ष में मुस्लिम बहुसंख्य हो जाने के संकेत दिए थे।१९९५ में रफ़ीक झकेरिया लिखते है ३६५ वर्ष में मुस्लिम बहुल होगा खंडित हिन्दुस्थान ! जब की कुछ मुस्लिम नेता (सन 2004में लिखते है) आगामी १८ वर्ष में सब हिन्दू समाप्त हो जाने की बात करते है। देखिये                                       http://en.wikipedia.org /wiki/Muslim_population_growth                                                                                                                        सम्पूर्ण देश के संघराज्य मुसलमानों की बढती हिंसा,अपहरण-बलात्कार-लव जिहाद के चपेट में है।हिन्दुओ ने प्रतिकार किया तो सांप्रदायिक कहनेवाली सरकार और विदेशो में हिन्दुओ के देश की छवि बिगाड़नेवाली मिडिया वास्तविकता का विपर्यास करने में जुड़ जाती है. TV पर आसाम की वार्ता सुनते हुए सब हिन्दू-बोडो अत्याचार सुना रहे थे,वास्तव में इस्लामी राज के समर्थक बंगलादेशी घुसपैठियों ने रमझान का महिना चुनकर दंगा फैलाया, इसके लिए उन्हें आश्रय देनेवाली सरकार जिम्मेदार है। फिर भी हिन्दुओ में संघटित  असुरक्षा की भावना नहीं है ? धर्म निरपेक्षता का भुत बुध्दिजीवी उतरने न देते.तो,धर्मनिरपेक्षता के लिए बनी  संविधानिक समान नागरिकता के लिए सत्ताधारी प्रामाणिक क्यू नहीं ? सावरकरजी ने अखंड हिन्दुस्थान का दिया संकल्प हो या हिन्दुराष्ट्र तथा समान नागरिकता का अधिकार कथित हिन्दुओ ने नेहरू के चरणों में रखा है.राष्ट्रीयता में विषमता आरक्षण से उपजी है. इसलिए,भविष्यत् चुनाव में सभी दलोंके हिन्दू मिलकर " हिन्दू संसद " को बलवान करे !
               नेहरू के अखंड हिन्दुस्थान के वचन और वीर सावरकरजी के प्रति इर्षा के कारन १९४५-४६ चुनाव में गोलवलकर गुरूजी ने कांग्रेस का खुला समर्थन किया,संघ के हिन्दू महासभानिष्ठ प्रत्याशियों ने संघ नेतृत्व का आदेश मानकर अंतिम क्षण नामांकन वापस लिया और संघ के समर्थन के कारण ही कांग्रेस-मु.लीग बहुमत में आई और हिन्दू महासभा को १६% मतदान मिला. हिन्दू पक्ष की ओर से कांग्रेस ने विभाजन करार पर हस्ताक्षर किये.विभाजन की पार्श्वभूमी पर दिनांक १० अगस्त १९४७ को हिन्दू महासभा भवन ,मंदिर मार्ग,नई दिल्ली-१ अखिल भारत हिन्दू महासभा पूर्व राष्ट्रिय अध्यक्ष स्वा.वीर सावरकरजी की अध्यक्षता में हिन्दू परिषद् संपन्न हुई ; सावरकर जी ने कहा," अब निवेदन,प्रस्ताव,विनती नहीं !अब प्रत्यक्ष कृति का समय है. " सर्व पक्षीय हिन्दुओंको हिन्दुस्थान को पुनः अखंड बनाने के कार्य में लग जाना चाहिए." रक्तपात टालने के लिए हमने पाकिस्तान को मान्यता दी ऐसा नेहरू का युक्तिवाद असत्य है.इससे रक्तपात तो टलनेवाला नहीं है परन्तु,फिरसे रक्तपात की धमकिया देकर अपनी मांगे रखते रहेंगे.उसका "अभी प्रतिबन्ध नहीं किया तो इस देश में १४ पाकिस्तान" हुए बिना नहीं रहेंगे.उनकी ऐसी मांगो को "जैसे को तैसा" उत्तर देकर नष्ट करना होगा.रक्तपात से भयभीत होकर नहीं चलेगा.इसलिए " हिन्दुओंको पक्ष भेद भूलकर संगठित होकर सामर्थ्य" संपादन करना चाहिए और देश विभाजन नष्ट करना चाहिए ! "                                                                                                 विद्यमान परिस्थिति में, विश्व इस्लाम की धन सत्ता का केंद्र इंधन तेल,स्वर्ण-रौप्य है।इसके बदले ही हथियार ख़रीदे जा रहे है। इस ही लिए महंगा और महंगाई भी हुई है.हम राष्ट्रप्रेमी जबतक अपनी आवश्यकताओ को कम नहीं करते राष्ट्रद्रोहियों को आर्थिक सहायता ही होगी और उसे रोकना हमारे हाथ है।इस्लामी प्रदुषण !                देश की राजनीती अखंड पाकिस्तान की ओर बढ़ रही है,राष्ट्रीयता में विषमता का बिज घोलकर आरक्षण को ढाल बनाकर हिंदुओंकी एकसंघ शक्ति खंडित की जा चुकी है,जातिवाद-भाषा वाद प्रबल है, न्यायालय की सूचना के बाद भी  संविधानिक समान नागरिकता को नकारकर कांग्रेस-भाजप ने जो पाप किया वह भारतीय जनसंघ के निर्माण के समय वीर सावरकरजी ने कांग्रेस -२ कहा था,वह सत्य हुवा है.भाजप के इशारे पर स्वाभिमान पक्ष का निर्माण रोकनेवाले बाबा रामदेव ने देवबंद अधिवेशन में वन्दे मातरम विरोधी प्रस्ताव पर मूक दर्शक बने रहे।१२ मई २०१२ को भाजप की भाषा का अपरोक्ष प्रयोगकर अन्य हिन्दू विरोधी दलों की तरह पाकिस्तान ले चुके खंडित हिन्दुस्थान के आश्रयार्थी मुसलमानों को आर्थिक आधार पर आरक्षण का भाजप प्रस्ताव बाबा ने रखा है. रामदेव इस विषय का अध्ययन करे. देश की वर्तमान स्थिति में वीर सावरकरजी का सन्देश आज भी प्रेरक है. देश हिन्दू राजनीती की प्रतीक्षा कर रहा है.धर्मान्तरितो का दलितत्व अभी समाप्त नहीं हुवा है तो उनके शुध्दिकरण का मार्ग खुला है ! हम शुध्दिकरण करेंगे !                                                                                                              संघ-सभा के पूर्व नेतृत्व सावरकर विरोधी गोलवलकर का व्यक्ति वर्चस्ववाद का दुष्परिणाम अखंड हिन्दुस्थान को अनचाहे भुगतना पड़ा. इस वर्तमान कालखंड में गठबंधन की राजनीती में भाजप NDA नहीं छोड़ेगी.हिंदूवादी प्रत्याशी संयुक्त रूपसे " हिन्दू संसद " के निर्माण के लिए हिंदूवादी पक्ष-संगठन की सहाय्यता से अखंड पाकिस्तान के षड्यंत्र को रोक नहीं पाई तो हमें हमारे वीर पुरुषोंके, धर्म रक्षकोंके, धर्माचार्यो ,समाज सुधारकोंके नाम का जयकार करने का भी अधिकार नही रहेगा और उन्होंने जो निःस्वार्थ भूमिका में त्याग-बलीदान-बंदिवास-उपेक्षा झेलकर जो स्वाधीनता प्रदान की है वह निःष्फल हो जाएगी.लव जिहाद और बढती राष्ट्रद्रोही जनसँख्या-घुसपैठ त्रासदी बनी है. हमारा दायित्व है आनेवाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित अखंड हिन्दुराष्ट्र और समानता के लिए "सर्व दलीय हिन्दू संसद " बनाये !

Saturday 28 July 2012

वर्ण व्यवस्था कर्माधारे थी,जो जन्मजात व्यवस्था बनी l सनातन धर्म से उपजे सभी गैर हिन्दूओ में भी जातीयता है ! ll असत्यमेव पराजयते ll


                           वर्ण व्यवस्था कर्माधारे थी,जो जन्मजात व्यवस्था बनी l
                           सनातन धर्म से उपजे सभी गैर हिन्दूओ में भी जातीयता है !
                                                   ll  असत्यमेव पराजयते ll      जाति व्यवस्था केवल हिन्दुओँ मेँ पायी जाती है ? हिन्दुओँ मेँ वंश जानने गोत्र-प्रवर बनाये गए थे। जिससे  लोग ब्लड रीलेशन (रक्त संबंधियों से) मेँ विवाह करने से बचे।दुसरा कारण,लोगोँ को आइडेँटी (परिचय) देने का माध्यम बने।इससे कार्य और क्षेत्र का भी पता चल जाये । भेदभाव,छुआछुत-जाति,संप्रदाय हर प्रमुख धर्मोँ मेँ है परन्तु, अन्य धर्मोँ मेँ वैज्ञानिक या तर्कशास्त्र आधारित ग्रन्थ नहिँ मिलता ; जो है, वह सनातन ग्रंथों को आधार बनाकर संशोधन हुवा है।अन्य पंथ-धर्म आस्थाओँ के आधार पर विभाजित हैँ ।सनातनी धर्म की अनेक जातिया होकर भी सभी आस्थाओँ को समान रूप में स्वीकारते हैँ ।

# ख्रिश्चन धर्म मेँ बहोत से चर्च है।जो, मुख्यतः 7 संप्रदायोँ मेँ विभक्त हैँ और ये 7 संप्रदाय भी अन्य उपसंप्रदायोँ मेँ विभक्त होते हैँ । जैसे,
1)Catholic 2)Orthodox 3)Lutheran 4)Reformed/Presbyterian
5)Anglican/Episcopalian 6)Methodist/Wesleyan 7)Baptist
      यहां कौन किस चर्च में जायेगा यह निर्धारित होता है। छोटी जाती के या छोटी जाती से धर्मांतरित ख्रिश्चन होकर भी किसी भी चर्च में नहीं जा सकते।सभी की पूजा पध्दती भिन्न पाई जाती है।इनमे मान्यताओँ का तुलनात्मक अध्ययन
http://www.religionfacts.com/christianity/charts/denominations_beliefs.htm

http://en.m.wikipedia.org/wiki/List_of_Christian_denominations
इन लिंक में देखा जा सकता है।
# मुस्लिमोँ मेँ जाति व्यवस्था जो प्रमुखतः अशरफ ,अजलफ ,अरजल जातिओँ मेँ बंटा है और इसकी अनेक उप जातियां भी हैँ।शिया,सुन्नी,अहमदिया जैसे 73 संप्रदाय भी हैँ ।ये जाति और संप्रदाय केवल अपनी जातियोँ या संप्रदायोँ मेँ हि सम्बन्ध बनाते या रखते हैँ इनकी धार्मिक मान्यताओँ मेँ भी अंतर पाया जाता है।यह लोग एक दुसरे को काफिर ठहराते फिरतेँ हैँ ।सन्दर्भ-
http://m.facebook.com/note.php?note_id=347461641965768
.
http://en.m.wikipedia.org/w/index.php?title=List_of_Muslim_Other_Backward_Classes_communities&mobileaction=view_normal_site
   यह कथन आवश्यक है कि, इक्ष्वाकु कुल की रघुकुल शाखा में प्रभु श्रीराम तो,इक्ष्वाकु कुल की लिछवी शाखा में भगवान गौतम बुध्द का आविर्भाव हुवा और प्रभु श्रीराम पुत्रों के वंश में आद्य गुरु श्री नानकदेव कालूराम बेदी और दशम गुरु श्री गोबिन्दसिंग तेगबहादुर सोढ़ी जी का प्राकट्य हुवा।सभी वैष्णव पंथी क्षत्रिय थे।
# हिन्दू पंथ सिक्ख मेँ भी जाति व्यवस्था
     दशम गुरूजी ने एकत्मिकता स्थापित करने के पश्चात् भी 4 वर्णोँ मेँ बंटा हुआ है ।यहां भी केवल अपने संबंधितो में ही विवाह संबंध किया जाता है ।देखिये,
http://www.sikhcastes.faithweb.com/whats_new.html

# हिन्दू पंथ बौद्धोँ कि जाति व्यवस्था जो प्रमुखतः 3 प्रमुख संप्रदायोँ महायान ,हीनयान और वज्रयान मेँ बंटा हुआ है।इनके सैँकडोँ मठ या उपसंप्रदाय है जो अलग अलग पुजा पद्धतिओँ और मान्यताओँ में विश्वास रखते है ।सन्दर्भ-
http://m.facebook.com/note.php?note_id=333913793320553&refid=21
                                                                           --0--                                                                                                                                                                                     facebook Ref.by Sandeep Bansal 9 जुलाई 12 जो लोग "सत्यमेव जयते" कार्यक्रम में अभिनेता आमिर ख़ान की कुटिल चालों के चलते यह सोच रहे हैं की जातिवाद और छुआछूत हिंदू धर्म ग्रंथों की देन है तो वह मिथ्या प्रचार कर रहा है। क्यूंकी, जातिवाद के आधार पर एक दूसरे को नीचा दिखाने को वेदों में कहीं नही कहा गया है।हां वेद सभी मनुष्य-मानव जाती को समान मानते हैं जिसका उदाहरण वेदों के निम्न श्लोकों में हैं ;
यजुर्वेद १८ | ४८
हे भगवान ! हम ब्राह्मणों में, क्षत्रियों में, वैश्यों में तथा शूद्रों में ज्ञान की ज्योति प्रदान करे। मुझे भी वही ज्योति प्रदान कीजिये ताकि मैं सत्य के दर्शन कर सकूं |
यजुर्वेद २० | १७
जो अपराध हमने गाँव, जंगल या सभा में किए हों, जो अपराध हमने इन्द्रियों द्वारा किए हों,जो अपराध हमने शूद्रों में और वैश्यों में किए हों और जो अपराध हमने धर्म में अधर्म कृत्य किए हों, कृपया उसे क्षमा कीजिये और हमें अपराध की प्रवृत्ति से छुडाइए |
यजुर्वेद २६ | २
हे मनुष्यों ! जैसे मैं, इस वेद ज्ञान को पक्षपात के बिना आप मनुष्यमात्र के लिए उपदेश करता हूं, इसी प्रकार आप सभी इस ज्ञान को ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र,वैश्य, स्त्रियों के लिए तथा जो अत्यन्त पतित हैं उनके भी कल्याण के लिये दो | विद्वान और धनिक मेरा त्याग न करें |
अथर्ववेद १९ | ३२ | ८
हे ईश्वर ! मुझे ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र और वैश्य सभी का प्रिय बनाइए | मैं सभी से प्रसंशित होऊं |
अथर्ववेद १९ | ६२ | १
सभी श्रेष्ट मनुष्य मुझे पसंद करें | मुझे विद्वान, ब्राह्मणों, क्षत्रियों, शूद्रों, वैश्यों और जो भी मुझे देखे उसका प्रियपात्र बनाओ |
इन वैदिक प्रार्थनाओं से विदित होता है कि -
-वेद में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र चारों वर्ण समान माने गए हैं |
-सभी के लिए समान प्रार्थना है तथा सभी को समानता का सम्मान दिया गया है |
-और सभी अपराधों से छूटने के लिए की गई प्रार्थनाओं में शूद्र के साथ किए गए अपराध भी समाविष्ट हैं |
-वेद के ज्ञान का प्रकाश समभाव रूप से सभी को देने का उपदेश है |
-यहां ध्यान देने योग्य है कि इन मंत्रों में शूद्र शब्द वैश्य से पहले आया है,अतः स्पष्ट है कि न तो शूद्रों का स्थान  अंतिम है और ना ही उन्हें कम महत्त्व दिया गया है |
इस से सिद्ध होता है कि वेदों में शूद्रों का स्थान अन्य वर्णों की ही भांति आदरणीय है और उन्हें समान सम्मान प्राप्त है और हिंदू संस्कृति जातियाधारित भेदभाव का खंडन करती है यह केवल क्षीण मानसिकतावाले लोगों की देन है।

http://agniveer.com/caste-vedas-hi/
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अखिल भारत हिन्दू महासभा पूर्व राष्ट्रिय प्रवक्ता द्वारा प्रसारार्थ :-                                                                        हिन्दू युवातियोंसे विवाह कर तलाक देनेवाला ABP News का अम्बेसेडर आमिर यह जाने की,कश्मीर में सामाजिक विषमता के कारन हिन्दुओ का हो रहा धर्मान्तरण रोकने के लिए श्री.श्रीभट्ट ने कश्मीरी समुदाय को " पंडित " बनाया.अछुतोंका धर्मान्तरण रोकने सामाजिक विषमता का लाभ इस्लामिस्टोंको न मिले इसलिए हिन्दू महासभा नेता हुतात्मा स्वामी श्रध्दानंदजी ने शुध्दिकरण की योजना बनायीं उसे रोकने के लिए उनकी हत्या रशीद अली ने चांदनी चौक-दिल्ली में की थी.१९२४ पुणे सम्मेलन में हिन्दू महासभा ने मंदिर में सभी को प्रवेश खुलाकर गर्भगृह में केवल पुजारी जायेंगे ऐसा प्रस्ताव पारित किया था.पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूर्व अछूतों के साथ प्रवेश किया.सावरकर जी ने रत्नागिरी स्थानबध्दता में सजातीय विरोध का सामना कर पतित पावन मंदिर बनाया और वहा पूर्व अछूत शिवा को पुजारी बनाया.समाज सुधारक स्वर्गीय विट्ठल रामजी शिंदे जी ने उनका रत्नागिरी में कार्य देखकर सन्मान जनक वक्तव्य किया.डॉक्टर आम्बेडकरजी ने सावरकरजी की अनिर्बंध्द मुक्तता पर दिनांक ११ मई १९३७ दैनिक जनता में स्वागत-सन्मान पर लेख लिखा.क्या आमिर यह जानते है,डॉक्टर आम्बेडकरजी को दौलताबाद के मंदिर में जानेसे मुस्लिम चौकीदार ने रोका,पानी लेनेसे मना किया इसलिए १९३६ येवला में धर्मान्तरण की घोषणा की थी.हिन्दू महासभा नेता धर्मवीर डॉक्टर मुंजेजी ने उनकी भेट कर धर्मान्तरण से रोका और सावरकरजी की चिट्ठी के अनुसार २० वर्ष पश्चात् सन 1956 के दशहरा के दिन नागपुर में मतान्तरण किया.ऐसा उल्लेख दीक्षा देने आये कुशीनगर के चंद्रमणिजी ने किया है।
        हिन्दू समाज में छुवाछूत की भावना को ओपरेशन थेटर में डोक्टर जिस प्रकार शुध्दी का पालन करते है उस ही भावना से था.यह सच है की,कर्म न करनेवाले जन्मजात ब्राह्मणों ने इसका अतिरेक किया. परन्तु, दोष एक समाज पर मढ़कर निर्मूलन नहीं होगा.सभी को मंदिर प्रवेश के लिए आंदोलित होना चाहिए.किसी एक जाती की कर्म व्यवस्था नीच कर्म की है तो भी स्नानोपरांत सूचित भाव और वस्त्र के साथ प्रवेश करनेवालोंको कोई जाती पूछकर मंदिर में जानेसे नहीं रोकता.यही वास्तविकता है. हिन्दुओ में एकात्मता स्थापित न हो इसलिए राष्ट्रवाद को न माननेवाले मुस्लमान संविधानिक समान नागरिकता का विरोध करते है.उसके लिए आमिर खान कांग्रेस को राष्ट्रीयता में विषमता फैलानेवाली राजनितिक सोच को बदलने को कभी कहेंगे ? समान नागरिकता लागु होगी तो कोई किसी को विद्वेष से नहीं देखेंगे. धर्म परायण तथा धर्म रक्षक समाज को अपमानित करने का (१९४७ में प्रकाशित इस्लामी मानसिकता का पत्र) पूर्व नियोजित हिंदुत्व विरोधी षड्यंत्र स्पष्ट हो चूका है. जो हिन्दू विरोधी वाहिनिया राजनितिक आश्रय से इसे प्रोत्साहित कर रही है।

Sunday 22 July 2012

हिन्दू महासभा की जन्मपत्री

      हिन्दू सभा की स्थापना लाहोर में पंजाब महाविद्यालय के संस्थापक बाबु नवीनचंद्र राय और राय बहादुर चन्द्रनाथ मित्र ने सन 1882 बैसाखी को की।
       अखिल भारत हिन्दू महासभा की स्थापना हरिद्वार में पंडित मदन मोहन मालवीय तथा लाला लाजपत राय जी ने कुम्भ पर्व पर मंगलवार 13 अप्रेल 1915 को प्रातः 8:59:39 पर वृष लग्न पर हुई। 22 अंश 7कला थी।
        5 जून 2003 से 5 जून 2019 गुरु की महादशा 
वरिष्ठ ग्रहोंका संचार
प्लूटो :- राजनितिक ग्रह प्लूटो का संचार 1953 तक ठीक था। 6 दिसंबर 1992 से प्लूटो हिन्दू महासभा के पक्ष में चल रहा है।सन 2019 तक प्रबल रहेगा,2050 बाद भी दीर्घ काल तक पक्ष में रहेगा।
नेपच्यून:-2036 तक पक्ष में
हर्शल:-1980 से अप्रेल 2017 तक पक्ष में यही समय है सत्ता प्राप्ती का
               6 दिसंबर 1992 को श्रीराम जन्मस्थान मंदिर गिराए जाने से लेकर 2017 तक तीनो ग्रह हिन्दू महासभा के पक्ष में है। मंदिर पुनर्निर्माण के लिए, मीर बांकी द्वारा 23 मार्च 1528 को मंदिर गिराए जाने से पूर्व से अधिपत्यधारी श्री पंच रामानंदीय निर्मोही अखाडा-रामघाट अयोध्या का निःस्वार्थ साथ देकर मंदिर ध्वंसियो को गिरफ्तार करना चाहिए।
              रुढ़िवादी परंपरागत हिंदुत्व को सुधारवादी-क्रांतिकारी विचारों का स्वीकार से लाभ।
             प्रबल राज्यशक्ति हिन्दू महासभा को उभरने से रोक रही है।
*राज्यकारक सूर्य की चन्द्र,बुध और मंगल से युति है।
*मंगल न केवल राज्यस्थानेश शनि से पूर्ण संबंध रखता है अपितु,राजयोग के कारक सूर्य से तथा गुरु से संबंध रखता है।इसका संबंध बुध से भी है। अर्थ स्पष्ट है,हिन्दू महासभा को बलपूर्वक रोका  गया है। हिन्दू महासभा निष्ठों को अंतर्गत विवाद में उलझाकर असंगठित करने का षड्यंत्रकारी प्रयास जारी है।उससे उभरकर संगठित बल से हिन्दू महासभा आगे बढ़ेगी-पं.श्री.विश्वनाथ जी-फरीदाबाद
*भृगु संहिता के अनुसार-दीर्घ काल में भाग्य का लाभ,प्रत्येक कार्य में व्यवधान,गुप्त शत्रु के कारण अपयश के पश्चात् लाभ
*कालसर्प शांति ,अनुष्ठान पूर्वक महामृत्युंजय जाप,
*ताम्बे के कलश में स्वर्णमृग रखकर गोघृत भर कर ब्राह्मण को दान,शिव जी के आपदुध्दारण मन्त्र का जाप महाविष्णु का स्मरण कर क्षमा और दान,पंचमेश-लाभेश की पूजा।
         हिन्दू संसद के लिए यह आवश्यक 

Sunday 17 June 2012

For Naitionalist Voter's

राष्ट्रीय मतदार बंधू बहनों,
          देश विभाजन पश्चात् खंडित हिन्दुस्थान को अखंड पाकिस्तान बनाने के षड्यंत्र में लगे राष्ट्रद्रोही वक्तव्य हमने-आपने बारबार सुने पढ़े है।फिर भी सत्ताधारी उन्हें सत्ता साझेदार समझते है।देश के संविधान ने सभी को समान  नागरिकता में पिरोया है परन्तु,राजनितिक लाभ के लिए राष्ट्रीयता में विषमता फैलाई गयी है।देश की जनता जाती-पंथ-भाषा-प्रांत-लिंग भेद में विघटित होने के कारण विघटनवादी-आतंकवादी-राष्ट्रद्रोही अराष्ट्रीय जनता के विरुध्द संगठित नहीं है।धर्म निरपेक्षता की बात करनेवाले समान नागरिकता के लिए तयार नहीं, सांप्रदायिक-जातीयवादी कही जानेवाली हिन्दू महासभा 1985 से समान नागरिकता का आग्रह कर रही है।हिन्दू महासभा आपको वचन देती है राष्ट्रीयता में राजनितिक लाभ के लिए फैलाई विषमता नष्ट करेंगे,जिन्हें मान्य नहीं उनकी राष्ट्रीयता नष्ट कर सभी अधिकार निकालकर देश निकाला कर देंगे। घुसपैठियों को तत्काल बाहर का रास्ता दिखाया जायेगा।आपके हाथ में राज्यक्रांति का निर्णय लेने का अवसर आता है और आप जाती-पक्ष  के प्रत्याशी को चुनकर भेज देते है, योग्य अयोग्य का विचार नहीं किया जाता; संसद-विधानसभा-नगर पालिका-पंचायत में हमारे धनी बन बैठे हमारे प्रतिनिधि प्रचंड भ्रष्टाचार में लिप्त होकर दबंग बन जाता है तब आँख खुलती है।प्रसार माध्यम हमें सहाय्यक नहीं होंगे,हमारे निष्ठावान प्रत्याशी प्रचार-जनसभा में क्षमता से अधिक खर्चा नहीं कर पाएंगे,उनके लिए आप को ही आयोजन खर्च या चंदा (फंड) की व्यवस्था करनी होगी, आपके लिए आपका चुना हुवा प्रतिनिधि एकमत से स्वीकार किया जायेगा। आगामी लोकसभा "हिन्दू संसद" समान नागरिकता के लिए होगी।हम सर्व दलीय हिन्दू संसद के पक्ष में है,आयेंगे उनके लिए द्वार खुले रखकर  विरोध करेंगे उनके विरुध्द आपकी सहमति से प्रत्याशी खड़े कर हिंदुत्व विरोधियो का पर्दाफाश करेंगे।
           संसद सत्र में परस्पर लड़कर लोकसभा भंग करनेवाले,अवसरवादी-सत्ता लोलुप-तुष्टीकरण करनेवाले कथित रूप से निधर्मी हिन्दू कैसे होगे ? पद-पैसा-प्रतिष्ठा के लिए पक्षांतर-मतान्तर करनेवाले देश-धर्म-संस्कृति का भय नहीं रखते ऐसे भ्रष्टाचारी प्रत्याशी आगामी चुनावो में बहिष्कृत करे।मत देने अवश्य जाये और अपना अधिकार प्रस्तुत करे।कोई प्रत्याशी योग्य नहीं यह विकल्प के साथ मतदाता को रसीद की व्यवस्था चुनाव आयोग को करनी होगी जो,मतदाता को किसी आवेदन या सुविधा प्राप्ति के लिए प्रतिलिपि जोड़ने की सक्ती की जाएगी।इससे मतदाताओ में जाग्रति और लाभ मिलेंगे।
           विश्व में इस्लामी राज सत्ता स्थापित करने की योजनाए खुलकर प्रकट हुई है ऐसे में ब्रुहोत्तर भारत के अनेक खंड झेल चुके शेष हिन्दुस्थान में अखंड पाकिस्तान की जड़ को सींचना,उन्हें विशेष सुविधा प्रदान करना या अराष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहन देना बंद करना होगा। विश्व इस्लाम के विस्तार में तेल-इंधन की भूमिका महत्त्व पूर्ण बनी है।आतंकवाद के लिए शस्त्र खरीद स्वर्ण-चांदी के ऐवज में हो रही है इसलिए स्वर्ण-चांदी-इंधन तेल की दरो में प्रचंड वृध्दि हुई है।परिणाम स्वरुप 2012 में पडोसी राष्ट्रों में नहीं परन्तु,हिन्दुस्थान में रुपये का प्रचंड अवमूल्यन हुवा है।विदेशो में रखे भ्रष्टाचार के प्राप्त काले धन को छुपाने से भी यह सार्वत्रिक परिणाम संयुक्त रूप से प्रकट हुवा है।धान की प्रचंड पैदावार को सुरक्षित नहीं रखने से कृत्रिम संकट पैदा कर भिगाया सडा धान दारु बनाने भेजने की निति अपनाई जा रही है।ऐसा होते हुए भी बहुसंख्यक जनता मोह में फंसकर हमें जिताएंगे यह उनका विश्वास तोड़ना आप के हाथ में है।
            विदेश निष्ठ या विदेशी नेतृत्व में धनलोभी-लाचार हिन्दू नेता गैर हिन्दू वादी बन गए है।इन नेताओ के माध्यम से हिन्दुओ को आपस में लड़ाकर देश को निर्बल किया जा रहा है।गैर हिन्दुओ को दंगे-धर्मान्तरण के लिए खुली छुट मिल रही है।देश में हिन्दुओ को कुचलने के लिए लक्षित सांप्रदायिक हिंसा विधेयक,पाकिस्तान से भागे राजेन्द्र सच्चर -रंगनाथ मिश्रा की आड़ में शरसंधान किया जा रहा है।आश्रयार्थी जमात को आरक्षण के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव और संविधानिक धारा 44 को लागु करने कोई पहल नहीं हो रही; नाही आम्बेडकर अनुयायी अवमानना समझ रहे है।देश को जागृत होना होगा,हिन्दू महासभा जातिवाद-भेद नहीं मानती।निर्धनता निर्मूलन के लिए कठोरतम प्रयास करने होंगे संविधान संशोधन करना है तो,निर्धन को अस्थायी आरक्षण ; निशुल्क राष्ट्रिय-प्रांतीय शिक्षा आवास-भोजन के सह देने का प्रयास हो।योग्यता के अनुसार नौकरी में प्राथामिकता हो तब ही विदेशो में जानेवाले युवको की संख्या में कमी आएगी।
            राष्ट्रिय मतदाताओ,गत अनेक वर्ष चुनावो में हिन्दुत्ववादियो को अपेक्षित मतदान नहीं मिला। छुत-अछूत नहीं माननेवाली समान नागरिकता की पक्षधर हिन्दू महासभा को अछूत,जातीयवादी,सांप्रदायिक बनाया गया।फिर भी हमने हिन्दू हित के लिए सब कुछ सहा,सत्ता-धन के लिए समझौते नहीं किये।जिन्हें आप ने भोले मन या स्वार्थ रखकर मत दिया उन्होंने देश को किस स्थिति में लाकर खड़ा किया है वह आप देख रहे हो।सतत विघटनवाद-लव जिहाद-धर्मान्तरण में निमग्न सशस्त्र दंगाईयो को अभिनव भारत-संघ या सनातन संस्था का भय लगता है इसलिए उनपर प्रतिबन्ध की मांग करनेवाली कांग्रेस तथा अल्प संख्यक आयोग निर्माती अलीगढ विद्यापीठ को मान्यता देनेवाली जनता पार्टी,हज यात्रा के लिए देशभर से अनेक स्थान से अधिक सब्सिडी देकर उड्डान करानेवाली-पूजा दर्शन हो रहे शिलान्यसित निर्मोही अखाड़े के श्रीराम जन्मस्थान मंदिर को बाबरी कहकर धन-मत लुत्नेवाली तोड़नेवाली भाजप,समाजवादी,साम्यवादी को मत मत देना।

Friday 8 June 2012

वैश्विक इस्लाम और हिन्दुराष्ट्र की रक्षा सावरकर अपेक्षित १० अगस्त १९४७ हिन्दू संसद !



७ अगस्त १९९४ विश्व इस्लामी संमेलन -लन्दन प्रस्ताव वेटिकन की धर्मसत्ता के आधारपर " निजाम का खलीफा " की स्थापना और इस्लामी राष्ट्रों का एकीकरण उद्देश्य दैनिक अमर उजाला दि.२६ अगस्त १९९४ शमशाद इलाही अंसारी ने प्रकट किये थे के अनुसार, जमात ए इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी ने 'हिन्दू वर्ल्ड' पृ.२४ में लिखा है," इस्लाम और राष्ट्रीयता की भावना और उद्देश्य एक दुसरे के विपरीत है.जहा राष्ट्रप्रेम की भावना होगी,वहा इस्लाम का विकास नहीं होगा.राष्ट्रीयता को नष्ट करना ही इस्लाम का उद्देश है."

               U.S.News & World Report नमक अमेरिकी साप्ताहिक के प्रधान संपादक मोर्टीमर बी. झुकरमेन ने कहा है, " मुस्लिम ब्रदरहुड " के ७ कट्टरवादी नेताओ ने २६/११ पश्चात् अम्मान-जोर्डन में बैठक आयोजित की थी.इस बैठक के पश्चात् उन्होंने पत्रकार परिषद् भी संबोधित की थी.उनका लक्ष केवल धमाको तक सिमित नहीं है.देश की सरकार गिरे जनता का मनोबल गिरे,खिलाफत के लिए सडको पर उतरे यही उनका उद्देश है." मुस्लिम ब्रदर हुड के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए झुकरमेन लिखते है, ' वर्षो पूर्व मुस्लिम नेता फलिस्तीन की बात किया करते थे.इस्त्रायल का विरोध करते थे.उसके  पीछे यहूदियों से ही लड़ना नहीं था.विश्व की भू सत्ता का उद्देश था.जहा स्पेन-हिन्दुस्थान में कभी मुस्लिम राज्य था उसपर कब्ज़ा करना है.' पत्रकारों ने पूछा कैसे ? तब कहा था, ' धीरज रखिये !हमारा निशाना चुक न जाये इसलिए हम एक एक करके मंजिल प्राप्त करना चाहते है.हम उन ताकदो से लड़ना चाहते है जो रूकावटे है. ..... जब इस्लामी धमाका होगा तब दुनिया हमारी ताकद देखेगी. .... दुनिया में इस्लामी राज बहुत ही निकट है."

              इस्लामी पुरातनवादीयो की विशेषता यह है की वह मुस्लिम राष्ट्रों को भी नहीं छोड़ते.शरियत का राज स्थापित नहीं करता, विश्व इस्लामी साम्राज्य स्थापित करने में सहाय्यता नहीं करता उसे भी माफ़ नहीं करते.इजिप्त,काहिरा आदि अरबी गण राज्य हो या अफगानिस्तान-पाकिस्तान-बंगला जहा मुस्लिम राष्ट है वहा शरियत राज लागु करना उनका उद्देश है.वहा के अल्प संख्यक अत्याचार-बलात्कार-धर्मान्तरण-अपहरण से त्रस्त है.जहा शिया अल्प संख्य है उनकी भी हत्या हो रही है.परन्तु इस्लाम के नाम यह भेद अब दुय्यम बना है.अल्जेरिया-मोरक्को सुन्नी देश, वहा भी सरकार विरोधी आन्दोलन जारी है.उन्होंने इरान से सम्बन्ध विच्छेद किया है.उनके आपसी विवाद इस्लामी राज का उद्देश समाप्त करेगा ! इस भ्रांत कल्पना में अमेरिका नहीं है.उसने मक्का-मदीना को हिरोशिमा बनाने की ठान ली है.    रूस ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है.चीन पाकिस्तानी-अफगानी आतंक को कुचलने में कोताही नहीं करता.परन्तु विभाजन का रक्त कभी सुखा नहीं ऐसे खंडित हिन्दुस्थान में अखंड पाकिस्तान की राजनीती को सींचने का कार्य सत्ताधारीयो के साथ मिलकर छद्म हिन्दू करते है तब आश्चर्य होता है.

             १८९१ ब्रिटिश हिन्दुस्थान के जन गणना आयुक्त ओ.डोनोल ने अनुमान लगाया था ६२० वर्ष में हिन्दू जनसँख्या समाप्त हो जाएगी.१९०६ कर्नल यु.एन.मुखर्जी ने भविष्यवाणी की थी की,हिन्दुओ को लुप्त होने में ४२० वर्ष ही लगेंगे.१९९३ एन.भंडारे,एल.फर्नांडिस और एम्.जैन ने ३१६ वर्ष में मुस्लिम बहुसंख्य हो जाने के संकेत दे रहे है.१९९५ रफ़ीक झकेरिया लिखते है ३६५ वर्ष में मुस्लिम बहुल होगा खंडित हिन्दुस्थान.जब की कुछ मुस्लिम नेता आगामी १८ वर्ष में सब कुछ समाप्त हो जाने की बात करते है.फिर भी हिन्दुओ में असुरक्षा की भावना नहीं है ? धर्म निरपेक्षता का भुत बुध्दिजीवी उतरने नहीं देते. फिर समान नागरिकता के लिए प्रामाणिक क्यों नहीं ?सावरकरजी ने अखंड हिन्दुस्थान का दिया संकल्प हो या हिन्दुराष्ट्र तथा समान नागरिकता का अधिकार कथित हिन्दुओ ने नेहरू के चरणों में रखा है.आरक्षण से उपजी विषमता है. इसलिए,भविष्यत् चुनाव में सभी दलोंके हिन्दू मिलकर " हिन्दू संसद " को बलवान करे !

               नेहरू के अखंड हिन्दुस्थान के वचन और वीर सावरकरजी के प्रति इर्षा के कारन १९४५-४६ चुनाव में गोलवलकर गुरूजी ने  कांग्रेस का खुला समर्थन किया,संघ के हिन्दू महासभानिष्ठ प्रत्याशियों ने संघ नेतृत्व का आदेश मानकर अंतिम क्षण नामांकन वापस लिया और संघ के समर्थन के कारण ही कांग्रेस-मु.लीग बहुमत में आई और हिन्दू महासभा को १६% मतदान मिला. हिन्दू पक्ष की ओर से कांग्रेस ने विभाजन करार पर हस्ताक्षर किये.विभाजन की पार्श्वभूमी पर दिनांक १० अगस्त १९४७ को हिन्दू परिषद् ,हिन्दू महासभा भवन , मंदिर मार्ग,नई दिल्ली-१ अखिल भारत हिन्दू महासभा पूर्व राष्ट्रिय अध्यक्ष स्वा.वीर सावरकरजी की अध्यक्षता में संपन्न हुई ; सावरकर जी ने कहा," अब निवेदन,प्रस्ताव,विनती नहीं !अब प्रत्यक्ष कृति का समय है. " सर्व पक्षीय हिन्दुओंको हिन्दुस्थान को पुनः अखंड बनाने के कार्य में लग जाना चाहिए." रक्तपात टालने के लिए हमने पाकिस्तान को मान्यता दी ऐसा नेहरू का युक्तिवाद असत्य है.इससे रक्तपात तो टलनेवाला नहीं है परन्तु,फिरसे रक्तपात की धमकिया देकर अपनी मांगे रखते रहेंगे.उसका "अभी प्रतिबन्ध नहीं किया तो इस देश में १४ पाकिस्तान" हुए बिना नहीं रहेंगे.उनकी ऐसी मांगो को "जैसे को तैसा" उत्तर देकर नष्ट करना होगा.रक्तपात से भयभीत होकर नहीं चलेगा.इसलिए " हिन्दुओंको पक्ष भेद भूलकर संगठित होकर सामर्थ्य" संपादन करना चाहिए और देश विभाजन नष्ट करना चाहिए ! " कहा.

विद्यमान परिस्थिति में, विश्व इस्लाम की धन सत्ता इंधन तेल,स्वर्ण-रौप्य पर केन्द्रित है इस ही लिए महँगी भी हुई है.हम राष्ट्रप्रेमी जबतक अपनी आवश्यकताओ को कम नहीं करते उनको आर्थिक सहायता ही होगी और उसे रोकना हमरे हाथ है.

देश की राजनीती अखंड पाकिस्तान की ओर बढ़ रही है,राष्ट्रीयता में विषमता का बिज घोलकर आरक्षण को ढाल बनाकर हिंदुओंकी एकसंघ शक्ति खंडित की जा चुकी है,जातिवाद-भाषा वाद प्रबल है, न्यायालय की सूचना के बाद भी  संविधानिक समान नागरिकता को नकारकर कांग्रेस-भाजप ने जो पाप किया वह भारतीय जनसंघ के निर्माण के समय वीर सावरकरजी ने कांग्रेस -२ कहा था,जो सत्य हुवा है.भाजप के इशारे पर स्वाभिमान पक्ष का निर्माण रोकनेवाले बाबा रामदेव ने देवबंद अधिवेशन में वन्दे मातरम विरोधी प्रस्ताव का मूक समर्थन किया.१२ मई २०१२ को भाजप की भाषा का अपरोक्ष प्रयोगकर अन्य हिन्दू विरोधी दलों की तरह पाकिस्तान ले चुके खंडित हिन्दुस्थान के आश्रयार्थी मुसलमानों को आरक्षण का भाजप प्रस्ताव बाबा ने रखा है. रामदेव इस विषय का अध्ययन करे. देश की वर्तमान स्थिति में वीर सावरकरजी का सन्देश आज भी प्रेरक है. देश हिन्दू राजनीती की प्रतीक्षा कर रहा है.धर्मान्तरितो का दलितत्व अभी समाप्त नहीं हुवा है तो शुध्दिकरण का मार्ग खुला है !

वर्तमान कालखंड में संघ-सभा संयुक्त रूपसे " हिन्दू संसद " निर्माण के लिए हिंदूवादी पक्ष-संगठन की सहाय्यता से अखंड पाकिस्तान के षड्यंत्र को रोक नहीं पाई तो हमें हमारे वीर पुरुषोंके, धर्म रक्षकोंके, धर्माचार्यो ,समाज सुधारकोंके नाम का जयकार करने का भी अधिकार नही रहेगा और उन्होंने जो निःस्वार्थ भूमिका में त्याग-बलीदान-बंदिवास-उपेक्षा झेलकर जो स्वाधीनता प्रदान की है वह निः ष्फल हो जाएगी.हमारा दायित्व है आनेवाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित अखंड हिन्दुराष्ट्र और समानता के लिए " हिन्दू संसद " बनाये !

यह लेख राष्ट्रिय स्तर पर प्रसारित करने में योगदान दीजिये.या हैण्ड बिल छपवाए अपने नाम से नही तो,प्रोत्साहक के रूप में आप हमारे नाम से छपवाए लिखे अखंड हिंदुस्थान या अखंड पाकिस्तान ?

- written by Pramod Pandit Joshi Hindu Mahasabha

Sunday 3 June 2012

गो हत्या और गो मांस भक्षण समर्थन-गाँधी



 गाँधी की अहिंसा मुसलमान को गो हत्या करने और गो मांस भक्षण का पूर्ण समर्थन करती है. 
गाँधी गो हत्या विरोधी थे,यह भ्रम है.अनेक बार गो हत्या का समर्थन कर उसे मुसलमानों का धार्मिक अधिकार माना था, जब की कुराण में मादी पशु हत्या प्रतिबंधित है."धर्म पालन"भाग-२ पृष्ठ १३५ ले.मो.क.गाँधी सस्ता साहित्य मंडल नई दिल्ली के शीर्ष प्रकरण में लिखा है,'गो हत्या बंद करने का मतलब अहिंदुओ के साथ जबरदस्ती करना होगा.' राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद को गो हत्या प्रतिबन्ध के लिए देश से आये पत्रों का उल्लेख कर गाँधी लिखते है," हिन्दुस्थान में गो हत्या रोकने के लिए कोई कानून नहीं बन सकता. हिन्दुओ को गाय का वध करने की मनाई है , इसमें मुझे कोई शक नहीं.मगर जो मेरा धर्म है, वही हिन्दुस्थान में रहने वाले सब लोगो का हो, यह कैसे हो सकता है? इसका मतलब जो लोग हिन्दू नहीं है उनके साथ जबरदस्ती करना होगा. ..... भारतीय यूनियन में अकेले हिन्दू तो है नहीं,यहाँ मुसलमान -ईसाई आदि सभी लोग रहते है.हिन्दुओ का यह कहना की अब हिन्दुस्थान हिन्दुओ की भूमि बन गयी है,बिलकुल गलत है.अतः मै तो यही सलाह दूंगा कि,विधान परिषद् पर इसके लिए जोर न डाला जाये."

मुसलमानों को गो मांस खाने का पूर्ण अधिकार मानते हुए "प्रताप"लाहोर २९ दिसंबर १९२४ के अंक में लिखते है,"मै एक कट्टर सनातनी हूँ परन्तु, एक मुसलमान को अधिकार दूंगा कि यदि उसका विश्वास है तो निःसंदेह वह गाय का मांस खाए.यदि कुराण किसी मुसलमान को गो वध की शिक्षा देता है तो मै कौन हूँ जो उसे जबरदस्ती मना करू.अगर मै ऐसा करूँगा तो अपने मजहब के खंडन का कारन बन जाऊंगा."

- written by Pramod Pandit Joshi Hindu Mahasabha