Tuesday 31 July 2012

लोकसभा हिन्दू संसद नहीं बनी तो अखंड पाकिस्तान का धोखा !

                 अखंड हिन्दुस्थान का विभाजन धार्मिक अल्पसंख्या के आधारपर जनसँख्या के अनुपात में हुवा। फिर भी आश्रयार्थी संविधान विरोधी मुसलमानों के कारण आये दिन दंगा-ब्लास्ट-आतंक-विघटनवादी कृत्य होते रहते रहते है।घुसपैठ को राजाश्रय प्राप्त होने के कारण घुसपैठियों को नागरिकता प्राप्त होती है तो,शरणार्थी हिन्दुओ को सुरक्षा की भीख मांगनी पड़ती है।आसाम में हो रही घुसपैठ के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है।1943 में बना भूमि विकास के नाम घुसपैठिये मुसलमान बंगालियों को बसना उन्हें निवास बिजली-पानी मतदाता परिचय पत्र प्रदान करना हानिकारक रहा है।1943 से हिन्दू महासभा इसका विरोध कर रही है।                                      विश्व में इस्लामी साम्राज्यवाद के लिए आतंकवाद फैला रहे समूह को अमेरिका जैसे राष्ट्रों ने लगाम लगाकर रखी है। ७ अगस्त १९९४ विश्व इस्लामी संमेलन -लन्दन में संपन्न हुवा।पारित प्रस्ताव, वेटिकन की धर्मसत्ता के आधारपर " निजाम का खलीफा " की स्थापना और इस्लामी राष्ट्रों का एकीकरण का उद्देश्य। दैनिक अमर उजाला में दि.२६ अगस्त १९९४ को शमशाद इलाही अंसारी ने प्रकट किये थे। के अनुसार, जमात ए इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी ने 'हिन्दू वर्ल्ड' पृ.२४ में लिखा है," इस्लाम और राष्ट्रीयता की भावना और उद्देश्य एक दुसरे के विपरीत है.जहा राष्ट्रप्रेम की भावना होगी,वहा इस्लाम का विकास नहीं होगा.राष्ट्रीयता को नष्ट करना ही इस्लाम का उद्देश है।"
               U.S.News & World Report नामक अमेरिकी साप्ताहिक के प्रधान संपादक मोर्टीमर बी. झुकरमेन ने कहा है, " मुस्लिम ब्रदरहुड " के ७ कट्टरवादी नेताओ ने २६/११ पश्चात् अम्मान-जोर्डन में बैठक आयोजित की थी।इस बैठक के पश्चात् उन्होंने पत्रकार परिषद् भी संबोधित की,उनका लक्ष केवल धमाको तक सिमित नहीं है। देश की सरकार गिरे,जनता का मनोबल गिरे,खिलाफत के लिए लोग  सडको पर उतरे यही उनका उद्देश है।" मुस्लिम ब्रदर हुड के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए झुकरमेन लिखते है, ' वर्षो पूर्व मुस्लिम नेता फलिस्तीन की बात किया करते थे।इस्त्रायल का विरोध करते थे।उसके पीछे केवल यहूदियों से ही लड़ना नहीं था,विश्व की भू सत्ता का उद्देश था।जहा स्पेन-हिन्दुस्थान में कभी मुस्लिम राज्य था, उसपर कब्ज़ा करना है.' पत्रकारों ने पूछा कैसे ? तब कहा था, ' धीरज रखिये ! हमारा निशाना चुक न जाये इसलिए हम एक एक करके मंजिल प्राप्त करना चाहते है।हम उन ताकदो से लड़ना चाहते है जो रूकावटे है. ..... जब इस्लामी धमाका होगा तब दुनिया हमारी ताकद देखेगी. .... दुनिया में इस्लामी राज बहुत ही निकट है।"
              इस्लामी पुरातनवादीयो की विशेषता यह है की,वह मुस्लिम राष्ट्रों को भी नहीं छोड़ते.जो मुस्लिम राष्ट्र शरियत का राज स्थापित नहीं करता, विश्व इस्लामी साम्राज्य स्थापित करने में सहाय्यता नहीं करता उसे भी क्षमा नहीं करते।इजिप्त,काहिरा आदि अरबी गण राज्य हो या अफगानिस्तान-पाकिस्तान-बंगला जहा मुस्लिम राष्ट है वहा शरियत राज लागु करना उनका उद्देश है।वहां के अल्पसंख्यक हिन्दू और हिन्दू पंथिय  अत्याचार-बलात्कार-धर्मान्तरण-अपहरण से त्रस्त है.जहा शिया अल्पसंख्य है, उनकी भी हत्या हो रही है।परन्तु, इस्लाम के नाम यह भेद अब दुय्यम बना है.अल्जेरिया-मोरक्को सुन्नी देश, वहा भी सरकार विरोधी आन्दोलन जारी है।उन्होंने इरान से सम्बन्ध विच्छेद किया है।उनके आपसी विवाद इस्लामी राज का उद्देश समाप्त करेगा ! इस भ्रांत कल्पना में अमेरिका नहीं है.उसने मक्का-मदीना को हिरोशिमा बनाने की ठान ली है.  रूस ने साम्यवादी दृष्टिकोण के कारण मुस्लिम तुष्टिकरण कर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है।चीन में भी इस्लामी आतंकवाद है, पाकिस्तानी-अफगानी प्रेरित आतंक को कुचलने में चीन कोताही नहीं करता।परन्तु, विभाजन का रक्त कभी सुखा नहीं ऐसे खंडित हिन्दुस्थान में कश्मीर-बंगाल-आसाम में,अखंड पाकिस्तान की राजनीती को सींचने का कार्य सत्ताधारीयो के साथ मिलकर छद्म हिन्दू करते है तब आश्चर्य होता है.कश्मीर-पंजाब-बंगाल-आसाम के सन्दर्भ में अखंड हिन्दुस्थान में हिन्दू महासभा ने दी चेतावनी को द्विराष्ट्रवादी कहकर अपप्रचारित किया गया.आसाम-त्रिपुरा आदि बांग्ला सीमावर्ती क्षेत्र में हो रही घुसपैठ को अनदेखा करना राष्ट्रीयता प्रदान करना सरकार का राष्ट्रद्रोह है और इसके लिए सत्ताधारी दल तथा समर्थक दलोपर  राष्ट्रद्रोह का वाद लगाकर राष्ट्रीयता में विषमता फैलाकर विघटित रखने का संविधान विरोधी कृत्य का आरोप हिन्दू महासभा करती है,ऐसे दलोपर प्रतिबन्ध लगाने का कार्य जन न्यायालय,मतदान के द्वारा सुनिश्चित करे।
             खंडित हिन्दुस्थान में विघटन-अलगाववादियों की घुसपैठ और बढती जनसँख्या एक चिंता का विषय है l १८९१ ब्रिटिश हिन्दुस्थान के जन गणना आयुक्त ओ.डोनोल ने अनुमान लगाया था ६२० वर्ष में हिन्दू जनसँख्या समाप्त हो जाएगी।सन १९०६ कर्नल यु.एन.मुखर्जी ने भविष्यवाणी की थी की,हिन्दुओ को लुप्त होने में ४२० वर्ष लगेंगे।सन १९९३में एन.भंडारे,एल.फर्नांडिस और एम्.जैन ने ३१६ वर्ष में मुस्लिम बहुसंख्य हो जाने के संकेत दिए थे।१९९५ में रफ़ीक झकेरिया लिखते है ३६५ वर्ष में मुस्लिम बहुल होगा खंडित हिन्दुस्थान ! जब की कुछ मुस्लिम नेता (सन 2004में लिखते है) आगामी १८ वर्ष में सब हिन्दू समाप्त हो जाने की बात करते है। देखिये                                       http://en.wikipedia.org /wiki/Muslim_population_growth                                                                                                                        सम्पूर्ण देश के संघराज्य मुसलमानों की बढती हिंसा,अपहरण-बलात्कार-लव जिहाद के चपेट में है।हिन्दुओ ने प्रतिकार किया तो सांप्रदायिक कहनेवाली सरकार और विदेशो में हिन्दुओ के देश की छवि बिगाड़नेवाली मिडिया वास्तविकता का विपर्यास करने में जुड़ जाती है. TV पर आसाम की वार्ता सुनते हुए सब हिन्दू-बोडो अत्याचार सुना रहे थे,वास्तव में इस्लामी राज के समर्थक बंगलादेशी घुसपैठियों ने रमझान का महिना चुनकर दंगा फैलाया, इसके लिए उन्हें आश्रय देनेवाली सरकार जिम्मेदार है। फिर भी हिन्दुओ में संघटित  असुरक्षा की भावना नहीं है ? धर्म निरपेक्षता का भुत बुध्दिजीवी उतरने न देते.तो,धर्मनिरपेक्षता के लिए बनी  संविधानिक समान नागरिकता के लिए सत्ताधारी प्रामाणिक क्यू नहीं ? सावरकरजी ने अखंड हिन्दुस्थान का दिया संकल्प हो या हिन्दुराष्ट्र तथा समान नागरिकता का अधिकार कथित हिन्दुओ ने नेहरू के चरणों में रखा है.राष्ट्रीयता में विषमता आरक्षण से उपजी है. इसलिए,भविष्यत् चुनाव में सभी दलोंके हिन्दू मिलकर " हिन्दू संसद " को बलवान करे !
               नेहरू के अखंड हिन्दुस्थान के वचन और वीर सावरकरजी के प्रति इर्षा के कारन १९४५-४६ चुनाव में गोलवलकर गुरूजी ने कांग्रेस का खुला समर्थन किया,संघ के हिन्दू महासभानिष्ठ प्रत्याशियों ने संघ नेतृत्व का आदेश मानकर अंतिम क्षण नामांकन वापस लिया और संघ के समर्थन के कारण ही कांग्रेस-मु.लीग बहुमत में आई और हिन्दू महासभा को १६% मतदान मिला. हिन्दू पक्ष की ओर से कांग्रेस ने विभाजन करार पर हस्ताक्षर किये.विभाजन की पार्श्वभूमी पर दिनांक १० अगस्त १९४७ को हिन्दू महासभा भवन ,मंदिर मार्ग,नई दिल्ली-१ अखिल भारत हिन्दू महासभा पूर्व राष्ट्रिय अध्यक्ष स्वा.वीर सावरकरजी की अध्यक्षता में हिन्दू परिषद् संपन्न हुई ; सावरकर जी ने कहा," अब निवेदन,प्रस्ताव,विनती नहीं !अब प्रत्यक्ष कृति का समय है. " सर्व पक्षीय हिन्दुओंको हिन्दुस्थान को पुनः अखंड बनाने के कार्य में लग जाना चाहिए." रक्तपात टालने के लिए हमने पाकिस्तान को मान्यता दी ऐसा नेहरू का युक्तिवाद असत्य है.इससे रक्तपात तो टलनेवाला नहीं है परन्तु,फिरसे रक्तपात की धमकिया देकर अपनी मांगे रखते रहेंगे.उसका "अभी प्रतिबन्ध नहीं किया तो इस देश में १४ पाकिस्तान" हुए बिना नहीं रहेंगे.उनकी ऐसी मांगो को "जैसे को तैसा" उत्तर देकर नष्ट करना होगा.रक्तपात से भयभीत होकर नहीं चलेगा.इसलिए " हिन्दुओंको पक्ष भेद भूलकर संगठित होकर सामर्थ्य" संपादन करना चाहिए और देश विभाजन नष्ट करना चाहिए ! "                                                                                                 विद्यमान परिस्थिति में, विश्व इस्लाम की धन सत्ता का केंद्र इंधन तेल,स्वर्ण-रौप्य है।इसके बदले ही हथियार ख़रीदे जा रहे है। इस ही लिए महंगा और महंगाई भी हुई है.हम राष्ट्रप्रेमी जबतक अपनी आवश्यकताओ को कम नहीं करते राष्ट्रद्रोहियों को आर्थिक सहायता ही होगी और उसे रोकना हमारे हाथ है।इस्लामी प्रदुषण !                देश की राजनीती अखंड पाकिस्तान की ओर बढ़ रही है,राष्ट्रीयता में विषमता का बिज घोलकर आरक्षण को ढाल बनाकर हिंदुओंकी एकसंघ शक्ति खंडित की जा चुकी है,जातिवाद-भाषा वाद प्रबल है, न्यायालय की सूचना के बाद भी  संविधानिक समान नागरिकता को नकारकर कांग्रेस-भाजप ने जो पाप किया वह भारतीय जनसंघ के निर्माण के समय वीर सावरकरजी ने कांग्रेस -२ कहा था,वह सत्य हुवा है.भाजप के इशारे पर स्वाभिमान पक्ष का निर्माण रोकनेवाले बाबा रामदेव ने देवबंद अधिवेशन में वन्दे मातरम विरोधी प्रस्ताव पर मूक दर्शक बने रहे।१२ मई २०१२ को भाजप की भाषा का अपरोक्ष प्रयोगकर अन्य हिन्दू विरोधी दलों की तरह पाकिस्तान ले चुके खंडित हिन्दुस्थान के आश्रयार्थी मुसलमानों को आर्थिक आधार पर आरक्षण का भाजप प्रस्ताव बाबा ने रखा है. रामदेव इस विषय का अध्ययन करे. देश की वर्तमान स्थिति में वीर सावरकरजी का सन्देश आज भी प्रेरक है. देश हिन्दू राजनीती की प्रतीक्षा कर रहा है.धर्मान्तरितो का दलितत्व अभी समाप्त नहीं हुवा है तो उनके शुध्दिकरण का मार्ग खुला है ! हम शुध्दिकरण करेंगे !                                                                                                              संघ-सभा के पूर्व नेतृत्व सावरकर विरोधी गोलवलकर का व्यक्ति वर्चस्ववाद का दुष्परिणाम अखंड हिन्दुस्थान को अनचाहे भुगतना पड़ा. इस वर्तमान कालखंड में गठबंधन की राजनीती में भाजप NDA नहीं छोड़ेगी.हिंदूवादी प्रत्याशी संयुक्त रूपसे " हिन्दू संसद " के निर्माण के लिए हिंदूवादी पक्ष-संगठन की सहाय्यता से अखंड पाकिस्तान के षड्यंत्र को रोक नहीं पाई तो हमें हमारे वीर पुरुषोंके, धर्म रक्षकोंके, धर्माचार्यो ,समाज सुधारकोंके नाम का जयकार करने का भी अधिकार नही रहेगा और उन्होंने जो निःस्वार्थ भूमिका में त्याग-बलीदान-बंदिवास-उपेक्षा झेलकर जो स्वाधीनता प्रदान की है वह निःष्फल हो जाएगी.लव जिहाद और बढती राष्ट्रद्रोही जनसँख्या-घुसपैठ त्रासदी बनी है. हमारा दायित्व है आनेवाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित अखंड हिन्दुराष्ट्र और समानता के लिए "सर्व दलीय हिन्दू संसद " बनाये !

Saturday 28 July 2012

वर्ण व्यवस्था कर्माधारे थी,जो जन्मजात व्यवस्था बनी l सनातन धर्म से उपजे सभी गैर हिन्दूओ में भी जातीयता है ! ll असत्यमेव पराजयते ll


                           वर्ण व्यवस्था कर्माधारे थी,जो जन्मजात व्यवस्था बनी l
                           सनातन धर्म से उपजे सभी गैर हिन्दूओ में भी जातीयता है !
                                                   ll  असत्यमेव पराजयते ll      जाति व्यवस्था केवल हिन्दुओँ मेँ पायी जाती है ? हिन्दुओँ मेँ वंश जानने गोत्र-प्रवर बनाये गए थे। जिससे  लोग ब्लड रीलेशन (रक्त संबंधियों से) मेँ विवाह करने से बचे।दुसरा कारण,लोगोँ को आइडेँटी (परिचय) देने का माध्यम बने।इससे कार्य और क्षेत्र का भी पता चल जाये । भेदभाव,छुआछुत-जाति,संप्रदाय हर प्रमुख धर्मोँ मेँ है परन्तु, अन्य धर्मोँ मेँ वैज्ञानिक या तर्कशास्त्र आधारित ग्रन्थ नहिँ मिलता ; जो है, वह सनातन ग्रंथों को आधार बनाकर संशोधन हुवा है।अन्य पंथ-धर्म आस्थाओँ के आधार पर विभाजित हैँ ।सनातनी धर्म की अनेक जातिया होकर भी सभी आस्थाओँ को समान रूप में स्वीकारते हैँ ।

# ख्रिश्चन धर्म मेँ बहोत से चर्च है।जो, मुख्यतः 7 संप्रदायोँ मेँ विभक्त हैँ और ये 7 संप्रदाय भी अन्य उपसंप्रदायोँ मेँ विभक्त होते हैँ । जैसे,
1)Catholic 2)Orthodox 3)Lutheran 4)Reformed/Presbyterian
5)Anglican/Episcopalian 6)Methodist/Wesleyan 7)Baptist
      यहां कौन किस चर्च में जायेगा यह निर्धारित होता है। छोटी जाती के या छोटी जाती से धर्मांतरित ख्रिश्चन होकर भी किसी भी चर्च में नहीं जा सकते।सभी की पूजा पध्दती भिन्न पाई जाती है।इनमे मान्यताओँ का तुलनात्मक अध्ययन
http://www.religionfacts.com/christianity/charts/denominations_beliefs.htm

http://en.m.wikipedia.org/wiki/List_of_Christian_denominations
इन लिंक में देखा जा सकता है।
# मुस्लिमोँ मेँ जाति व्यवस्था जो प्रमुखतः अशरफ ,अजलफ ,अरजल जातिओँ मेँ बंटा है और इसकी अनेक उप जातियां भी हैँ।शिया,सुन्नी,अहमदिया जैसे 73 संप्रदाय भी हैँ ।ये जाति और संप्रदाय केवल अपनी जातियोँ या संप्रदायोँ मेँ हि सम्बन्ध बनाते या रखते हैँ इनकी धार्मिक मान्यताओँ मेँ भी अंतर पाया जाता है।यह लोग एक दुसरे को काफिर ठहराते फिरतेँ हैँ ।सन्दर्भ-
http://m.facebook.com/note.php?note_id=347461641965768
.
http://en.m.wikipedia.org/w/index.php?title=List_of_Muslim_Other_Backward_Classes_communities&mobileaction=view_normal_site
   यह कथन आवश्यक है कि, इक्ष्वाकु कुल की रघुकुल शाखा में प्रभु श्रीराम तो,इक्ष्वाकु कुल की लिछवी शाखा में भगवान गौतम बुध्द का आविर्भाव हुवा और प्रभु श्रीराम पुत्रों के वंश में आद्य गुरु श्री नानकदेव कालूराम बेदी और दशम गुरु श्री गोबिन्दसिंग तेगबहादुर सोढ़ी जी का प्राकट्य हुवा।सभी वैष्णव पंथी क्षत्रिय थे।
# हिन्दू पंथ सिक्ख मेँ भी जाति व्यवस्था
     दशम गुरूजी ने एकत्मिकता स्थापित करने के पश्चात् भी 4 वर्णोँ मेँ बंटा हुआ है ।यहां भी केवल अपने संबंधितो में ही विवाह संबंध किया जाता है ।देखिये,
http://www.sikhcastes.faithweb.com/whats_new.html

# हिन्दू पंथ बौद्धोँ कि जाति व्यवस्था जो प्रमुखतः 3 प्रमुख संप्रदायोँ महायान ,हीनयान और वज्रयान मेँ बंटा हुआ है।इनके सैँकडोँ मठ या उपसंप्रदाय है जो अलग अलग पुजा पद्धतिओँ और मान्यताओँ में विश्वास रखते है ।सन्दर्भ-
http://m.facebook.com/note.php?note_id=333913793320553&refid=21
                                                                           --0--                                                                                                                                                                                     facebook Ref.by Sandeep Bansal 9 जुलाई 12 जो लोग "सत्यमेव जयते" कार्यक्रम में अभिनेता आमिर ख़ान की कुटिल चालों के चलते यह सोच रहे हैं की जातिवाद और छुआछूत हिंदू धर्म ग्रंथों की देन है तो वह मिथ्या प्रचार कर रहा है। क्यूंकी, जातिवाद के आधार पर एक दूसरे को नीचा दिखाने को वेदों में कहीं नही कहा गया है।हां वेद सभी मनुष्य-मानव जाती को समान मानते हैं जिसका उदाहरण वेदों के निम्न श्लोकों में हैं ;
यजुर्वेद १८ | ४८
हे भगवान ! हम ब्राह्मणों में, क्षत्रियों में, वैश्यों में तथा शूद्रों में ज्ञान की ज्योति प्रदान करे। मुझे भी वही ज्योति प्रदान कीजिये ताकि मैं सत्य के दर्शन कर सकूं |
यजुर्वेद २० | १७
जो अपराध हमने गाँव, जंगल या सभा में किए हों, जो अपराध हमने इन्द्रियों द्वारा किए हों,जो अपराध हमने शूद्रों में और वैश्यों में किए हों और जो अपराध हमने धर्म में अधर्म कृत्य किए हों, कृपया उसे क्षमा कीजिये और हमें अपराध की प्रवृत्ति से छुडाइए |
यजुर्वेद २६ | २
हे मनुष्यों ! जैसे मैं, इस वेद ज्ञान को पक्षपात के बिना आप मनुष्यमात्र के लिए उपदेश करता हूं, इसी प्रकार आप सभी इस ज्ञान को ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र,वैश्य, स्त्रियों के लिए तथा जो अत्यन्त पतित हैं उनके भी कल्याण के लिये दो | विद्वान और धनिक मेरा त्याग न करें |
अथर्ववेद १९ | ३२ | ८
हे ईश्वर ! मुझे ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र और वैश्य सभी का प्रिय बनाइए | मैं सभी से प्रसंशित होऊं |
अथर्ववेद १९ | ६२ | १
सभी श्रेष्ट मनुष्य मुझे पसंद करें | मुझे विद्वान, ब्राह्मणों, क्षत्रियों, शूद्रों, वैश्यों और जो भी मुझे देखे उसका प्रियपात्र बनाओ |
इन वैदिक प्रार्थनाओं से विदित होता है कि -
-वेद में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र चारों वर्ण समान माने गए हैं |
-सभी के लिए समान प्रार्थना है तथा सभी को समानता का सम्मान दिया गया है |
-और सभी अपराधों से छूटने के लिए की गई प्रार्थनाओं में शूद्र के साथ किए गए अपराध भी समाविष्ट हैं |
-वेद के ज्ञान का प्रकाश समभाव रूप से सभी को देने का उपदेश है |
-यहां ध्यान देने योग्य है कि इन मंत्रों में शूद्र शब्द वैश्य से पहले आया है,अतः स्पष्ट है कि न तो शूद्रों का स्थान  अंतिम है और ना ही उन्हें कम महत्त्व दिया गया है |
इस से सिद्ध होता है कि वेदों में शूद्रों का स्थान अन्य वर्णों की ही भांति आदरणीय है और उन्हें समान सम्मान प्राप्त है और हिंदू संस्कृति जातियाधारित भेदभाव का खंडन करती है यह केवल क्षीण मानसिकतावाले लोगों की देन है।

http://agniveer.com/caste-vedas-hi/
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अखिल भारत हिन्दू महासभा पूर्व राष्ट्रिय प्रवक्ता द्वारा प्रसारार्थ :-                                                                        हिन्दू युवातियोंसे विवाह कर तलाक देनेवाला ABP News का अम्बेसेडर आमिर यह जाने की,कश्मीर में सामाजिक विषमता के कारन हिन्दुओ का हो रहा धर्मान्तरण रोकने के लिए श्री.श्रीभट्ट ने कश्मीरी समुदाय को " पंडित " बनाया.अछुतोंका धर्मान्तरण रोकने सामाजिक विषमता का लाभ इस्लामिस्टोंको न मिले इसलिए हिन्दू महासभा नेता हुतात्मा स्वामी श्रध्दानंदजी ने शुध्दिकरण की योजना बनायीं उसे रोकने के लिए उनकी हत्या रशीद अली ने चांदनी चौक-दिल्ली में की थी.१९२४ पुणे सम्मेलन में हिन्दू महासभा ने मंदिर में सभी को प्रवेश खुलाकर गर्भगृह में केवल पुजारी जायेंगे ऐसा प्रस्ताव पारित किया था.पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूर्व अछूतों के साथ प्रवेश किया.सावरकर जी ने रत्नागिरी स्थानबध्दता में सजातीय विरोध का सामना कर पतित पावन मंदिर बनाया और वहा पूर्व अछूत शिवा को पुजारी बनाया.समाज सुधारक स्वर्गीय विट्ठल रामजी शिंदे जी ने उनका रत्नागिरी में कार्य देखकर सन्मान जनक वक्तव्य किया.डॉक्टर आम्बेडकरजी ने सावरकरजी की अनिर्बंध्द मुक्तता पर दिनांक ११ मई १९३७ दैनिक जनता में स्वागत-सन्मान पर लेख लिखा.क्या आमिर यह जानते है,डॉक्टर आम्बेडकरजी को दौलताबाद के मंदिर में जानेसे मुस्लिम चौकीदार ने रोका,पानी लेनेसे मना किया इसलिए १९३६ येवला में धर्मान्तरण की घोषणा की थी.हिन्दू महासभा नेता धर्मवीर डॉक्टर मुंजेजी ने उनकी भेट कर धर्मान्तरण से रोका और सावरकरजी की चिट्ठी के अनुसार २० वर्ष पश्चात् सन 1956 के दशहरा के दिन नागपुर में मतान्तरण किया.ऐसा उल्लेख दीक्षा देने आये कुशीनगर के चंद्रमणिजी ने किया है।
        हिन्दू समाज में छुवाछूत की भावना को ओपरेशन थेटर में डोक्टर जिस प्रकार शुध्दी का पालन करते है उस ही भावना से था.यह सच है की,कर्म न करनेवाले जन्मजात ब्राह्मणों ने इसका अतिरेक किया. परन्तु, दोष एक समाज पर मढ़कर निर्मूलन नहीं होगा.सभी को मंदिर प्रवेश के लिए आंदोलित होना चाहिए.किसी एक जाती की कर्म व्यवस्था नीच कर्म की है तो भी स्नानोपरांत सूचित भाव और वस्त्र के साथ प्रवेश करनेवालोंको कोई जाती पूछकर मंदिर में जानेसे नहीं रोकता.यही वास्तविकता है. हिन्दुओ में एकात्मता स्थापित न हो इसलिए राष्ट्रवाद को न माननेवाले मुस्लमान संविधानिक समान नागरिकता का विरोध करते है.उसके लिए आमिर खान कांग्रेस को राष्ट्रीयता में विषमता फैलानेवाली राजनितिक सोच को बदलने को कभी कहेंगे ? समान नागरिकता लागु होगी तो कोई किसी को विद्वेष से नहीं देखेंगे. धर्म परायण तथा धर्म रक्षक समाज को अपमानित करने का (१९४७ में प्रकाशित इस्लामी मानसिकता का पत्र) पूर्व नियोजित हिंदुत्व विरोधी षड्यंत्र स्पष्ट हो चूका है. जो हिन्दू विरोधी वाहिनिया राजनितिक आश्रय से इसे प्रोत्साहित कर रही है।

Sunday 22 July 2012

हिन्दू महासभा की जन्मपत्री

      हिन्दू सभा की स्थापना लाहोर में पंजाब महाविद्यालय के संस्थापक बाबु नवीनचंद्र राय और राय बहादुर चन्द्रनाथ मित्र ने सन 1882 बैसाखी को की।
       अखिल भारत हिन्दू महासभा की स्थापना हरिद्वार में पंडित मदन मोहन मालवीय तथा लाला लाजपत राय जी ने कुम्भ पर्व पर मंगलवार 13 अप्रेल 1915 को प्रातः 8:59:39 पर वृष लग्न पर हुई। 22 अंश 7कला थी।
        5 जून 2003 से 5 जून 2019 गुरु की महादशा 
वरिष्ठ ग्रहोंका संचार
प्लूटो :- राजनितिक ग्रह प्लूटो का संचार 1953 तक ठीक था। 6 दिसंबर 1992 से प्लूटो हिन्दू महासभा के पक्ष में चल रहा है।सन 2019 तक प्रबल रहेगा,2050 बाद भी दीर्घ काल तक पक्ष में रहेगा।
नेपच्यून:-2036 तक पक्ष में
हर्शल:-1980 से अप्रेल 2017 तक पक्ष में यही समय है सत्ता प्राप्ती का
               6 दिसंबर 1992 को श्रीराम जन्मस्थान मंदिर गिराए जाने से लेकर 2017 तक तीनो ग्रह हिन्दू महासभा के पक्ष में है। मंदिर पुनर्निर्माण के लिए, मीर बांकी द्वारा 23 मार्च 1528 को मंदिर गिराए जाने से पूर्व से अधिपत्यधारी श्री पंच रामानंदीय निर्मोही अखाडा-रामघाट अयोध्या का निःस्वार्थ साथ देकर मंदिर ध्वंसियो को गिरफ्तार करना चाहिए।
              रुढ़िवादी परंपरागत हिंदुत्व को सुधारवादी-क्रांतिकारी विचारों का स्वीकार से लाभ।
             प्रबल राज्यशक्ति हिन्दू महासभा को उभरने से रोक रही है।
*राज्यकारक सूर्य की चन्द्र,बुध और मंगल से युति है।
*मंगल न केवल राज्यस्थानेश शनि से पूर्ण संबंध रखता है अपितु,राजयोग के कारक सूर्य से तथा गुरु से संबंध रखता है।इसका संबंध बुध से भी है। अर्थ स्पष्ट है,हिन्दू महासभा को बलपूर्वक रोका  गया है। हिन्दू महासभा निष्ठों को अंतर्गत विवाद में उलझाकर असंगठित करने का षड्यंत्रकारी प्रयास जारी है।उससे उभरकर संगठित बल से हिन्दू महासभा आगे बढ़ेगी-पं.श्री.विश्वनाथ जी-फरीदाबाद
*भृगु संहिता के अनुसार-दीर्घ काल में भाग्य का लाभ,प्रत्येक कार्य में व्यवधान,गुप्त शत्रु के कारण अपयश के पश्चात् लाभ
*कालसर्प शांति ,अनुष्ठान पूर्वक महामृत्युंजय जाप,
*ताम्बे के कलश में स्वर्णमृग रखकर गोघृत भर कर ब्राह्मण को दान,शिव जी के आपदुध्दारण मन्त्र का जाप महाविष्णु का स्मरण कर क्षमा और दान,पंचमेश-लाभेश की पूजा।
         हिन्दू संसद के लिए यह आवश्यक