Friday, 25 March 2016

भारतमाता की जय !

अखण्ड भारत में स्वतंत्रता के लिए हिन्दू,मुसलमानो ने जयकारा लगाया था। वन्देमातरम सभी जाती पंथ के लोगो ने गाया था।
विभाजनोत्तर भारत संविधानिक समान नागरिकता के अभाव में हिन्दुराष्ट्र है ! क्योकि,अल्पसंख्या के आधारपर विभाजन हो चूका है। अक्टूबर १९४७ में AMU प्रोफ़ेसर कमरुद्दीन खान ने अखण्ड पाकिस्तान की योजना बनाई है। ऐसे में,अनेक स्तरपर मुस्लिम परस्त राजनीती और राष्ट्रीयता में विषमता का लाभ उठाकर अलगाववादी धार्मिक आदेश का हवाला देकर वन्देमातरम या भारतमाता की जय को संविधानिक आदेश के विपरीत कहकर यह राष्ट्रद्रोह नहीं ? कहा जा रहा है।
जमात ए इस्लाम के संस्थापक मौ.मौदुदी लिखते है,'राष्ट्रीयता के प्रति प्रेम बढ़ता है तो,इस्लाम का विकास नहीं होगा !' मदरसों में यही कुराण की आयते पढाई जाती है। विश्व में गैर इस्लामी इनका शत्रु है और शत्रु देश को इस्लामी बनाना और इस्लाम बहुल राष्ट्र में शरिया लागु करना इनका उद्देश्य है ! संविधानिक समान नागरिकता इन्हें स्वीकार नहीं राष्ट्रीयता में अलगाववाद की जड़ यही है।विश्व में इस्लामी साम्राज्यवाद आतंक की छाया में विस्तारित हो रहा है। भारत में कश्मीर को लेकर वामपंथी ,कॉंग्रेसी,आप की एक भाषा है तो,अलगाववादियों की समर्थक PDP के साथ भाजप प्रांतीय सरकार बना बैठी है।
इसलिए हर गाव-नगर में राष्ट्रीयता में विषमता समाप्त करनेवाले पतित पावन मंदिर बनाकर उसमे केवल "भारत माता" की मूर्ति या छायाचित्र लगाकर सम्पूर्ण वन्दे मातरम से १-२ समय आरती हो ! यह मांग हिन्दू महासभा २७ मार्च २०१२ से कर रही है।
सावरकर जी ने रत्नागिरी के स्थानबध्द कार्यकाल में पतितोध्दार,अछुतोंको मंदिर प्रवेश के लिए पतित पावन मंदिर का निर्माण कर पुर्वाछुत पुजारी शिवा को नियुक्त किया था.आज की स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया।देश में छुआछूत को त्यागकर समान नागरिकता का आधार बनना चाहिए ! भारतमाता की जय तब होगी ! नहीं माने उसकी नागरिकता समाप्त क्योकि,आश्रयर्थियो के लिए देश के स्वामी को हिंदुत्व और हिन्दुराष्ट्र से कोई रोक नहीं सकता !

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