ग़दर क्रांतिकारी गणेश दामोदर उपाख्य बाबाराव सावरकरजी ने, लोर्ड इरविन की विशेष ट्रेन को बम लगाकर उडाने का असफल प्रयास करनेवाले सरदार भगत सिंह के सहयोगी लखनौ निवासी यशपाल को ५० सहस्त्र रुपये और देसी पिस्तौल पकड़ाकर, " जैसे भी हो सके बै.जिन्ना को गोली मारकर ख़त्म कर दो ! वर्ना यह देश खंडित हो जायेगा,जिन्ना पाकिस्तान बनाये बिना माननेवाला नहीं और गाँधी-नेहरू यों ही थोथी बयानबाजी करते रहेंगे और देश बाँट जायेगा." कहा था। दुर्भाग्यवश कोमरेड बने यशपाल ने अपनी असमर्थता व्यक्त की।
काकोरी कांड में काला पानी पर गए क्रांतिकारी शचिन्द्रनाथ बक्षी कहते थे," हम चुक गए,बड़ी भूल कर गए कि,जो दो और गोलिया खर्च न की.अगर हम जिन्ना को गोली मार देते तो,यह पाकिस्तान कदापि न बनता !"
यदि जिन्ना को मृत्यु दंड मिल जाता तो क्या पाकिस्तान बनता ? गाँधी अखिल भारत हिन्दू महासभा संस्थापक मालवीयजी का मार्च १९२० तक रहा साथ मोतीलाल नेहरू के द्वारा छोड़े गए सी आर दास के दबाव में न छोड़ते तो क्या अखंड भारत विभाजित होता ? पटना में कांग्रेस विसर्जन की मांग कर रहे बैरिस्टर गाँधी की हत्या होती ? पंडित नथुराम को राष्ट्रभक्ति के संताप में वध जैसा जघन्य कृत्य करने के लिए गाँधी का चुनाव करना पड़ता ? मात्र नेहरू-पटेल-मोरारजी देसाई को वध के लिए हो रहे षड्यंत्र की जानकारी थी। कांग्रेस विसर्जन की मांग के पक्षधर गांधी फिर अनशन न करे इसलिए उन्हें कांग्रेस नेताओं ने सुरक्षा नहीं दी ? जिन्ना मर जाता तो,गांधी बचते !
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