चार नार्को टेस्ट में निर्दोष निकली कर्करोग पीड़ित अभिनव भारत नेत्री साध्वी प्रज्ञासिंग को न्याय क्यों नही मिल रहा था ? सर्वोच्च न्यायालय ने निचले न्यायालय को एक महीने में बेल की सूचना की है। सोश्यल मिडिया पर हिन्दू महासभा समर्थक दिन रात निर्दोष प्रज्ञासिंग की मुक्ती के लिए प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री को आवाहन कर रहे थे। उसे कारागार में बंद रखकर कभी समझौता एक्स्प्रेस ब्लास्ट में,कभी बेची हुई मोटर सायकल, कभी मालेगाव से जोड़कर रखा हुआ है। साध्वी की मुक्ती के लिये क्या सफदर नागौरी की प्रतीक्षा थी ?
CNN-IBN TV channel कि १३ अप्रेल २०१३ की रिपोर्ट, जिसमें साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बारे में बताया गया कि कैसे जांच करनेवाले अधिकारीयों के उत्पिडन से उनके आधे शरीर को लकवा मार गया है और वो एक समय आत्महत्त्या का प्रयास भी कर चुकी हैं। उनके भाई ने बताया कि जेल में चार लोगों ने घेरकर उनकी इतनी पिटाई की कि, उनका एक फेफड़ा तक उससे फट गया .............. .......और रिपोर्ट में ये भी बताया गया की इतने महीनों से उन्हें प्राणीयो की भांती रखा जा रहा है जेल में, और विशेष तो यह है कि,अब तक उनके ऊपर एक भी आरोप प्रमाणित नही हुए है। प्रज्ञा और पुरोहित के पास क्या मिला ? आसिमानंद को जबरन हस्ताक्षर लेकर फ्रेम किया जा रहा है यह आरोप हम निम्न आधारपर कर रहे है।
* एस.गुरुमूर्ति का लेख:-*चेन्नई से प्रकाशित होनेवाले ‘न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ के २४ जनवरी के अंक में प्रकाशित हुआ है। मुख्यत: भारत-पाकिस्तान के बीच चलनेवाली ‘समझौता एक्सप्रेस’में हुए बम विस्फोट और उसके लिए लम्बे अन्तराल पश्चात् सरकारी जांच यंत्रणा ने तथाकथित हिंदू आतंकवादियों को धर दबोचने के विषय में लिखा है।
‘‘२० जनवरी २०१३ को, जयपुर में कांग्रेस के तथाकथित चिंतन शिबिर में पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद और मालेगाव में हुए बम विस्फोट के लिए हिन्दुओ को जिम्मेदार बताया था। शिंदे का वक्तव्य प्रसिद्ध होने के दूसरे ही दिन लष्कर-ए-तोयबा का नेता हफीज सईद ने संघ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।अत: सईद की इस मांग के लिए शिंदे ही जिम्मेदार हो सकते थे।क्यो कि,ऐसा प्रकट हो रहा है कि,काँग्रेस के इशारेपर आतंकी हमले होते है। या हमले की पूर्व सूचना इनको होती है। अब हम इस बम विस्फोट के तथ्यों पर विचार करेंगे !’’
‘‘संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा समिति ने २९ जून २००९ को पारित किए प्रस्ताव में यह कहा है कि, *‘२००७ के फरवरी में समझौता एक्सप्रेस में जो बम विस्फोट हुए उसके लिए लष्कर-ए-तोयबा का मुख्य समन्वयक कासमानी अरिफ जिम्मेदार है।’* इस कासमानी को दाऊद इब्राहिम कासकर ने आर्थिक सहायता की थी। दाऊद ने ‘अल् कायदा’को भी धन की सहायता की थी। इस सहायता के ऐवज में* समझौता एक्सप्रेस पर हमला करने के लिए ‘अल् कायदा’ने ही आतंकी उपलब्ध कराए थे।"* पाकिस्तान की गोद में बैठे दाऊद के प्रशंसक अब बताओ हिंदू आतंकवाद कहासे आया ?
सुरक्षा समिति का यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र संघ की वेब साईट पर भी उपलब्ध है ! दो दिन पश्चात् अर्थात दि. १ जुलाई २००९ को अमेरिका के (युएसए) कोषागार विभाग (ट्रेझरी डिपार्टमेंट) ने एक सार्वजनिक पत्रक में कहा है कि," अरिफ कासमानी ने बम विस्फोट के लिए लष्कर-ए-तोयबा के साथ सहयोग किया।" *अमेरिका ने अरिफ कासमानी सहित कुल चार पाकिस्तानी नागरिकों के नाम भी घोषित किए है। अमेरिकन सरकार के इस आदेश का क्रमांक १३२२४ है और वह भी अमरीकी सरकारी वेब साईट पर उपलब्ध है।’’*
‘‘संयुक्त राष्ट्रसंघ और अमेरिका ने लष्कर-ए-तोयबा तथा कासमानी के विरुद्ध कारवाई घोषित करने के उपरांत , छ: माह पश्चात् पाकिस्तान के पूर्व *गृहमंत्री रहमान मलिक ने कहा कि *, 'पाकिस्तान के आतंकवादी,समझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट में शामिल थे।परंतु ,ले.कर्नल पुराहित ने पाकिस्तान में रहनेवाले आतंकवादियों को इसके लिए सुपारी दी थी।(? हास्यास्पद ) ' (संदर्भ – ‘इंडिया टुडे’ ऑन लाईन,२४ जनवरी २०१०)
‘‘संयुक्त राष्ट्रसंघ या अमेरिका अथवा पाकिस्तान के गृहमंत्री की भी बात छोड़ दो,अमेरिकाने इस विषय की एक स्वतंत्र यंत्रणा से जांच की, उसमें से और कुछ तथ्य सामने आये है। लगभग १० माह बाद सेबास्टियन रोटेल्ला इस खोजी पत्रकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि,"समझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट में डेव्हिड कोलमन हेडली का भी हाथ था।" और यह उसकी तीसरी पत्नी फैजा आऊतल्लाह ने अपने कबुलनामें में बताया है। रोटेल्ला के रिपोर्ट का शीर्षक है, ‘२००८ में मुंबई में हुए बम विस्फोट के बारे में अमेरिकी सरकारी यंत्रणा को चेतावनी दी गई थी।’
रोटेल्ला आगे कहते है कि,‘ मुझे इस हमले में घसीटा गया है, ऐसा फैजा ने कहा है।’ (वॉशिंग्टन पोस्ट दि.५ नवम्बर २०१०) २००८ के अप्रेल में लिखी अपनी जांच रिपोर्ट के अगले भाग में रोटेल्ला कहते है कि, ‘‘फैजा,* इस्लामाबाद में के (अमेरिकी) दूतावास में भी गई थी और '२००८ में मुंबई में विस्फोट होगे !' ऐसी सूचना भी उसने दी थी।’’*
‘‘सन् २००७ में,* समझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट *के मामले की जांच के चलते समय ही, *इस हमले में ‘सीमी’ *(स्टुडण्ट्स इस्लामिक मुव्हमेंट ऑफ इंडिया) * का भी सहभाग था*, ऐसे प्रमाण मिले है। ‘इंडिया टुडे’ के १९ सप्तम्बर २००८ के अंक में के समाचार का शीर्षक था ‘मुंबई में रेलगाडी में हुए विस्फोट और समझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट में पाकिस्तान का हाथ ! सफदर नागोरी’ उस समाचार में लष्कर-ए-तोयबा और पाकिस्तान के सहभाग का पूरा ब्यौरा दिया गया है। ‘सीमी’ के नेताओं की नार्को टेस्ट भी की गई, उससे यह स्पष्ट होता है। *इंडिया टुडे के समाचार के अनुसार,* सीमी के महासचिव सफदर नागोरी, उसका भाई कमरुद्दीन नागोरी और अमील परवेज की नार्को टेस्ट बंगलोर में अप्रेल २००७ में की गई थी। इस जांच के निष्कर्ष ‘इंडिया टुडे’ के पास उपलब्ध है। उससे स्पष्ट होता है कि, भारतीय राष्ट्रद्रोही सीमी के कार्यकर्ताओं ने, सीमापार के पाकिस्तानियों की सहायता से, यह बम विस्फोट किए थे। उनके नाम एहतेशाम और नासीर यह सिमी कार्यकर्ताओं के नाम है। उनके साथ कमरुद्दीन नागोरी भी था।
पाकिस्तानियों ने, सूटकेस कव्हर इंदौर के कटारिया मार्केट से खरीदा था। इस जांच में यह भी स्पष्ट हुआ है कि, उस सूटकेस में पांच बम रखे गए थे और टायमर स्विच से उनका विस्फोट किया गया।’’
‘‘यह सभी प्रमाण समक्ष होते हुए भी महाराष्ट्र का पुलीस विभाग, इस दिशा से आगे क्यों नहीं बढा ? ऐसा प्रश्न निर्माण होना स्वाभाविक है। महाराष्ट्र पुलीस विभाग के कुछ लोगों को समझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट का मामला कैसे भी करके मालेगाव बम विस्फोट से जोड़ना था ? ऐसा प्रतीत होता है। क्या राजनीतिक दबाव था ? तो,वह कौन थे यह स्पष्ट होना चाहिये. महाराष्ट्र के दहशतवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने, अपने अधिवक्ता के माध्यम से, विशेष न्यायाधीश को बताया था कि, "मालेगाव बम विस्फोट मामले के आरोपी कर्नल पुरोहित ने ही समझौता एक्सप्रेस के बम विस्फोट के लिए आरडीएक्स उपलब्ध कराया था।"परंतु,* ‘नॅशनल सेक्युरिटी गार्ड’ इस केन्द्र सरकार की यंत्रणा ने बताया था कि*,"समझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट में आरडीएक्स का प्रयोग ही नहीं हुवा ! पोटॅशियम क्लोरेट और सल्फर इन रासायनिक द्रव्यों का उपयोग किया गया था।"और तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री श्री शिवराज पाटील ने भी इस विधान की पुष्टी की थी। मजे की बात तो यह है कि, उसी दिन १७ नवम्बर २००८ को दहशतवाद विरोधी दस्ते के अधिवक्ता ने भी अपना पूर्व में दिया बयान वापस लिया था।परंतु,अवसरवादी पाकिस्तान ने तत्काल घोषित किया की, 'सचिव स्तर की बैठक में समझौता एक्सप्रेस पर हुए हमले में कर्नल पुरोहित के सहभाग का मुद्दा उपस्थित किया जाएगा।' अंत में *२० जनवरी २००९ को दशतवाद विरोधी दस्ते ने अधिकृत रूप में मान्य किया कि,'समझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट के लिए कर्नल पुरोहित ने आरडीएक्स उपलब्ध नहीं कराया था।' फिर भी समझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोट आरोप को लष्कर-ए-तोयबा और ‘सीमी’ से ध्यान हटाकर कर्नल पुरोहित और उसके द्वारा भगवा रंग-हिन्दू आतंकवाद से जोड़ा गया !
मात्र २६/११ मुंबई हमले पूर्व की सूचना होते हुए भी उसे रोकने में शिथिलता दिखानेवाली महाराष्ट्र पुलीस यंत्रणा और सत्ताधारी राजनितिक दलोपर दाऊद इब्राहिम का प्रभाव होने का यह प्रमाण है ? और इसकी भी जांच होनी चाहिए कि,कौन से दल के नेता राष्ट्रद्रोही आतंकवादीयो को राजाश्रय देते है।
वही पाकिस्तान भारत विरोधी गतिविधी में लिप्त आतंकी जिनपर अमेरिका तक ने प्रतिबन्ध लगाया हो वह कारागार से छूट रहे है। और हमारी न्याय व्यवस्था राजनितिक दबाव में कार्यरत थी ! ऐसा प्रतीत होता है।
प्रज्ञासिंग,कर्नल पुरोहित जल्द निर्दोष मुक्त हो यही कामना !
Ref.By Shri M.G.Vaidya
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