गाँधी गो हत्या विरोधी थे,यह भ्रम है.अनेक बार गो हत्या का समर्थन कर उसे मुसलमानों का धार्मिक अधिकार माना था, जब की कुराण में मादी पशु हत्या प्रतिबंधित है."धर्म पालन"भाग-२ पृष्ठ १३५ ले.मो.क.गाँधी सस्ता साहित्य मंडल नई दिल्ली के शीर्ष प्रकरण में लिखा है,'गो हत्या बंद करने का मतलब अहिंदुओ के साथ जबरदस्ती करना होगा.' राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद को गो हत्या प्रतिबन्ध के लिए देश से आये पत्रों का उल्लेख कर गाँधी लिखते है," हिन्दुस्थान में गो हत्या रोकने के लिए कोई कानून नहीं बन सकता. हिन्दुओ को गाय का वध करने की मनाई है , इसमें मुझे कोई शक नहीं.मगर जो मेरा धर्म है, वही हिन्दुस्थान में रहने वाले सब लोगो का हो, यह कैसे हो सकता है? इसका मतलब जो लोग हिन्दू नहीं है उनके साथ जबरदस्ती करना होगा. ..... भारतीय यूनियन में अकेले हिन्दू तो है नहीं,यहाँ मुसलमान -ईसाई आदि सभी लोग रहते है.हिन्दुओ का यह कहना की अब हिन्दुस्थान हिन्दुओ की भूमि बन गयी है,बिलकुल गलत है.अतः मै तो यही सलाह दूंगा कि,विधान परिषद् पर इसके लिए जोर न डाला जाये."
मुसलमानों को गो मांस खाने का पूर्ण अधिकार मानते हुए "प्रताप"लाहोर २९ दिसंबर १९२४ के अंक में लिखते है,"मै एक कट्टर सनातनी हूँ परन्तु, एक मुसलमान को अधिकार दूंगा कि यदि उसका विश्वास है तो निःसंदेह वह गाय का मांस खाए.यदि कुराण किसी मुसलमान को गो वध की शिक्षा देता है तो मै कौन हूँ जो उसे जबरदस्ती मना करू.अगर मै ऐसा करूँगा तो अपने मजहब के खंडन का कारन बन जाऊंगा."
- written by Pramod Pandit Joshi Hindu Mahasabha
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