Saturday 28 July 2012

वर्ण व्यवस्था कर्माधारे थी,जो जन्मजात व्यवस्था बनी l सनातन धर्म से उपजे सभी गैर हिन्दूओ में भी जातीयता है ! ll असत्यमेव पराजयते ll


                           वर्ण व्यवस्था कर्माधारे थी,जो जन्मजात व्यवस्था बनी l
                           सनातन धर्म से उपजे सभी गैर हिन्दूओ में भी जातीयता है !
                                                   ll  असत्यमेव पराजयते ll      जाति व्यवस्था केवल हिन्दुओँ मेँ पायी जाती है ? हिन्दुओँ मेँ वंश जानने गोत्र-प्रवर बनाये गए थे। जिससे  लोग ब्लड रीलेशन (रक्त संबंधियों से) मेँ विवाह करने से बचे।दुसरा कारण,लोगोँ को आइडेँटी (परिचय) देने का माध्यम बने।इससे कार्य और क्षेत्र का भी पता चल जाये । भेदभाव,छुआछुत-जाति,संप्रदाय हर प्रमुख धर्मोँ मेँ है परन्तु, अन्य धर्मोँ मेँ वैज्ञानिक या तर्कशास्त्र आधारित ग्रन्थ नहिँ मिलता ; जो है, वह सनातन ग्रंथों को आधार बनाकर संशोधन हुवा है।अन्य पंथ-धर्म आस्थाओँ के आधार पर विभाजित हैँ ।सनातनी धर्म की अनेक जातिया होकर भी सभी आस्थाओँ को समान रूप में स्वीकारते हैँ ।

# ख्रिश्चन धर्म मेँ बहोत से चर्च है।जो, मुख्यतः 7 संप्रदायोँ मेँ विभक्त हैँ और ये 7 संप्रदाय भी अन्य उपसंप्रदायोँ मेँ विभक्त होते हैँ । जैसे,
1)Catholic 2)Orthodox 3)Lutheran 4)Reformed/Presbyterian
5)Anglican/Episcopalian 6)Methodist/Wesleyan 7)Baptist
      यहां कौन किस चर्च में जायेगा यह निर्धारित होता है। छोटी जाती के या छोटी जाती से धर्मांतरित ख्रिश्चन होकर भी किसी भी चर्च में नहीं जा सकते।सभी की पूजा पध्दती भिन्न पाई जाती है।इनमे मान्यताओँ का तुलनात्मक अध्ययन
http://www.religionfacts.com/christianity/charts/denominations_beliefs.htm

http://en.m.wikipedia.org/wiki/List_of_Christian_denominations
इन लिंक में देखा जा सकता है।
# मुस्लिमोँ मेँ जाति व्यवस्था जो प्रमुखतः अशरफ ,अजलफ ,अरजल जातिओँ मेँ बंटा है और इसकी अनेक उप जातियां भी हैँ।शिया,सुन्नी,अहमदिया जैसे 73 संप्रदाय भी हैँ ।ये जाति और संप्रदाय केवल अपनी जातियोँ या संप्रदायोँ मेँ हि सम्बन्ध बनाते या रखते हैँ इनकी धार्मिक मान्यताओँ मेँ भी अंतर पाया जाता है।यह लोग एक दुसरे को काफिर ठहराते फिरतेँ हैँ ।सन्दर्भ-
http://m.facebook.com/note.php?note_id=347461641965768
.
http://en.m.wikipedia.org/w/index.php?title=List_of_Muslim_Other_Backward_Classes_communities&mobileaction=view_normal_site
   यह कथन आवश्यक है कि, इक्ष्वाकु कुल की रघुकुल शाखा में प्रभु श्रीराम तो,इक्ष्वाकु कुल की लिछवी शाखा में भगवान गौतम बुध्द का आविर्भाव हुवा और प्रभु श्रीराम पुत्रों के वंश में आद्य गुरु श्री नानकदेव कालूराम बेदी और दशम गुरु श्री गोबिन्दसिंग तेगबहादुर सोढ़ी जी का प्राकट्य हुवा।सभी वैष्णव पंथी क्षत्रिय थे।
# हिन्दू पंथ सिक्ख मेँ भी जाति व्यवस्था
     दशम गुरूजी ने एकत्मिकता स्थापित करने के पश्चात् भी 4 वर्णोँ मेँ बंटा हुआ है ।यहां भी केवल अपने संबंधितो में ही विवाह संबंध किया जाता है ।देखिये,
http://www.sikhcastes.faithweb.com/whats_new.html

# हिन्दू पंथ बौद्धोँ कि जाति व्यवस्था जो प्रमुखतः 3 प्रमुख संप्रदायोँ महायान ,हीनयान और वज्रयान मेँ बंटा हुआ है।इनके सैँकडोँ मठ या उपसंप्रदाय है जो अलग अलग पुजा पद्धतिओँ और मान्यताओँ में विश्वास रखते है ।सन्दर्भ-
http://m.facebook.com/note.php?note_id=333913793320553&refid=21
                                                                           --0--                                                                                                                                                                                     facebook Ref.by Sandeep Bansal 9 जुलाई 12 जो लोग "सत्यमेव जयते" कार्यक्रम में अभिनेता आमिर ख़ान की कुटिल चालों के चलते यह सोच रहे हैं की जातिवाद और छुआछूत हिंदू धर्म ग्रंथों की देन है तो वह मिथ्या प्रचार कर रहा है। क्यूंकी, जातिवाद के आधार पर एक दूसरे को नीचा दिखाने को वेदों में कहीं नही कहा गया है।हां वेद सभी मनुष्य-मानव जाती को समान मानते हैं जिसका उदाहरण वेदों के निम्न श्लोकों में हैं ;
यजुर्वेद १८ | ४८
हे भगवान ! हम ब्राह्मणों में, क्षत्रियों में, वैश्यों में तथा शूद्रों में ज्ञान की ज्योति प्रदान करे। मुझे भी वही ज्योति प्रदान कीजिये ताकि मैं सत्य के दर्शन कर सकूं |
यजुर्वेद २० | १७
जो अपराध हमने गाँव, जंगल या सभा में किए हों, जो अपराध हमने इन्द्रियों द्वारा किए हों,जो अपराध हमने शूद्रों में और वैश्यों में किए हों और जो अपराध हमने धर्म में अधर्म कृत्य किए हों, कृपया उसे क्षमा कीजिये और हमें अपराध की प्रवृत्ति से छुडाइए |
यजुर्वेद २६ | २
हे मनुष्यों ! जैसे मैं, इस वेद ज्ञान को पक्षपात के बिना आप मनुष्यमात्र के लिए उपदेश करता हूं, इसी प्रकार आप सभी इस ज्ञान को ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र,वैश्य, स्त्रियों के लिए तथा जो अत्यन्त पतित हैं उनके भी कल्याण के लिये दो | विद्वान और धनिक मेरा त्याग न करें |
अथर्ववेद १९ | ३२ | ८
हे ईश्वर ! मुझे ब्राह्मण, क्षत्रिय, शूद्र और वैश्य सभी का प्रिय बनाइए | मैं सभी से प्रसंशित होऊं |
अथर्ववेद १९ | ६२ | १
सभी श्रेष्ट मनुष्य मुझे पसंद करें | मुझे विद्वान, ब्राह्मणों, क्षत्रियों, शूद्रों, वैश्यों और जो भी मुझे देखे उसका प्रियपात्र बनाओ |
इन वैदिक प्रार्थनाओं से विदित होता है कि -
-वेद में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र चारों वर्ण समान माने गए हैं |
-सभी के लिए समान प्रार्थना है तथा सभी को समानता का सम्मान दिया गया है |
-और सभी अपराधों से छूटने के लिए की गई प्रार्थनाओं में शूद्र के साथ किए गए अपराध भी समाविष्ट हैं |
-वेद के ज्ञान का प्रकाश समभाव रूप से सभी को देने का उपदेश है |
-यहां ध्यान देने योग्य है कि इन मंत्रों में शूद्र शब्द वैश्य से पहले आया है,अतः स्पष्ट है कि न तो शूद्रों का स्थान  अंतिम है और ना ही उन्हें कम महत्त्व दिया गया है |
इस से सिद्ध होता है कि वेदों में शूद्रों का स्थान अन्य वर्णों की ही भांति आदरणीय है और उन्हें समान सम्मान प्राप्त है और हिंदू संस्कृति जातियाधारित भेदभाव का खंडन करती है यह केवल क्षीण मानसिकतावाले लोगों की देन है।

http://agniveer.com/caste-vedas-hi/
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
अखिल भारत हिन्दू महासभा पूर्व राष्ट्रिय प्रवक्ता द्वारा प्रसारार्थ :-                                                                        हिन्दू युवातियोंसे विवाह कर तलाक देनेवाला ABP News का अम्बेसेडर आमिर यह जाने की,कश्मीर में सामाजिक विषमता के कारन हिन्दुओ का हो रहा धर्मान्तरण रोकने के लिए श्री.श्रीभट्ट ने कश्मीरी समुदाय को " पंडित " बनाया.अछुतोंका धर्मान्तरण रोकने सामाजिक विषमता का लाभ इस्लामिस्टोंको न मिले इसलिए हिन्दू महासभा नेता हुतात्मा स्वामी श्रध्दानंदजी ने शुध्दिकरण की योजना बनायीं उसे रोकने के लिए उनकी हत्या रशीद अली ने चांदनी चौक-दिल्ली में की थी.१९२४ पुणे सम्मेलन में हिन्दू महासभा ने मंदिर में सभी को प्रवेश खुलाकर गर्भगृह में केवल पुजारी जायेंगे ऐसा प्रस्ताव पारित किया था.पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूर्व अछूतों के साथ प्रवेश किया.सावरकर जी ने रत्नागिरी स्थानबध्दता में सजातीय विरोध का सामना कर पतित पावन मंदिर बनाया और वहा पूर्व अछूत शिवा को पुजारी बनाया.समाज सुधारक स्वर्गीय विट्ठल रामजी शिंदे जी ने उनका रत्नागिरी में कार्य देखकर सन्मान जनक वक्तव्य किया.डॉक्टर आम्बेडकरजी ने सावरकरजी की अनिर्बंध्द मुक्तता पर दिनांक ११ मई १९३७ दैनिक जनता में स्वागत-सन्मान पर लेख लिखा.क्या आमिर यह जानते है,डॉक्टर आम्बेडकरजी को दौलताबाद के मंदिर में जानेसे मुस्लिम चौकीदार ने रोका,पानी लेनेसे मना किया इसलिए १९३६ येवला में धर्मान्तरण की घोषणा की थी.हिन्दू महासभा नेता धर्मवीर डॉक्टर मुंजेजी ने उनकी भेट कर धर्मान्तरण से रोका और सावरकरजी की चिट्ठी के अनुसार २० वर्ष पश्चात् सन 1956 के दशहरा के दिन नागपुर में मतान्तरण किया.ऐसा उल्लेख दीक्षा देने आये कुशीनगर के चंद्रमणिजी ने किया है।
        हिन्दू समाज में छुवाछूत की भावना को ओपरेशन थेटर में डोक्टर जिस प्रकार शुध्दी का पालन करते है उस ही भावना से था.यह सच है की,कर्म न करनेवाले जन्मजात ब्राह्मणों ने इसका अतिरेक किया. परन्तु, दोष एक समाज पर मढ़कर निर्मूलन नहीं होगा.सभी को मंदिर प्रवेश के लिए आंदोलित होना चाहिए.किसी एक जाती की कर्म व्यवस्था नीच कर्म की है तो भी स्नानोपरांत सूचित भाव और वस्त्र के साथ प्रवेश करनेवालोंको कोई जाती पूछकर मंदिर में जानेसे नहीं रोकता.यही वास्तविकता है. हिन्दुओ में एकात्मता स्थापित न हो इसलिए राष्ट्रवाद को न माननेवाले मुस्लमान संविधानिक समान नागरिकता का विरोध करते है.उसके लिए आमिर खान कांग्रेस को राष्ट्रीयता में विषमता फैलानेवाली राजनितिक सोच को बदलने को कभी कहेंगे ? समान नागरिकता लागु होगी तो कोई किसी को विद्वेष से नहीं देखेंगे. धर्म परायण तथा धर्म रक्षक समाज को अपमानित करने का (१९४७ में प्रकाशित इस्लामी मानसिकता का पत्र) पूर्व नियोजित हिंदुत्व विरोधी षड्यंत्र स्पष्ट हो चूका है. जो हिन्दू विरोधी वाहिनिया राजनितिक आश्रय से इसे प्रोत्साहित कर रही है।

No comments:

Post a Comment