Friday 8 June 2012

वैश्विक इस्लाम और हिन्दुराष्ट्र की रक्षा सावरकर अपेक्षित १० अगस्त १९४७ हिन्दू संसद !



७ अगस्त १९९४ विश्व इस्लामी संमेलन -लन्दन प्रस्ताव वेटिकन की धर्मसत्ता के आधारपर " निजाम का खलीफा " की स्थापना और इस्लामी राष्ट्रों का एकीकरण उद्देश्य दैनिक अमर उजाला दि.२६ अगस्त १९९४ शमशाद इलाही अंसारी ने प्रकट किये थे के अनुसार, जमात ए इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी ने 'हिन्दू वर्ल्ड' पृ.२४ में लिखा है," इस्लाम और राष्ट्रीयता की भावना और उद्देश्य एक दुसरे के विपरीत है.जहा राष्ट्रप्रेम की भावना होगी,वहा इस्लाम का विकास नहीं होगा.राष्ट्रीयता को नष्ट करना ही इस्लाम का उद्देश है."

               U.S.News & World Report नमक अमेरिकी साप्ताहिक के प्रधान संपादक मोर्टीमर बी. झुकरमेन ने कहा है, " मुस्लिम ब्रदरहुड " के ७ कट्टरवादी नेताओ ने २६/११ पश्चात् अम्मान-जोर्डन में बैठक आयोजित की थी.इस बैठक के पश्चात् उन्होंने पत्रकार परिषद् भी संबोधित की थी.उनका लक्ष केवल धमाको तक सिमित नहीं है.देश की सरकार गिरे जनता का मनोबल गिरे,खिलाफत के लिए सडको पर उतरे यही उनका उद्देश है." मुस्लिम ब्रदर हुड के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए झुकरमेन लिखते है, ' वर्षो पूर्व मुस्लिम नेता फलिस्तीन की बात किया करते थे.इस्त्रायल का विरोध करते थे.उसके  पीछे यहूदियों से ही लड़ना नहीं था.विश्व की भू सत्ता का उद्देश था.जहा स्पेन-हिन्दुस्थान में कभी मुस्लिम राज्य था उसपर कब्ज़ा करना है.' पत्रकारों ने पूछा कैसे ? तब कहा था, ' धीरज रखिये !हमारा निशाना चुक न जाये इसलिए हम एक एक करके मंजिल प्राप्त करना चाहते है.हम उन ताकदो से लड़ना चाहते है जो रूकावटे है. ..... जब इस्लामी धमाका होगा तब दुनिया हमारी ताकद देखेगी. .... दुनिया में इस्लामी राज बहुत ही निकट है."

              इस्लामी पुरातनवादीयो की विशेषता यह है की वह मुस्लिम राष्ट्रों को भी नहीं छोड़ते.शरियत का राज स्थापित नहीं करता, विश्व इस्लामी साम्राज्य स्थापित करने में सहाय्यता नहीं करता उसे भी माफ़ नहीं करते.इजिप्त,काहिरा आदि अरबी गण राज्य हो या अफगानिस्तान-पाकिस्तान-बंगला जहा मुस्लिम राष्ट है वहा शरियत राज लागु करना उनका उद्देश है.वहा के अल्प संख्यक अत्याचार-बलात्कार-धर्मान्तरण-अपहरण से त्रस्त है.जहा शिया अल्प संख्य है उनकी भी हत्या हो रही है.परन्तु इस्लाम के नाम यह भेद अब दुय्यम बना है.अल्जेरिया-मोरक्को सुन्नी देश, वहा भी सरकार विरोधी आन्दोलन जारी है.उन्होंने इरान से सम्बन्ध विच्छेद किया है.उनके आपसी विवाद इस्लामी राज का उद्देश समाप्त करेगा ! इस भ्रांत कल्पना में अमेरिका नहीं है.उसने मक्का-मदीना को हिरोशिमा बनाने की ठान ली है.    रूस ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है.चीन पाकिस्तानी-अफगानी आतंक को कुचलने में कोताही नहीं करता.परन्तु विभाजन का रक्त कभी सुखा नहीं ऐसे खंडित हिन्दुस्थान में अखंड पाकिस्तान की राजनीती को सींचने का कार्य सत्ताधारीयो के साथ मिलकर छद्म हिन्दू करते है तब आश्चर्य होता है.

             १८९१ ब्रिटिश हिन्दुस्थान के जन गणना आयुक्त ओ.डोनोल ने अनुमान लगाया था ६२० वर्ष में हिन्दू जनसँख्या समाप्त हो जाएगी.१९०६ कर्नल यु.एन.मुखर्जी ने भविष्यवाणी की थी की,हिन्दुओ को लुप्त होने में ४२० वर्ष ही लगेंगे.१९९३ एन.भंडारे,एल.फर्नांडिस और एम्.जैन ने ३१६ वर्ष में मुस्लिम बहुसंख्य हो जाने के संकेत दे रहे है.१९९५ रफ़ीक झकेरिया लिखते है ३६५ वर्ष में मुस्लिम बहुल होगा खंडित हिन्दुस्थान.जब की कुछ मुस्लिम नेता आगामी १८ वर्ष में सब कुछ समाप्त हो जाने की बात करते है.फिर भी हिन्दुओ में असुरक्षा की भावना नहीं है ? धर्म निरपेक्षता का भुत बुध्दिजीवी उतरने नहीं देते. फिर समान नागरिकता के लिए प्रामाणिक क्यों नहीं ?सावरकरजी ने अखंड हिन्दुस्थान का दिया संकल्प हो या हिन्दुराष्ट्र तथा समान नागरिकता का अधिकार कथित हिन्दुओ ने नेहरू के चरणों में रखा है.आरक्षण से उपजी विषमता है. इसलिए,भविष्यत् चुनाव में सभी दलोंके हिन्दू मिलकर " हिन्दू संसद " को बलवान करे !

               नेहरू के अखंड हिन्दुस्थान के वचन और वीर सावरकरजी के प्रति इर्षा के कारन १९४५-४६ चुनाव में गोलवलकर गुरूजी ने  कांग्रेस का खुला समर्थन किया,संघ के हिन्दू महासभानिष्ठ प्रत्याशियों ने संघ नेतृत्व का आदेश मानकर अंतिम क्षण नामांकन वापस लिया और संघ के समर्थन के कारण ही कांग्रेस-मु.लीग बहुमत में आई और हिन्दू महासभा को १६% मतदान मिला. हिन्दू पक्ष की ओर से कांग्रेस ने विभाजन करार पर हस्ताक्षर किये.विभाजन की पार्श्वभूमी पर दिनांक १० अगस्त १९४७ को हिन्दू परिषद् ,हिन्दू महासभा भवन , मंदिर मार्ग,नई दिल्ली-१ अखिल भारत हिन्दू महासभा पूर्व राष्ट्रिय अध्यक्ष स्वा.वीर सावरकरजी की अध्यक्षता में संपन्न हुई ; सावरकर जी ने कहा," अब निवेदन,प्रस्ताव,विनती नहीं !अब प्रत्यक्ष कृति का समय है. " सर्व पक्षीय हिन्दुओंको हिन्दुस्थान को पुनः अखंड बनाने के कार्य में लग जाना चाहिए." रक्तपात टालने के लिए हमने पाकिस्तान को मान्यता दी ऐसा नेहरू का युक्तिवाद असत्य है.इससे रक्तपात तो टलनेवाला नहीं है परन्तु,फिरसे रक्तपात की धमकिया देकर अपनी मांगे रखते रहेंगे.उसका "अभी प्रतिबन्ध नहीं किया तो इस देश में १४ पाकिस्तान" हुए बिना नहीं रहेंगे.उनकी ऐसी मांगो को "जैसे को तैसा" उत्तर देकर नष्ट करना होगा.रक्तपात से भयभीत होकर नहीं चलेगा.इसलिए " हिन्दुओंको पक्ष भेद भूलकर संगठित होकर सामर्थ्य" संपादन करना चाहिए और देश विभाजन नष्ट करना चाहिए ! " कहा.

विद्यमान परिस्थिति में, विश्व इस्लाम की धन सत्ता इंधन तेल,स्वर्ण-रौप्य पर केन्द्रित है इस ही लिए महँगी भी हुई है.हम राष्ट्रप्रेमी जबतक अपनी आवश्यकताओ को कम नहीं करते उनको आर्थिक सहायता ही होगी और उसे रोकना हमरे हाथ है.

देश की राजनीती अखंड पाकिस्तान की ओर बढ़ रही है,राष्ट्रीयता में विषमता का बिज घोलकर आरक्षण को ढाल बनाकर हिंदुओंकी एकसंघ शक्ति खंडित की जा चुकी है,जातिवाद-भाषा वाद प्रबल है, न्यायालय की सूचना के बाद भी  संविधानिक समान नागरिकता को नकारकर कांग्रेस-भाजप ने जो पाप किया वह भारतीय जनसंघ के निर्माण के समय वीर सावरकरजी ने कांग्रेस -२ कहा था,जो सत्य हुवा है.भाजप के इशारे पर स्वाभिमान पक्ष का निर्माण रोकनेवाले बाबा रामदेव ने देवबंद अधिवेशन में वन्दे मातरम विरोधी प्रस्ताव का मूक समर्थन किया.१२ मई २०१२ को भाजप की भाषा का अपरोक्ष प्रयोगकर अन्य हिन्दू विरोधी दलों की तरह पाकिस्तान ले चुके खंडित हिन्दुस्थान के आश्रयार्थी मुसलमानों को आरक्षण का भाजप प्रस्ताव बाबा ने रखा है. रामदेव इस विषय का अध्ययन करे. देश की वर्तमान स्थिति में वीर सावरकरजी का सन्देश आज भी प्रेरक है. देश हिन्दू राजनीती की प्रतीक्षा कर रहा है.धर्मान्तरितो का दलितत्व अभी समाप्त नहीं हुवा है तो शुध्दिकरण का मार्ग खुला है !

वर्तमान कालखंड में संघ-सभा संयुक्त रूपसे " हिन्दू संसद " निर्माण के लिए हिंदूवादी पक्ष-संगठन की सहाय्यता से अखंड पाकिस्तान के षड्यंत्र को रोक नहीं पाई तो हमें हमारे वीर पुरुषोंके, धर्म रक्षकोंके, धर्माचार्यो ,समाज सुधारकोंके नाम का जयकार करने का भी अधिकार नही रहेगा और उन्होंने जो निःस्वार्थ भूमिका में त्याग-बलीदान-बंदिवास-उपेक्षा झेलकर जो स्वाधीनता प्रदान की है वह निः ष्फल हो जाएगी.हमारा दायित्व है आनेवाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित अखंड हिन्दुराष्ट्र और समानता के लिए " हिन्दू संसद " बनाये !

यह लेख राष्ट्रिय स्तर पर प्रसारित करने में योगदान दीजिये.या हैण्ड बिल छपवाए अपने नाम से नही तो,प्रोत्साहक के रूप में आप हमारे नाम से छपवाए लिखे अखंड हिंदुस्थान या अखंड पाकिस्तान ?

- written by Pramod Pandit Joshi Hindu Mahasabha

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