Thursday, 18 February 2016

राष्ट्रद्रोह पर बना 124 A विधान नष्ट करने तक आन्दोलन ?

Press Note :- 18 Feb.2016
Akhil Bharat Hindu Mahasabha,Spokperson Pramod Pandit Joshi

देहली के मुख्यमंत्री केजड़ीवाल आज महामहिम राष्ट्रपती श्री मुखर्जी को मिलकर बाहर निकलते ही पत्रकारों ने घेरा !
 व्यंग चित्रकार असीम त्रिवेदी को संविधान के विकृत चित्रीकरण के आरोप में बंदी बनाया गया था।ऑर्थर रोड से मुक्त करते ही उसने केजड़ीवाल-मयंक गाँधी की उपस्थिति में,भारतीय संविधान में ब्रिटिश कालीन राष्ट्रद्रोह के विधान 124 A को संविधान से निकालने तक आन्दोलन जारी रखने का ऐलान किया था.नक्सली साहित्य मिलने पर बंदी बने विनायक सेन भी प्रेस में उपस्थित थे. उसने लोक.तिलक, स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी का उदाहरण देकर देशभक्त समुदाय को गुमराह करने का भी प्रयास किया या स्वयं अपने आपको देशभक्त सिध्द करने का प्रयास किया।
         हमने अण्णा आंदोलन के समय ही आशंका व्यक्त की थी की,अन्ना हजारे को मुखौटा बनाकर भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन में राष्ट्रद्रोही-अलगाववादी-नक्सलवादी जुड़े है.स्वामी अग्निवेश का अमरनाथ यात्रियों को लेकर वक्तव्य हो या प्रशांत भूषण का कश्मीरी अलगाववाद के समर्थन में वाराणसी में दिया वक्तव्य यह राष्ट्रद्रोह की परिघी में ही आते है.जब की ब्रिटिश सांसद ब्लैक ने PoK भारत का हिस्सा माना है। देश विभाजन के पश्चात् अखंड पाकिस्तान की राह पर है.उसे स्थानीय राजनितिक आश्रय प्राप्त है,देशभर में हर गाँव में स्लीपर सेल के अतिरिक्त ऐसे संगठन है जो राष्ट्रद्रोही गतिविधि में पाए गए है.
         विभाजनोत्तर अलीगढ यूनिवर्सिटी के प्रा.कमरुद्दीन खान का पत्र लाहोर के इस्लामी पत्रक ' लीजट' में अखंड पाकिस्तान की ब्ल्यू प्रिंट प्रकशित हुवा था उसे २१ अगस्त १९४७ को देहली के ओर्गनायझर और पुणे के मराठा ने प्रकशित किया था.२६/११ मुंबई हमले के पश्चात् जोर्डन के अम्मान में मुस्लिम ब्रदर हुड के ७ शीर्ष नेताओ की बैठक की जानकारी अमेरिकन साप्ताहिक के संपादक झुकरमेनने आगे की रणनीति पर प्रकाश डाला है. उसके अनुसार,अरब राष्ट्रोंकी भांति यहाँ भी सत्ता परिवर्तन की आड़ लेकर देश में अस्थिरता-अराजकता फ़ैलाने के लिए ऐसे मुखौटो का प्रयोग तो नहीं हो रहा है ? देश और कई विभाजन-दंगो का संकट गर्भ में लेकर पाल रहा है जिसे कांग्रेस और उसके समर्थको ने पुष्ट किया है। २६/११ मुंबई हमले के पूर्व NCP मच्छीमार नेता दामोदर तांडेल ने समुद्र में दिखाई शंका उत्पन्न करनेवाली गतिविधि देखने पर प्रेस मिडिया के सामने तथा महाराष्ट्र सरकार को अवगत कराया था। मंत्री नारायण राणे ने भी मुख्यमंत्री को कुछ लोग ब्रीफकेस लेकर मिलकर जाने की बात स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री,गृहमंत्री,पोलिस कमिश्नर की जानकारी में यह हमला हुआ। हैडली की साक्ष के साथ सत्य उजागर हुआ है। प्रश्न, देशद्रोही कौन ?
     ऐसे में,छात्र संगठनो की आझादी का नारा क्या है ? भ्रष्टाचार की आड़ में राजनितिक इच्छा शक्ति से भ्रष्ट विदेशी-स्वदेशी कांग्रेस या समर्थक विचारों के लोगो द्वारा चलाया जा रहा आन्दोलन देश को गुमराह कर उसे भंग कर, राजनितिक राह में बाधक जो "संविधान में राष्ट्रद्रोह पर बना 124 A विधान नष्ट करने तक आन्दोलन का " वक्तव्य असीम द्वारा हो रहा था वह सीधे सीधे राष्ट्रद्रोह ही है। मात्र IBN7 वाहिनी उसे उस्फुर्त प्रोत्साहन दे रहा था,जिसकी ओबी व्हैन आझाद मैदान ११/०८ दंगे से कैसे बची यह यक्ष प्रश्न अभी भी शेष है.हम इसकी कड़ी निंदा करते है. सरकार इस आन्दोलन और उसके गर्भस्थ कांग्रेसी-वामपंथी-विघटनवादी मंसूबों को रोक नहीं पाई तो राष्ट्रभक्त राज्यक्रांति करने विवश हो जायेंगे.अन्वेषण विभाग इनके मुखौटे के पीछे छिपा छात्र नेता / कार्यकर्त्ता का सच उजागर करे.

      विभाजन के पश्चात् भी विघटन अर्थात राष्ट्रद्रोह का संकट ज्यो का त्यों बना हुवा है इसलिए राष्ट्रद्रोह पर बने विधान ब्रिटिश है तो उसे हिंदुस्थानी अर्थात और कठोर बनाओ जो सत्ताधारियो की तलवार न होकर राष्ट्रिय सुरक्षा-अखंडता की ढाल बने.असीम त्रिवेदी,कन्हैय्या,उमर खालिद,संसद हमले का आरोपी प्रोफ़ेसर गिलानी की जांच हो ! वामपंथी पत्रकार विभिन्न माध्यमो से इन आंदोलनकारियों को सेफ पैसेज देने के लिए जो कुछ कर रहे है माननीय सर्वोच्च न्यायालय इसका संज्ञान लेकर कार्यवाही करे !

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