Monday 30 November 2015

६ दिसंबर १९९२ मंदिर ध्वंसी नेताओ को राष्ट्रद्रोह में गिरफ्तार करने की मांग !


न्यायालय संरक्षित श्रीराम जन्मस्थान मंदिर का शिलान्यास होकर भी उसे बाबर का कलंक लगाकर छह दिसंबर १९९२ को ढहाना,संविधान के प्रथम स्वर्ण पृष्ठ पर अंकित राष्ट्र पुरुष मर्यादा पुरुषोत्तम राम अर्थात संविधान के अपमान में मंदिर विध्वंस राष्ट्रद्रोह से कम नहीं है ! २३ मार्च १५२८ पूर्व से अधिपति रहे,१८८५ से मालिकाना अधिकार के लिए न्यायालय में लड़ रहे रामानंदीय निर्मोही आखाड़े ने ६ दिसंबर १९९२ को इसकी FIR लिखवाकर मूल वादपत्र 4 A में अंतर्भाव कर दो सौ करोड़ का भरपाई दावा ब्रह्मलीन महंत श्री जगन्नाथ दास महाराज ने किया है।
कार्तिक कृ.नवमी संवत २००६ श्री हनुमान जयंती अक्टूबर सन १९४९
श्री रामायण महासभा के प्रधान महंत श्री रामचंद्रदास महाराज,संयुक्त मंत्री ठाकुर गोपालसिंग विशारद,संगठक अभिरामदास महाराज सभी हिन्दू सभाई थे। रामायण महासभा की सार्वजनिक सभा प.पू.श्री वेदांती राम पदार्थ दासजी महाराज की अध्यक्षता में हनुमान गढ़ी पर संपन्न हुई थी। तदनुसार,श्री राम चरित मानस के १०८ नव्हान्न पाठ आरंभ हुए।
समापन के समय अ.भा.धर्म संघ संस्थापक प.पू .श्री करपात्रीजी महाराज,उ.प्र.हिन्दू महासभा अध्यक्ष महंत श्री दिग्विजयनाथ जी,कांग्रेस के नेता बाबा राघवदास जी महाराज उपस्थित थे।उनके प्रवचनो के पश्चात बड़ा स्थान के अध्यक्ष महंत श्री बिंदुगाद्याचार्यजी और श्री रघुवीर प्रसादाचार्यजी ने अपने समापन भाषण में,"श्रीराम जन्मभूमि उध्दार के लिए इस प्रकार ११०८ नव्हान्न पाठ यज्ञ का आवाहन किया।"
मार्गशीर्ष शु.२ श्रीराम जानकी विवाह के दिन यह कार्यक्रम निश्चित हुआ था।श्रीराम जन्मभूमि परिसर स्वच्छ करने के लिए सैकड़ो साधू और अयोध्या नगरवासीयो ने पूर्व संध्या से कार्यारंभ किया।इनमे रामानंदीय निर्मोही आखाडा महंत श्री बलदेवदास,जन्मस्थान महंत तथा हिन्दू महासभा नगर कार्याध्यक्ष श्री हरिहर दास महाराज,दिगंबर आखाडा के महंत श्री तथा हिन्दू महासभा के नगर पार्षद परमहंस श्री रामचंद्रदास महाराज,तपस्वीयो की छांवनी के अधिरिसंत दास,बाबा बृन्दावनदास,फ़ैजाबाद जिला हिन्दू महासभा अध्यक्ष ठाकुर गोपालसिंगजी कार्यरत थे।पौ फटने से पूर्व परिसर स्वच्छ किया गया।
वेदांती श्रीराम पदार्थदास महाराज जी की अध्यक्षता में, नव्हान्न पाठ कर्ता संख्या ११०८ भोर में ही स्थानापन्न हुई थी।प्रत्यक्षदर्शीयो के अनुसार जन्मस्थान से लेकर श्री हनुमान गढ़ी तक क्रम से पाठक बैठे थे और उनमें मुसलमान भी बड़ी संख्या में पाठ पढने बैठे थे।



२४ दिसंबर १९४९,कलंकमुक्त मंदिर को २६ दिसंबर को " विवादग्रस्त वास्तु " घोषित कर संविधान की धारा १४५ के अंतर्गत सरकार ने अपने कब्जे में ले ली और श्रीराम जी की पूजा, अर्चना, भोग की सरकारी वेतन से व्यवस्था लगा दी,मंदिर परिसर के दो सौ गज क्षेत्र में गैरहिंदू प्रवेश पर प्रतिबंध लगाकर चार पुजारी एक भंडारी सरकारी वेतन पर नियुक्त कर गर्भगृह में सेवा करने जाने की अनुमति प्रदान की।मात्र दर्शन के लिए लोहे के शिकंजे से अनुमति प्रदान की।इस व्यवस्था में स्वयं प्रशासन ने कोई परिवर्तन नहीं किया।

हिन्दू महासभा के सन १९४९ आन्दोलन के बाद से लांछन रहित यह श्रीराम जन्मस्थान मंदिर न्यायालय संरक्षित है।**सन १९५० हिन्दू महासभा फ़ैजाबाद जिला अध्यक्ष ठा गोपाल सिंग विशारद द्वारा चली 3/1950 न्यायालयीन कार्यवाही में अयोध्या परिसर के १७ राष्ट्रिय मुसलमानों ने कोर्ट में दिए हलफनामे का आशय, *"*हम दिनों इमान से हलफ करते है की,बाबरी मस्जिद वाकई में राम जन्मभूमि है।जिसे शाही हुकूमत में शहेंशाह बाबर बादशाह हिन्द ने तोड़कर बाबरी बनायीं थी।इस पर से हिन्दुओ ने कभी अपना कब्ज़ा नहीं हटाया।बराबर लड़ते रहे और इबादत करते आये है।बाबर शाह बक्खत से लेकर आज तक इसके लिए ७७ बल्वे हुए।सन १९३४ से इसमें हम लोगो का जाना इसलिए बंद हुवा की,बल्वे में तीन मुसलमान क़त्ल कर दिए गए और मुकदमे में सब हिन्दू बरी हो गए।कुरआन शरीफ की शरियत के मुतालिक भी हम उसमे नमाज नहीं पढ़ सकते क्योंकी,इसमें बुत है।इसलिए हम सरकार से अर्ज करते है की,जो यह राम जन्मभूमि और बाबरी का झगडा है यह जल्द ख़त्म करके इसे हिन्दुओ को सौप दिया जाये।" वली मुहमद पुत्र हस्नु मु.कटरा ; अब्दुल गनी पुत्र अल्लाबक्ष मु.बरगददिया ; अब्दुल शफुर पुत्र इदन मु.उर्दू बाजार ; अब्दुल रज्जाक पुत्र वजीर मु.राजसदन ; अब्दुल सत्तार समशेर खान मु.सय्यदबाड़ा ; शकूर पुत्र इदा मु.स्वर्गद्वार ; रमजान पुत्र जुम्मन मु.कटरा ; होसला पुत्र धिराऊ मु.मातगैंड ;महमद गनी पुत्र शरफुद्दीन मु.राजा का अस्तम्बल ; अब्दुल खलील पुत्र अब्दुरस्समद मु.टेडीबाजार ; मोहमद हुसेन पुत्र बसाऊ मु.मीरापुर डेराबीबी ; मोहमदजहां पुत्र हुसेन मु.कटरा ; लतीफ़ पुत्र अब्दुल अजीज मु.कटरा ; अजीमुल्ला पुत्र रज्जन मु.छोटी देवकाली ; मोहमद उमर पुत्र वजीर मु.नौगजी ; फिरोज पुत्र बरसाती मु.चौक फ़ैजाबाद ; नसीबदास पुत्र जहान मु.सुतहटी

सुल्तानपुर के विधायक नाजिम ने भी एक पत्रक निकालकर मंदिर हिन्दुओ को सौपकर इबादत करने की भावना प्रकट की थी।
* टांडा निवासी नूर उल हसन अंसारी की पुलिस अधिकारी अर्जुनसिंग को दी साक्ष,"मस्जिद में मूर्ति नहीं होती इसके खंभों में भी मुर्तिया है।मस्जिद में मीनार और जलाशय होता है वह यह नहीं है।स्तंभों पर लक्ष्मी,गणेश और हनुमान की मुर्तिया सिध्द करती है की,यह मस्जिद मंदिर तोड़कर बनायीं गयी है।"

*माननीय न्यायालय का आदेश है कि ,"मेरे अंतिम निर्णय तक मूर्ति आदि व्यवस्था," जैसी है वैसे " ही सुरक्षित रहे और सेवा,पूजा तथा उत्सव जैसे हो रहे थे वैसे ही होते रहेंगे।"

१९४९ अयोध्या आंदोलक/पक्षकार हिंदू महासभा का तर्क :-१४ अगस्त १९४१ नझुल रेकोर्ड फ़ैजाबाद में श्रीराम जन्मस्थान मंदिर रामकोट प्लाट क्रमांक ५८३,वर्णन- तिन गुम्बद मंदिर,कब्ज़ा-महंत श्री रघुनाथ दास,राम सकल दास,राम सुभग दास रामानंदीय निर्मोही आखाडा है। १९५० केस में १७ राष्ट्रिय मुसलमानों ने मंदिर मान्य किया है तब ही २०० गज परिसर में गैर हिन्दू प्रवेश प्रतिबंधित है। विरोधको की अभ्यर्थना निरस्त कर न्यायालय के संरक्षण में दर्शन-पुजन-भोग-उत्सव की व्यवस्था हो रही है।श्रीराम जन्मस्थान मंदिर गर्भगृह में हिंदू महासभा ने रखी मुर्तिया हटाने आरोप कर सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका लगाकर केस को पुनार्विवादित किया तब श्री देवकी नंदन अग्रवाल उपाख्य रामसखा ने निर्मोही आखाड़े के पक्ष में साक्ष दी है।इसलिए १ /३ भूमी रामसखा-विहिंप या रामलला विराजमान-श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज को देना न्यायोचित नहीं। सन १९८९ उच्च न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष तथा विहिंप को सभी वाद पीछे लेने का आदेश देकर बेदखल किया है।इसलिए सम्पूर्ण भूमी केवल रामानंदीय निर्मोही आखाड़े को ही सौपना अनिवार्य है।

पक्षकार हिन्दू महासभा की मांग पर १९६७ से १९७७ के बिच प्रोफ़ेसर लाल के नेतृत्व में पुरातत्व विभाग के संशोधक समूह ने श्रीराम जन्मभूमि पर उत्खनन किया था। इस समिती में मद्रास से आये।
*संशोधक मुहम्मद के के भी थे वह लिखते है*
,"वहा प्राप्त स्तंभों को मैंने देखा है। JNU के इतिहास तज्ञोने हमारे संशोधन के एक ही पहलु पर जोर देकर अन्य संशोधन के पहलुओ को दबा दिया है।मुसलमानों की दृष्टी में मक्का जितना पवित्र है उतनी ही पवित्र अयोध्या हिन्दुओ के लिए है।मुसलमानों ने राम मंदिर के लिए यह वास्तु हिन्दुओ को सौपनी चाहिए।उत्खनन में प्राप्त मंदिर के अवशेष भूतल में मंदिर के स्तंभों को आधार देने के लिए रची गयी इटोंकी पंक्तिया,दो मुख के हनुमान की मूर्ति,विष्णु,परशुराम आदि के साथ शिव-पार्वती की मुर्तिया उत्खनन में प्राप्त हुई है।"
Published - 22 Jan.2015 Dainik Jagaran-Meerut

*गैझेटियर ऑफ़ दी टेरिटरीज अंडर गव्हर्मेन्ट ऑफ़ ईस्ट इंडिया कं के पृष्ठ क्र ७३९-४० के ऐतिहासिक तथ्य के अनुसार," २३ मार्च १५२८ को श्रीराम जन्मस्थान मंदिर ध्वस्त किया और उस ही मलबे से १४ स्तम्भ चुनकर उसपर खडी की वास्तु कभी मस्जिद नहीं बन पायी क्यों की इन स्तंभोपर मुर्तिया थी।"

इस प्रकार न्यायालय के संरक्षण में पूजा-दर्शन हो रहे न्यायालय के आदेश से ताला खुले,कांग्रेस द्वारा शिलान्यासित लांछन रहित मंदिर को भाजप ने,हिन्दू महासभा सांसद स्वर्गीय बिशन चंद सेठकी सूचना का अनादर कर राजनितिक और आर्थिक लाभ के लिए बाबर का कलंक लगाया और ६ दिसंबर १९९२ को मंदिर ही ध्वस्त किया ! 
२६ जुलाई २०१० को १९४९ अयोध्या आंदोलन की फाइल के अभाव में निर्मोही अखाड़े की १८८५ से चल रही स्वामित्व की सुनवाई न्यायालय ने रोकी थी। उत्तर पदेश सरकार ने शपथपत्र में फाइल्स गायब होने की बात कही। तब हमने मुख्यमंत्री मायावती को FIR करने की सूचना देकर स्पष्टीकरण माँगा तब उन्होंने प्रेस के समक्ष २००० भाजप शासनकाल में फाइल्स गायब होने की जानकारी के साथ साथ सुभाषभान साध के पास यह फाइल्स थी और वह लिबरहान आयोग में साक्ष देने जा रहे थे तब उनकी संदेहास्पद मृत्यु के साथ फाइल्स गायब हुई ! कहा। अधिक पता करने पर जानकारी मिली की इस कृत्य को परिणाम देनेवाले किसी मित्तल को भाजप शासनकाल में बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी का उपकुलगुरु के रूप में इनाम दिया गया। परंतु ३० सप्तम्बर को राजनितिक उद्देश्य से अचानक १/३ निर्णय ६७:७७ एकड़ भूमि का २:७७ एकड़ हिस्सा जो भाजप ने १९९१ में निर्मोही आखाड़े के विरोध के पश्चात विवादित बनाकर कब्जे की भूमि पर आया उसका निर्मोही आखाडा और सहयोगी हिन्दू महासभा ने सर्वोच्च न्यायालय में विरोध किया और ९ मई २०११ को माननीय न्यायालय ने ३० सप्तम्बर के १/३ निर्णय को निरस्त किया है।
 श्रीराम जन्मस्थान मंदिर को बाबर का कलंक लगाकर ध्वस्त करने के पश्चात दूसरे खिलाफत का आरंभ हुआ ! ऐसा आरोप हिन्दू महासभा के वरिष्ठ विचारक प्रमोद पंडित जोशी ने लगाया है।उन्होंने कहा इस घटना के पश्चात सिमी का स्वरुप और कार्य बदल गया। देश में दंगे,पडोसी देशो में हत्या,मंदिर विध्वंस,हिन्दुओ का पलायन हुआ। तस्लीमा नसरीन जैसी निरपेक्ष खंडित भारत की शरण में आई। १९९३ मुंबई बम ब्लास्ट हुए ,अलगाववादी हुर्रियत की स्थापना हुई और 
७ अगस्त १९९४ लंदन में,"विश्व इस्लामी संमेलन" संपन्न हुआ। वेटिकन की धर्मसत्ता के आधारपर "निजाम का खलीफा" की स्थापना और इस्लामी राष्ट्रों का एकीकरण इस प्रस्ताव पर सहमती बनी। (सन्दर्भ २६ अगस्त १९९४ अमर उजाला लेखक शमशाद इलाही अंसारी) अब श्रीराम जन्मस्थान पर मंदिर पुनर्निर्माण के लिए ,भाजप का न्यायालय के माध्यम से कब्ज़ा-बटवारा-भुनी अधिग्रहण का षड्यंत्र रोकने के लिए श्रीराम भक्तों को मंदिर ध्वंसी,राष्ट्रद्रोहियों को संगठित करनेवाले नेताओ को राष्ट्रद्रोह में गिरफ्तार करने की मांग के लिए जल्द ही शीतकालीन संसद सत्र में जंतर मंतर-देहली में प्रदर्शन करना होगा !

प्रमुख मांग -श्रीराम जन्मस्थान मंदिर एवं परिसर की ६७:७७ एकड़ भूमि तथा मंदिर के नामपर अवैधानिक पध्दतिसे जोड़े साढ़े चौदसौ करोड़,ब्याज समेत रामानंदीय निर्मोही आखाड़े को सौपकर ७८ बार मंदिर परिसर आखाड़े को सौपने की परंपरा का पालन और मंदिर पुनर्निर्माण किया जाएं !


राष्ट्रिय प्रवक्ता हिन्दू महासभा प्रमोद पंडित जोशी

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