अखंड हिन्दुस्थान का विभाजन धार्मिक अल्पसंख्या के आधारपर जनसँख्या के अनुपात में हुवा। फिर भी आश्रयार्थी संविधान विरोधी मुसलमानों के कारण आये दिन दंगा-ब्लास्ट-आतंक-विघटनवादी कृत्य होते रहते रहते है।घुसपैठ को राजाश्रय प्राप्त होने के कारण घुसपैठियों को नागरिकता प्राप्त होती है तो,शरणार्थी हिन्दुओ को सुरक्षा की भीख मांगनी पड़ती है।आसाम में हो रही घुसपैठ के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है।1943 में बना भूमि विकास के नाम घुसपैठिये मुसलमान बंगालियों को बसना उन्हें निवास बिजली-पानी मतदाता परिचय पत्र प्रदान करना हानिकारक रहा है।1943 से हिन्दू महासभा इसका विरोध कर रही है। विश्व में इस्लामी साम्राज्यवाद के लिए आतंकवाद फैला रहे समूह को अमेरिका जैसे राष्ट्रों ने लगाम लगाकर रखी है। ७ अगस्त १९९४ विश्व इस्लामी संमेलन -लन्दन में संपन्न हुवा।पारित प्रस्ताव, वेटिकन की धर्मसत्ता के आधारपर " निजाम का खलीफा "
की स्थापना और इस्लामी राष्ट्रों का एकीकरण का उद्देश्य। दैनिक अमर उजाला
में दि.२६ अगस्त १९९४ को शमशाद इलाही अंसारी ने प्रकट किये थे। के अनुसार,
जमात ए इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी ने 'हिन्दू वर्ल्ड' पृ.२४ में
लिखा है," इस्लाम और राष्ट्रीयता की भावना और उद्देश्य एक दुसरे
के विपरीत है.जहा राष्ट्रप्रेम की भावना होगी,वहा इस्लाम का विकास नहीं
होगा.राष्ट्रीयता को नष्ट करना ही इस्लाम का उद्देश है।"
U.S.News & World Report नामक अमेरिकी साप्ताहिक के प्रधान संपादक मोर्टीमर बी. झुकरमेन ने कहा है, " मुस्लिम ब्रदरहुड " के ७ कट्टरवादी नेताओ ने २६/११ पश्चात् अम्मान-जोर्डन में बैठक आयोजित की थी।इस बैठक के पश्चात् उन्होंने पत्रकार परिषद् भी संबोधित की,उनका लक्ष केवल धमाको तक सिमित नहीं है। देश की सरकार गिरे,जनता का मनोबल गिरे,खिलाफत के लिए लोग सडको पर उतरे यही उनका उद्देश है।" मुस्लिम ब्रदर हुड के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए झुकरमेन लिखते है, ' वर्षो पूर्व मुस्लिम नेता फलिस्तीन की बात किया करते थे।इस्त्रायल का विरोध करते थे।उसके पीछे केवल यहूदियों से ही लड़ना नहीं था,विश्व की भू सत्ता का उद्देश था।जहा स्पेन-हिन्दुस्थान में कभी मुस्लिम राज्य था, उसपर कब्ज़ा करना है.' पत्रकारों ने पूछा कैसे ? तब कहा था, ' धीरज रखिये ! हमारा निशाना चुक न जाये इसलिए हम एक एक करके मंजिल प्राप्त करना चाहते है।हम उन ताकदो से लड़ना चाहते है जो रूकावटे है. ..... जब इस्लामी धमाका होगा तब दुनिया हमारी ताकद देखेगी. .... दुनिया में इस्लामी राज बहुत ही निकट है।"
इस्लामी पुरातनवादीयो की विशेषता यह है की,वह मुस्लिम राष्ट्रों को भी नहीं छोड़ते.जो मुस्लिम राष्ट्र शरियत का राज स्थापित नहीं करता, विश्व इस्लामी साम्राज्य स्थापित करने में सहाय्यता नहीं करता उसे भी क्षमा नहीं करते।इजिप्त,काहिरा आदि अरबी गण राज्य हो या अफगानिस्तान-पाकिस्तान-बंगला जहा मुस्लिम राष्ट है वहा शरियत राज लागु करना उनका उद्देश है।वहां के अल्पसंख्यक हिन्दू और हिन्दू पंथिय अत्याचार-बलात्कार-धर्मान्तरण-अपहरण से त्रस्त है.जहा शिया अल्पसंख्य है, उनकी भी हत्या हो रही है।परन्तु, इस्लाम के नाम यह भेद अब दुय्यम बना है.अल्जेरिया-मोरक्को सुन्नी देश, वहा भी सरकार विरोधी आन्दोलन जारी है।उन्होंने इरान से सम्बन्ध विच्छेद किया है।उनके आपसी विवाद इस्लामी राज का उद्देश समाप्त करेगा ! इस भ्रांत कल्पना में अमेरिका नहीं है.उसने मक्का-मदीना को हिरोशिमा बनाने की ठान ली है. रूस ने साम्यवादी दृष्टिकोण के कारण मुस्लिम तुष्टिकरण कर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है।चीन में भी इस्लामी आतंकवाद है, पाकिस्तानी-अफगानी प्रेरित आतंक को कुचलने में चीन कोताही नहीं करता।परन्तु, विभाजन का रक्त कभी सुखा नहीं ऐसे खंडित हिन्दुस्थान में कश्मीर-बंगाल-आसाम में,अखंड पाकिस्तान की राजनीती को सींचने का कार्य सत्ताधारीयो के साथ मिलकर छद्म हिन्दू करते है तब आश्चर्य होता है.कश्मीर-पंजाब-बंगाल-आसाम के सन्दर्भ में अखंड हिन्दुस्थान में हिन्दू महासभा ने दी चेतावनी को द्विराष्ट्रवादी कहकर अपप्रचारित किया गया.आसाम-त्रिपुरा आदि बांग्ला सीमावर्ती क्षेत्र में हो रही घुसपैठ को अनदेखा करना राष्ट्रीयता प्रदान करना सरकार का राष्ट्रद्रोह है और इसके लिए सत्ताधारी दल तथा समर्थक दलोपर राष्ट्रद्रोह का वाद लगाकर राष्ट्रीयता में विषमता फैलाकर विघटित रखने का संविधान विरोधी कृत्य का आरोप हिन्दू महासभा करती है,ऐसे दलोपर प्रतिबन्ध लगाने का कार्य जन न्यायालय,मतदान के द्वारा सुनिश्चित करे।
खंडित हिन्दुस्थान में विघटन-अलगाववादियों की घुसपैठ और बढती जनसँख्या एक चिंता का विषय है l १८९१ ब्रिटिश हिन्दुस्थान के जन गणना आयुक्त ओ.डोनोल ने अनुमान लगाया था ६२० वर्ष में हिन्दू जनसँख्या समाप्त हो जाएगी।सन १९०६ कर्नल यु.एन.मुखर्जी ने भविष्यवाणी की थी की,हिन्दुओ को लुप्त होने में ४२० वर्ष लगेंगे।सन १९९३में एन.भंडारे,एल.फर्नांडिस और एम्.जैन ने ३१६ वर्ष में मुस्लिम बहुसंख्य हो जाने के संकेत दिए थे।१९९५ में रफ़ीक झकेरिया लिखते है ३६५ वर्ष में मुस्लिम बहुल होगा खंडित हिन्दुस्थान ! जब की कुछ मुस्लिम नेता (सन 2004में लिखते है) आगामी १८ वर्ष में सब हिन्दू समाप्त हो जाने की बात करते है। देखिये http://en.wikipedia.org /wiki/Muslim_population_growth सम्पूर्ण देश के संघराज्य मुसलमानों की बढती हिंसा,अपहरण-बलात्कार-लव जिहाद के चपेट में है।हिन्दुओ ने प्रतिकार किया तो सांप्रदायिक कहनेवाली सरकार और विदेशो में हिन्दुओ के देश की छवि बिगाड़नेवाली मिडिया वास्तविकता का विपर्यास करने में जुड़ जाती है. TV पर आसाम की वार्ता सुनते हुए सब हिन्दू-बोडो अत्याचार सुना रहे थे,वास्तव में इस्लामी राज के समर्थक बंगलादेशी घुसपैठियों ने रमझान का महिना चुनकर दंगा फैलाया, इसके लिए उन्हें आश्रय देनेवाली सरकार जिम्मेदार है। फिर भी हिन्दुओ में संघटित असुरक्षा की भावना नहीं है ? धर्म निरपेक्षता का भुत बुध्दिजीवी उतरने न देते.तो,धर्मनिरपेक्षता के लिए बनी संविधानिक समान नागरिकता के लिए सत्ताधारी प्रामाणिक क्यू नहीं ? सावरकरजी ने अखंड हिन्दुस्थान का दिया संकल्प हो या हिन्दुराष्ट्र तथा समान नागरिकता का अधिकार कथित हिन्दुओ ने नेहरू के चरणों में रखा है.राष्ट्रीयता में विषमता आरक्षण से उपजी है. इसलिए,भविष्यत् चुनाव में सभी दलोंके हिन्दू मिलकर " हिन्दू संसद " को बलवान करे !
नेहरू के अखंड हिन्दुस्थान के वचन और वीर सावरकरजी के प्रति इर्षा के कारन १९४५-४६ चुनाव में गोलवलकर गुरूजी ने कांग्रेस का खुला समर्थन किया,संघ के हिन्दू महासभानिष्ठ प्रत्याशियों ने संघ नेतृत्व का आदेश मानकर अंतिम क्षण नामांकन वापस लिया और संघ के समर्थन के कारण ही कांग्रेस-मु.लीग बहुमत में आई और हिन्दू महासभा को १६% मतदान मिला. हिन्दू पक्ष की ओर से कांग्रेस ने विभाजन करार पर हस्ताक्षर किये.विभाजन की पार्श्वभूमी पर दिनांक १० अगस्त १९४७ को हिन्दू महासभा भवन ,मंदिर मार्ग,नई दिल्ली-१ अखिल भारत हिन्दू महासभा पूर्व राष्ट्रिय अध्यक्ष स्वा.वीर सावरकरजी की अध्यक्षता में हिन्दू परिषद् संपन्न हुई ; सावरकर जी ने कहा," अब निवेदन,प्रस्ताव,विनती नहीं !अब प्रत्यक्ष कृति का समय है. " सर्व पक्षीय हिन्दुओंको हिन्दुस्थान को पुनः अखंड बनाने के कार्य में लग जाना चाहिए." रक्तपात टालने के लिए हमने पाकिस्तान को मान्यता दी ऐसा नेहरू का युक्तिवाद असत्य है.इससे रक्तपात तो टलनेवाला नहीं है परन्तु,फिरसे रक्तपात की धमकिया देकर अपनी मांगे रखते रहेंगे.उसका "अभी प्रतिबन्ध नहीं किया तो इस देश में १४ पाकिस्तान" हुए बिना नहीं रहेंगे.उनकी ऐसी मांगो को "जैसे को तैसा" उत्तर देकर नष्ट करना होगा.रक्तपात से भयभीत होकर नहीं चलेगा.इसलिए " हिन्दुओंको पक्ष भेद भूलकर संगठित होकर सामर्थ्य" संपादन करना चाहिए और देश विभाजन नष्ट करना चाहिए ! " विद्यमान परिस्थिति में, विश्व इस्लाम की धन सत्ता का केंद्र इंधन तेल,स्वर्ण-रौप्य है।इसके बदले ही हथियार ख़रीदे जा रहे है। इस ही लिए महंगा और महंगाई भी हुई है.हम राष्ट्रप्रेमी जबतक अपनी आवश्यकताओ को कम नहीं करते राष्ट्रद्रोहियों को आर्थिक सहायता ही होगी और उसे रोकना हमारे हाथ है।इस्लामी प्रदुषण ! देश की राजनीती अखंड पाकिस्तान की ओर बढ़ रही है,राष्ट्रीयता में विषमता का बिज घोलकर आरक्षण को ढाल बनाकर हिंदुओंकी एकसंघ शक्ति खंडित की जा चुकी है,जातिवाद-भाषा वाद प्रबल है, न्यायालय की सूचना के बाद भी संविधानिक समान नागरिकता को नकारकर कांग्रेस-भाजप ने जो पाप किया वह भारतीय जनसंघ के निर्माण के समय वीर सावरकरजी ने कांग्रेस -२ कहा था,वह सत्य हुवा है.भाजप के इशारे पर स्वाभिमान पक्ष का निर्माण रोकनेवाले बाबा रामदेव ने देवबंद अधिवेशन में वन्दे मातरम विरोधी प्रस्ताव पर मूक दर्शक बने रहे।१२ मई २०१२ को भाजप की भाषा का अपरोक्ष प्रयोगकर अन्य हिन्दू विरोधी दलों की तरह पाकिस्तान ले चुके खंडित हिन्दुस्थान के आश्रयार्थी मुसलमानों को आर्थिक आधार पर आरक्षण का भाजप प्रस्ताव बाबा ने रखा है. रामदेव इस विषय का अध्ययन करे. देश की वर्तमान स्थिति में वीर सावरकरजी का सन्देश आज भी प्रेरक है. देश हिन्दू राजनीती की प्रतीक्षा कर रहा है.धर्मान्तरितो का दलितत्व अभी समाप्त नहीं हुवा है तो उनके शुध्दिकरण का मार्ग खुला है ! हम शुध्दिकरण करेंगे ! संघ-सभा के पूर्व नेतृत्व सावरकर विरोधी गोलवलकर का व्यक्ति वर्चस्ववाद का दुष्परिणाम अखंड हिन्दुस्थान को अनचाहे भुगतना पड़ा. इस वर्तमान कालखंड में गठबंधन की राजनीती में भाजप NDA नहीं छोड़ेगी.हिंदूवादी प्रत्याशी संयुक्त रूपसे " हिन्दू संसद " के निर्माण के लिए हिंदूवादी पक्ष-संगठन की सहाय्यता से अखंड पाकिस्तान के षड्यंत्र को रोक नहीं पाई तो हमें हमारे वीर पुरुषोंके, धर्म रक्षकोंके, धर्माचार्यो ,समाज सुधारकोंके नाम का जयकार करने का भी अधिकार नही रहेगा और उन्होंने जो निःस्वार्थ भूमिका में त्याग-बलीदान-बंदिवास-उपेक्षा झेलकर जो स्वाधीनता प्रदान की है वह निःष्फल हो जाएगी.लव जिहाद और बढती राष्ट्रद्रोही जनसँख्या-घुसपैठ त्रासदी बनी है. हमारा दायित्व है आनेवाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित अखंड हिन्दुराष्ट्र और समानता के लिए "सर्व दलीय हिन्दू संसद " बनाये !
U.S.News & World Report नामक अमेरिकी साप्ताहिक के प्रधान संपादक मोर्टीमर बी. झुकरमेन ने कहा है, " मुस्लिम ब्रदरहुड " के ७ कट्टरवादी नेताओ ने २६/११ पश्चात् अम्मान-जोर्डन में बैठक आयोजित की थी।इस बैठक के पश्चात् उन्होंने पत्रकार परिषद् भी संबोधित की,उनका लक्ष केवल धमाको तक सिमित नहीं है। देश की सरकार गिरे,जनता का मनोबल गिरे,खिलाफत के लिए लोग सडको पर उतरे यही उनका उद्देश है।" मुस्लिम ब्रदर हुड के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए झुकरमेन लिखते है, ' वर्षो पूर्व मुस्लिम नेता फलिस्तीन की बात किया करते थे।इस्त्रायल का विरोध करते थे।उसके पीछे केवल यहूदियों से ही लड़ना नहीं था,विश्व की भू सत्ता का उद्देश था।जहा स्पेन-हिन्दुस्थान में कभी मुस्लिम राज्य था, उसपर कब्ज़ा करना है.' पत्रकारों ने पूछा कैसे ? तब कहा था, ' धीरज रखिये ! हमारा निशाना चुक न जाये इसलिए हम एक एक करके मंजिल प्राप्त करना चाहते है।हम उन ताकदो से लड़ना चाहते है जो रूकावटे है. ..... जब इस्लामी धमाका होगा तब दुनिया हमारी ताकद देखेगी. .... दुनिया में इस्लामी राज बहुत ही निकट है।"
इस्लामी पुरातनवादीयो की विशेषता यह है की,वह मुस्लिम राष्ट्रों को भी नहीं छोड़ते.जो मुस्लिम राष्ट्र शरियत का राज स्थापित नहीं करता, विश्व इस्लामी साम्राज्य स्थापित करने में सहाय्यता नहीं करता उसे भी क्षमा नहीं करते।इजिप्त,काहिरा आदि अरबी गण राज्य हो या अफगानिस्तान-पाकिस्तान-बंगला जहा मुस्लिम राष्ट है वहा शरियत राज लागु करना उनका उद्देश है।वहां के अल्पसंख्यक हिन्दू और हिन्दू पंथिय अत्याचार-बलात्कार-धर्मान्तरण-अपहरण से त्रस्त है.जहा शिया अल्पसंख्य है, उनकी भी हत्या हो रही है।परन्तु, इस्लाम के नाम यह भेद अब दुय्यम बना है.अल्जेरिया-मोरक्को सुन्नी देश, वहा भी सरकार विरोधी आन्दोलन जारी है।उन्होंने इरान से सम्बन्ध विच्छेद किया है।उनके आपसी विवाद इस्लामी राज का उद्देश समाप्त करेगा ! इस भ्रांत कल्पना में अमेरिका नहीं है.उसने मक्का-मदीना को हिरोशिमा बनाने की ठान ली है. रूस ने साम्यवादी दृष्टिकोण के कारण मुस्लिम तुष्टिकरण कर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है।चीन में भी इस्लामी आतंकवाद है, पाकिस्तानी-अफगानी प्रेरित आतंक को कुचलने में चीन कोताही नहीं करता।परन्तु, विभाजन का रक्त कभी सुखा नहीं ऐसे खंडित हिन्दुस्थान में कश्मीर-बंगाल-आसाम में,अखंड पाकिस्तान की राजनीती को सींचने का कार्य सत्ताधारीयो के साथ मिलकर छद्म हिन्दू करते है तब आश्चर्य होता है.कश्मीर-पंजाब-बंगाल-आसाम के सन्दर्भ में अखंड हिन्दुस्थान में हिन्दू महासभा ने दी चेतावनी को द्विराष्ट्रवादी कहकर अपप्रचारित किया गया.आसाम-त्रिपुरा आदि बांग्ला सीमावर्ती क्षेत्र में हो रही घुसपैठ को अनदेखा करना राष्ट्रीयता प्रदान करना सरकार का राष्ट्रद्रोह है और इसके लिए सत्ताधारी दल तथा समर्थक दलोपर राष्ट्रद्रोह का वाद लगाकर राष्ट्रीयता में विषमता फैलाकर विघटित रखने का संविधान विरोधी कृत्य का आरोप हिन्दू महासभा करती है,ऐसे दलोपर प्रतिबन्ध लगाने का कार्य जन न्यायालय,मतदान के द्वारा सुनिश्चित करे।
खंडित हिन्दुस्थान में विघटन-अलगाववादियों की घुसपैठ और बढती जनसँख्या एक चिंता का विषय है l १८९१ ब्रिटिश हिन्दुस्थान के जन गणना आयुक्त ओ.डोनोल ने अनुमान लगाया था ६२० वर्ष में हिन्दू जनसँख्या समाप्त हो जाएगी।सन १९०६ कर्नल यु.एन.मुखर्जी ने भविष्यवाणी की थी की,हिन्दुओ को लुप्त होने में ४२० वर्ष लगेंगे।सन १९९३में एन.भंडारे,एल.फर्नांडिस और एम्.जैन ने ३१६ वर्ष में मुस्लिम बहुसंख्य हो जाने के संकेत दिए थे।१९९५ में रफ़ीक झकेरिया लिखते है ३६५ वर्ष में मुस्लिम बहुल होगा खंडित हिन्दुस्थान ! जब की कुछ मुस्लिम नेता (सन 2004में लिखते है) आगामी १८ वर्ष में सब हिन्दू समाप्त हो जाने की बात करते है। देखिये http://en.wikipedia.org /wiki/Muslim_population_growth सम्पूर्ण देश के संघराज्य मुसलमानों की बढती हिंसा,अपहरण-बलात्कार-लव जिहाद के चपेट में है।हिन्दुओ ने प्रतिकार किया तो सांप्रदायिक कहनेवाली सरकार और विदेशो में हिन्दुओ के देश की छवि बिगाड़नेवाली मिडिया वास्तविकता का विपर्यास करने में जुड़ जाती है. TV पर आसाम की वार्ता सुनते हुए सब हिन्दू-बोडो अत्याचार सुना रहे थे,वास्तव में इस्लामी राज के समर्थक बंगलादेशी घुसपैठियों ने रमझान का महिना चुनकर दंगा फैलाया, इसके लिए उन्हें आश्रय देनेवाली सरकार जिम्मेदार है। फिर भी हिन्दुओ में संघटित असुरक्षा की भावना नहीं है ? धर्म निरपेक्षता का भुत बुध्दिजीवी उतरने न देते.तो,धर्मनिरपेक्षता के लिए बनी संविधानिक समान नागरिकता के लिए सत्ताधारी प्रामाणिक क्यू नहीं ? सावरकरजी ने अखंड हिन्दुस्थान का दिया संकल्प हो या हिन्दुराष्ट्र तथा समान नागरिकता का अधिकार कथित हिन्दुओ ने नेहरू के चरणों में रखा है.राष्ट्रीयता में विषमता आरक्षण से उपजी है. इसलिए,भविष्यत् चुनाव में सभी दलोंके हिन्दू मिलकर " हिन्दू संसद " को बलवान करे !
नेहरू के अखंड हिन्दुस्थान के वचन और वीर सावरकरजी के प्रति इर्षा के कारन १९४५-४६ चुनाव में गोलवलकर गुरूजी ने कांग्रेस का खुला समर्थन किया,संघ के हिन्दू महासभानिष्ठ प्रत्याशियों ने संघ नेतृत्व का आदेश मानकर अंतिम क्षण नामांकन वापस लिया और संघ के समर्थन के कारण ही कांग्रेस-मु.लीग बहुमत में आई और हिन्दू महासभा को १६% मतदान मिला. हिन्दू पक्ष की ओर से कांग्रेस ने विभाजन करार पर हस्ताक्षर किये.विभाजन की पार्श्वभूमी पर दिनांक १० अगस्त १९४७ को हिन्दू महासभा भवन ,मंदिर मार्ग,नई दिल्ली-१ अखिल भारत हिन्दू महासभा पूर्व राष्ट्रिय अध्यक्ष स्वा.वीर सावरकरजी की अध्यक्षता में हिन्दू परिषद् संपन्न हुई ; सावरकर जी ने कहा," अब निवेदन,प्रस्ताव,विनती नहीं !अब प्रत्यक्ष कृति का समय है. " सर्व पक्षीय हिन्दुओंको हिन्दुस्थान को पुनः अखंड बनाने के कार्य में लग जाना चाहिए." रक्तपात टालने के लिए हमने पाकिस्तान को मान्यता दी ऐसा नेहरू का युक्तिवाद असत्य है.इससे रक्तपात तो टलनेवाला नहीं है परन्तु,फिरसे रक्तपात की धमकिया देकर अपनी मांगे रखते रहेंगे.उसका "अभी प्रतिबन्ध नहीं किया तो इस देश में १४ पाकिस्तान" हुए बिना नहीं रहेंगे.उनकी ऐसी मांगो को "जैसे को तैसा" उत्तर देकर नष्ट करना होगा.रक्तपात से भयभीत होकर नहीं चलेगा.इसलिए " हिन्दुओंको पक्ष भेद भूलकर संगठित होकर सामर्थ्य" संपादन करना चाहिए और देश विभाजन नष्ट करना चाहिए ! " विद्यमान परिस्थिति में, विश्व इस्लाम की धन सत्ता का केंद्र इंधन तेल,स्वर्ण-रौप्य है।इसके बदले ही हथियार ख़रीदे जा रहे है। इस ही लिए महंगा और महंगाई भी हुई है.हम राष्ट्रप्रेमी जबतक अपनी आवश्यकताओ को कम नहीं करते राष्ट्रद्रोहियों को आर्थिक सहायता ही होगी और उसे रोकना हमारे हाथ है।इस्लामी प्रदुषण ! देश की राजनीती अखंड पाकिस्तान की ओर बढ़ रही है,राष्ट्रीयता में विषमता का बिज घोलकर आरक्षण को ढाल बनाकर हिंदुओंकी एकसंघ शक्ति खंडित की जा चुकी है,जातिवाद-भाषा वाद प्रबल है, न्यायालय की सूचना के बाद भी संविधानिक समान नागरिकता को नकारकर कांग्रेस-भाजप ने जो पाप किया वह भारतीय जनसंघ के निर्माण के समय वीर सावरकरजी ने कांग्रेस -२ कहा था,वह सत्य हुवा है.भाजप के इशारे पर स्वाभिमान पक्ष का निर्माण रोकनेवाले बाबा रामदेव ने देवबंद अधिवेशन में वन्दे मातरम विरोधी प्रस्ताव पर मूक दर्शक बने रहे।१२ मई २०१२ को भाजप की भाषा का अपरोक्ष प्रयोगकर अन्य हिन्दू विरोधी दलों की तरह पाकिस्तान ले चुके खंडित हिन्दुस्थान के आश्रयार्थी मुसलमानों को आर्थिक आधार पर आरक्षण का भाजप प्रस्ताव बाबा ने रखा है. रामदेव इस विषय का अध्ययन करे. देश की वर्तमान स्थिति में वीर सावरकरजी का सन्देश आज भी प्रेरक है. देश हिन्दू राजनीती की प्रतीक्षा कर रहा है.धर्मान्तरितो का दलितत्व अभी समाप्त नहीं हुवा है तो उनके शुध्दिकरण का मार्ग खुला है ! हम शुध्दिकरण करेंगे ! संघ-सभा के पूर्व नेतृत्व सावरकर विरोधी गोलवलकर का व्यक्ति वर्चस्ववाद का दुष्परिणाम अखंड हिन्दुस्थान को अनचाहे भुगतना पड़ा. इस वर्तमान कालखंड में गठबंधन की राजनीती में भाजप NDA नहीं छोड़ेगी.हिंदूवादी प्रत्याशी संयुक्त रूपसे " हिन्दू संसद " के निर्माण के लिए हिंदूवादी पक्ष-संगठन की सहाय्यता से अखंड पाकिस्तान के षड्यंत्र को रोक नहीं पाई तो हमें हमारे वीर पुरुषोंके, धर्म रक्षकोंके, धर्माचार्यो ,समाज सुधारकोंके नाम का जयकार करने का भी अधिकार नही रहेगा और उन्होंने जो निःस्वार्थ भूमिका में त्याग-बलीदान-बंदिवास-उपेक्षा झेलकर जो स्वाधीनता प्रदान की है वह निःष्फल हो जाएगी.लव जिहाद और बढती राष्ट्रद्रोही जनसँख्या-घुसपैठ त्रासदी बनी है. हमारा दायित्व है आनेवाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित अखंड हिन्दुराष्ट्र और समानता के लिए "सर्व दलीय हिन्दू संसद " बनाये !