Sunday 13 December 2015

BJP की इच्छा है कि,कमलेश तिवारी को बलि का बकरा बनाए !

कमलेश तिवारी द्वारा की गई कथित प्रेषित पर प्रमाणित / पूर्व प्रकाशित पुस्तको में मुद्रित पढ़कर सुनाई टिप्पणी केवल , "आजम खान के द्वारा संघ को समलैगिक कहे जाने के विरोध में की गई थी.!" ऐसे मे प्रश्न यह है कि, "ऐसी कोई समलैंगिकता की बात या टिप्पणी जिसका कोई लिखित प्रकाशित प्रमाण संघ कार्यकर्ताओ पर आरोप नही है !" अपने आपको हिन्दू महासभाई कहनेवाले कमलेश तिवारी ने किसके कहने से टिपण्णी कर दी ? अब यह संघ की इच्छा है कि, कमलेश तिवारी को बलि का बकरा बनाए या आजम खान के उस समलैंगिकता वाले वक्तव्य का उत्तर वह दे या ना दे.! क्योकि,कमलेश सपा-भाजप के संयुक्त षड्यंत्र का शिकार हुआ है !.

माननीय अधिवक्ता श्री हरिशंकर जैन हिन्दू महासभा के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष हुआ करते थे। महाधिवक्ता वेदप्रकाश शर्मा श्रीराम जन्मभूमि का कामकाज देखते थे उनके साथ आप भी सहाय्यक के रूप में उपस्थित हुआ करते थे ,उच्च न्यायालय ने हिन्दू महासभा की श्रीराम जन्मभूमि पर फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट की मांग का स्वीकार करते ही पहली सुनवाई पर शर्माजी को धक्का देकर पत्रकारों को गलत जानकारी देने का चित्रण वाहिनियों पर देखने को मिला इसलिए उनको २००४ हिंमस राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने राम जन्मस्थान मंदिर तथा विष्णु बाग,लखनऊ कार्यालय स्थानांतरण दस्तावेजों में पार्टी विरोधी कार्य के कारण निष्कासित किया था । उन्होंने बजरंग दल सीतापुर प्रखंड नेता कमलेश तिवारी को लखनऊ कार्यालय में चौकिदारी के बहाने भेजा था ।
२००९ उच्च न्यायालय में श्रीराम जन्मभुमी पर सन १८८५ से चल रही रामानंदीय निर्मोही आखाडे के मालिकाना अधिकार की सुनवाई और १९५० पक्षकार हिन्दू महासभा की साक्ष के पश्चात,१९४९ हिन्दू महासभा अयोध्या आंदोलन की फाईल्स जो,सन २००० में भाजपा शासनकाल में लिबरहान आयोग में साक्ष देने निकले SDO सुभाष भान साध के पास थी को तिलक ब्रिज स्थानक पर धक्का देकर मारकर गायब की गई थी इसके अभाव में, "२६ जुलाई २०१० को रामानंदीय निर्मोही आखाडे के मालिकाना अधिकार की सुनवाई डी व्ही शर्मा न्यायमुर्ती ने अनिर्णित रखी थी।
हमने मुख्यमंत्री उ प्र को PTI. द्वारा फैक्स भेजकर फाईल्स गुम होने की FIR लिखने का निवेदन कर CBI जांच की मांग की थी । तद्नुसार, मायावतीजी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपरोक्त खुलासा किया था । समाचार में यह भी प्रकट हुआ है कि,साध से फाईल्स गायब करवाने में सहयोगी रहे मित्तल को बुंदेलखंड युनिवर्सिटी का उपकुलगुरू पद का इनाम दिया गया था ।
रामानंदीय निर्मोही आखाडे के मालिकाना अधिकार १४ अगस्त १९४१ फैजाबाद नझुल में भी, "तीन गुंबद मंदिर रामकोट,प्लॉट क्र ५८३ कब्जा महंत रघुनाथ दास,पुजारी रामसकल दास,रामसुभग दास निर्मोही आखाडे " के नाम हैं । बाबर का हुकुमनामा भी निर्मोही आखाड़े को दिया था वह भी हैं ।
२६ जुलाई को मालिकाना अधिकार की सुनवाई अनिर्णित रखते ही भाजपा के इशारेपर कार्यरत हिन्दू महासभा से निष्कासित अधिवक्ता ने कमलेश तिवारी को उ प्र हिन्दू महासभा अध्यक्ष के रूप में याचिकाकर्ता बनाकर प्रस्तुत किया और इस अधिकार में, राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का विवाद जो षड्यंत्र के अंतर्गत निर्माण किए गए थे का लाभ उठाया । ३० सप्तंबर को राजनीतिक षडयंत्र का २:७७ भूमि के १/३ का निर्णय आया उस दिन मिडिया ने भी भाजप नेता अधिवक्ता रवी शंकर प्रसाद को हिन्दू महासभा अधिवक्ता के रूप में प्रस्तूत किया था। हमारे कहनेपर ही रात को अनेक चैनलों ने पट्टी बंद की थी । इस बटवारे का प्रसाद (भाजप) ने स्वागत किया !  ऐसा हिन्दू महासभा की भूमिका में दिखाया गया था । वास्तव में मिडिया भाजपा और हिन्दू महासभा को जोडकर दिखाता हैं वह अज्ञानतावश हो रहा हैं!
हिन्दू महासभा राष्ट्रीय अध्यक्ष और निर्मोही आखाडा सुप्रीम कोर्ट गएं इसलिए २:७७ एकड़ १९९१ में भाजपा ने विवादित बनाई भुमी का १/३ बटवारा रूका । यह भुमी ६७:७७ एकड हैं और उसके मालिकाना अधिकार को हडपने का भाजपा सीधा षडयंत्र कर रही है । इसके लिए अपने अपने हस्तक हिन्दू महासभा में भेजकर भाजप- विहिंप समर्थक गुट राष्ट्रीय अध्यक्ष हिंमस को विवादित बनाएं रखे हैं । कमलेश तिवारी भी इसकी एक कडी हैं ।
पलोक बसु समिती १/३ बटवारे के लिए राम जन्मभूमि न्यास द्वारा तुलसी भवन,रामघाट,अयोध्या में संचालित करती थी । हर महीने के तिसरे शनिवार को सुप्रीम कोर्ट को धता बताकर निर्णय ले रहे थे, तब न भाजप विरोध में थी न भाजप द्वारा संचालित कथित हिन्दू महासभा नेता ? हमारे उ प्र हिन्दू महासभा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं के साथ विरोध करने पहुंचते रहे। समाचारों में यह प्रकाशित हैं । महंत श्री नृत्यगोपाल दास और रामविलास वेदांती महाराज को मिलकर न्यास द्वारा चलाएं जा रहे बँटवारे के षडयंत्र का विरोध किया तो,हमारे निकलते ही पत्रकारों को निमंत्रित कर अपना भी विरोध प्रकट करने को लिखने को कहनेवाले कथित संतों पर हम कैसे श्रद्धा रखे? यह भी प्रश्न उभर आता है। श्रीराम पर अपार श्रध्दा रखनेवाले वास्तविकता से अनभिज्ञ है।
प्रश्न यह है कि,कमलेश तिवारी द्वारा दिया वक्तव्य समयोचित था ? या भाजप प्रेरित समयानुकूल था ?  क्योंकि, ६ दिसंबर को हिन्दू महासभा मंदिर विध्वंसीयों को राष्ट्रद्रोह में गिरफ्तारी और मंदिर पुनर्निर्माण संकल्प कार्यक्रम ले  रही थी।वह इस नौटंकी के कारन पूर्ण सफल नहीं हुआ।  में उलझ गए। भाजप कमलेश तिवारी को अखिल भारत हिन्दू महासभा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने के लिए कितने ही षडयंत्र करे हिन्दू महासभा निष्ठ इसे पहचान गएं हैं ! और आगे की सोचकर ही हिन्दू महासभा राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने ६ जून २००० को ६७:७७ एकड श्रीराम जन्मस्थान मंदिर परिसर १८८५ से न्यायालय में अधिपत्य के लिए लड रहे रामानंदीय निर्मोही आखाडे को लौटाने तक लडने का प्रस्ताव पारित किया हैं ! और उसका अनुमोदन राष्ट्रीय महामंत्री सतीष मदान जी ने किया हैं । जो,सभी हिन्दू महासभा की वैधानिक प्रदेश / राष्ट्रीय कार्यकारिणीयों के लिए बंधनकारक हैं।फर्जी इकाई भी इसके विपरीत नहीं चल सकती।
भाजप ने पूर्व हिन्दू महासभाई अधिवक्ता के माध्यम से कमलेश तिवारी को आगे करके हिन्दू महासभा पर कब्जे के लिए अधिक हवा देने सपा के साथ मिलकर भाजप ने रासुका लगाकर कमलेश को विवादित, चर्चित अवश्य बनाया हों उसे बलि का बकरा नहीं बनाने देंगे ! हम हिन्दू होने के नाते कमलेश के साथ खडे भी हैं और रहेंगे ! क्योंकि,हिंदुत्व के साथ विश्वासघात की राजनीति का आरंभ गुरू गोलवलकर जी के सरसंघचालक पद हडपने के साथ आरंभ हुआ !  ऐसा इतिहास हैं ।
मात्र भाजप में हिंमत है तो,३१ जुलाई १९८६ मेट्रो पॉलिटीन कोर्ट- देहली ने,"हिन्दू महासभा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्व इंद्रसेन शर्मा की मांग पर कुराण की विवादित कही गई 24 आयत निकालने का संसद में प्रस्ताव रखकर दिखाएं ! " कमलेश तिवारी भी मुक्त हो जाएगा !
श्रीराम जन्मभुमी रामानंदीय निर्मोही आखाडे को लौटाने की १९४९ तक चली ७८ परंपरा का निर्वहन करो । श्रीराम जन्मभूमि सीव्हील सूट हड़पने का षड्यंत्र बंद करो ! इसके लिए संसद में शिलान्यास करनेवाली कॉग्रेस भी सहयोग करेगी । भाजप में वह इमानदारी नहीं है,यदि होती तो,वाजपेई जी फ़ास्ट ट्रेक की सुनवाई आरम्भ होते ही छह महीने का कार्यकाल छोड़कर संसद भंग नहीं करते ! भाजप न्यायालय में पक्षकार ही नही हैं और हिन्दू महासभा के एजंडे मंदिर आंदोलन, संविधानिक समान नागरिकता की मांग के लिए अकेले सुप्रीम कोर्ट में लड रही हिन्दू महासभा तथा डॉ मुखर्जी को नेहरू के इशारे पर बली चढाने के पश्चात धारा ३७० हटाने के हिन्दू महासभा के एजेंडे पर हिन्दुओं को गुमराह कर सत्ता, पैसा ऐंठने का किया षडयंत्र नहीं करते ! राष्ट्रहित में,कमलश तिवारी को श्यामाप्रसाद मुखर्जी के जैसा बलि का बकरा बनाने का यह षड्यंत्र रोकने का हिन्दू महासभा आवाहन करती हैं ! 

जो हिन्दू महासभा का सदस्य नहीं वह विहिप वाला कमलेश को नियुक्त किया था। न्यायालय ने भी दो बार डिसमिस किया हो वह कमलेश को नियुक्त या निष्कासित कैसे करता है देखे !


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