Monday 30 May 2016

हिन्दुओ , हमें क्यों जनसँख्या बढ़ानी चाहिए ?

इस्लाम को देश की सीमाएं स्वीकार नहीं,खंडित भारत का संविधान स्वीकार नहीं। विश्व इस्लाम का बढ़ता आतंकवाद और भारतीय मूल के लड़ाकुओं का सीरिया में लड़ते रहना। जम्मू-कश्मीर ,केरल में बढ़ता इस्लामी सिकंजा। उत्तर प्रदेश में ४२% मुसलमानो के बल चल रही राजनितिक उठापठक और भाजप की १९९० से समाजवादी पार्टी से सांठगांठ को बिहार में मीम के साथ जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ सांठगांठ पर हिन्दुओ का भयग्रस्त होना और समान नागरिकता लागु करने का विरोध-विलंब कर रही भाजप की केंद्र सरकार राष्ट्रीयता में विषमता का राजनितिक लाभ उठा रही है। कांग्रेस की राह चल रही भाजप की राजनीती से हिन्दू असुरक्षित हुआ है। हिन्दुओ की शस्त्र शिक्षा से पल्ला झाड़ने का दुष्कृत्य भाजप अध्यक्ष ने किया है।
हिन्दुओ , हमें क्यों जनसँख्या बढ़ानी चाहिए ?




 ७ अगस्त १९९४ लंदन में,"विश्व इस्लामी संमेलन" संपन्न हुआ। वेटिकन की धर्मसत्ता के आधारपर इस्लाम के लिए "निजाम का खलीफा" की स्थापना और इस्लामी राष्ट्रों का एकीकरण इस प्रस्ताव पर सहमती बनी। {संदर्भ २६ अगस्त १९९४ अमर उजाला लेखक शमशाद इलाही अंसारी}

       यु.एस.न्यूज एंड वल्ड रिपोर्ट इस अमेरिकन साप्ताहिक के संपादक मोर्टीमर बी.झुकर्मेन ने २६/११ मुंबई हमले के पश्चात् जॉर्डन के अम्मान में मुस्लीम ब्रदरहूड संगठन के कट्टरवादी ७ नेताओ की बैठक सम्पन्न होने तथा पत्रकार परिषद का वृतांत प्रकाशित किया था।ब्रिटीश व अमेरिकन पत्रकारो ने उनकी भेट की और आनेवाले दिनों में उनकी क्या योजना है ? जानने का प्रयास किया था। 'उनका लक्ष केवल बॉम्ब विस्फोट तक सिमित नहीं है, उन्हें उस देश की सरकार गिराना , अस्थिरता-अराजकता पैदा करना प्रमुख लक्ष है।' झुकरमेन आगे लिखते है ,' अभी इस्त्रायल और फिलिस्तीनी युध्द्जन्य स्थिति है। कुछ वर्ष पूर्व मुस्लीम नेता फिलीस्तीन का समर्थन कर इस्त्रायल के विरुध्द आग उगलते थे।अब कहते है हमें केवल यहुदियोंसे लड़ना नहीं अपितु, दुनिया की वह सर्व भूमी स्पेन-हिन्दुस्थान समेत पुनः प्राप्त करनी है,जो कभी मुसलमानो के कब्जे में थी।' पत्रकारो ने पूछा कैसे ? ' धीरज रखिये हमारा निशाना चूंक न जाये ! हमें एकेक कदम आगे बढ़ाना है। हम उन सभी शक्तियोंसे लड़ने के लिए तयार है जो हमारे रस्ते में रोड़ा बने है !' ९/११ संदर्भ के प्रश्न को हसकर टाल दिया.परन्तु, 'बॉम्ब ब्लास्ट को सामान्य घटना कहते हुए इस्लामी बॉम्ब का  धमाका होगा तब दुनिया हमारी ताकद को पहचानेगी. ' कहा. झुकरमेन के अनुसार," २६/११ मुंबई हमले के पीछे ९/११ के ही सूत्रधार कार्यरत थे।चेहरे भले ही भिन्न होंगे परंतु, वह सभी उस शृंखला के एकेक मणी है।" मुस्लिम राष्ट्रो में चल रहे सत्ता परिवर्तन संघर्ष इस हि षड्यंत्र का अंग है।
ISIS की धमकियां और भारतीय युवको की बगदादी की सेना में रुची एक धार्मिक विषय है ! यहाँ सरकार कुछ नहीं कर सकती। मुस्लिम पर्सनल लॉ के सामने सरकार ने घुटने टेक दिए। समान नागरिकता के मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के विरोध पर उत्तर मोदी और शाही इमाम की बैठक में मिल चूका है।
  जमात ए इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी हिन्दू वर्ल्ड के पृष्ठ २४ पर स्पष्ट कहते है कि, " इस्लाम और राष्ट्रीयता कि भावना और उद्देश्य एक दुसरे के विपरीत है। जहा राष्ट्रप्रेम कि भावना जागृत होगी , वहा इस्लाम का विकास नहीं होगा। राष्ट्रीयता को नष्ट करना ही इस्लाम का उद्देश्य है।" यह हमारे राजनेताओ के समझ में नहीं आ रहा है ?

श्री इन्द्रसेन (तत्कालीन उपप्रधान हिन्दू महासभा दिल्ली) और राजकुमार ने कुरान मजीद (अनु. मौहम्मद फारुख खां, प्रकाशक मक्तबा अल हस्नात, रामपुर उ.प्र. १९६६) की कुछ निम्नलिखित आयतों का एक पोस्टर छापा जिसके कारण इन दोनों पर इण्डियन पीनल कोड की धारा १५३ए और २६५ए के अन्तर्गत (एफ.आई.आर. २३७/८३यू/एस, २३५ए, १ पीसी होजकाजी, पुलिस स्टेशन दिल्ली) में मुकदमा चलाया गया।

उपरोक्त आयतों से स्पष्ट है कि इनमें ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, कपट, लड़ाई-झगड़ा, लूटमार और हत्या करने के आदेश मिलते हैं। इन्हीं कारणों से देश व विश्व में मुस्लिमों व गैर मुस्लिमों के बीच दंगे हुआ करते हैं।
मैट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट श्री जेड़ एस. लोहाट ने ३१ जुलाई १९८६ को फैसला सुनाते हुए लिखाः ”मैंने सभी आयतों को कुरान मजीद से मिलान किया और पाया कि सभी अधिकांशतः आयतें वैसे ही उधृत की गई हैं जैसी कि कुरान में हैं। लेखकों का सुझाव मात्र है कि यदि ऐसी आयतें न हटाईं गईं तो साम्प्रदायिक दंगे रोकना मुश्किल हो जाऐगा। मैं ए.पी.पी. की इस बात से सहमत नहीं हूँ कि आयतें २,५,९,११ और २२ कुरान में नहीं है या उन्हें विकृत करके प्रस्तुत किया गया है।”
तथा उक्त दोनों महानुभावों को बरी करते हुए निर्णय दिया कि- “कुरान मजीद” की पवित्र पुस्तक के प्रति आदर रखते हुए उक्त आयतों के सूक्ष्म अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि ये आयतें बहुत हानिकारक हैं और घृणा की शिक्षा देती हैं, जिनसे एक तरफ मुसलमानों और दूसरी ओर देश के शेष समुदायों के बीच मतभेदों की पैदा होने की सम्भावना है।”
(ह. जेड. एस. लोहाट, मेट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट दिल्ली ३१.७.१९८६)
 *श्री.शंकर शरणजी के दैनिक जागरण २३ फरवरी २००३ में प्रकाशित लेख के आधारपर एक पत्रक हिंदू महासभा के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय श्री.जगदीश प्रसाद गुप्ता,खुर्शेद बाग,विष्णु नगर,लक्ष्मणपुरी (लखनौ) ने प्रकाशित किया था।
" सन १८९१ ब्रिटीश हिंदुस्थान जनगणना आयुक्त ओ.डोनेल नुसार ६२० वर्ष में हिंदू जनसंख्या विश्व से नष्ट होगी। १९०९ में कर्नल यु.एन.मुखर्जी ने १८८१ से १९०१, ३ जनगणना नुसार ४२० वर्ष में हिंदू नष्ट होंगे ऐसा भविष्य व्यक्त किया था।१९९३ में  एन.भंडारे,एल.फर्नांडीस,एम.जैन ने ३१६ वर्ष में खंडित हिंदुस्थान में हिंदू अल्पसंख्यक होंगे ऐसा भविष्य बताया गया है।१९९५ रफिक झकेरिया ने अपनी पुस्तक "द वाईडेनिंग डीवाईड" में ३६५ वर्ष में हिंदू अल्पसंख्यांक होंगे ऐसा कहा है। परंतु,कुछ मुस्लीम नेताओ के कथानानुसार १८ वर्ष में २०२१ तक हिंदू (पूर्व अछूत-दलित-सिक्ख-जैन-बुध्द भी ) अल्पसंख्यांक होंगे !

मुस्लिम मुक्त भारत ! क्यों ?



अखण्ड भारत का विभाजन अल्पसंख्या के आधारपर हुआ है।
लाहोर से प्रकाशित मुस्लिम पत्र 'लिजट' में अलीगढ विद्यालय के प्रा.कसमदीन खान का एक पत्र प्रकाशित हुवा था जिसका उल्लेख पुणे के ' मराठा ' और दिल्ली के ओर्गनायजर में २१ अगस्त १९४७ को छपा था, " हिन्दुस्थान बट जाने के पश्चात् भी शेष भारत पर भी मुसलमानों की गिध्द दृष्टी किस प्रकार लगी हुई है,लेख में छपा था चारो ओर से घिरा मुस्लिम राज्य इसलिए समय आनेपर हिन्दुस्थान को जीतना बहुत सरल होगा."
             कमरुद्दीन खा अपनी योजना को लेख में लिखते है, " इस बात से यह नग्न रूप में प्रकट है की ५ करोड़ मुसलमानों को जिन्हें पाकिस्तान बन जाने पर भी हिन्दुस्थान में रहने के लिए मजबूर किया है , उन्हें अपनी आझादी के लिए एक दूसरी लडाई लड़नी पड़ेगी और जब यह संघर्ष आरम्भ होगा ,तब यह स्पष्ट होगा की,हिन्दुस्थान के पूर्वी और पश्चिमी सीमा प्रान्त में पाकिस्तान की भौगोलिक और राजनितिक स्थिति हमारे लिए भारी हित की चीज होगी और इसमें जरा भी संदेह नहीं है की,इस उद्देश्य के लिए दुनिया भर के मुसलमानों से सहयोग प्राप्त किया जा सकता है. " उसके लिए चार उपाय है. 
१)हिन्दुओ की वर्ण व्यवस्था की कमजोरी से फायदा उठाकर ५ करोड़ अछूतों को हजम करके मुसलमानों की जनसँख्या को हिन्दुस्थान में बढ़ाना.
२)हिन्दू के प्रान्तों की राजनितिक महत्त्व के स्थानों पर मुसलमान अपनी आबादी को केन्द्रीभूत करे.उदहारण के लिए संयुक्त प्रान्त के मुसलमान पश्चिम भाग में अधिक आकर उसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र बना सकते है.बिहार के मुसलमान पुर्णिया में केन्द्रित होकर फिर पूर्वी पाकिस्तान में मिल जाये. 
३)पाकिस्तान के निकटतम संपर्क बनाये रखना और उसी के निर्देशों के अनुसार कार्य करना. 
४) अलीगढ विद्यालय जैसी मुस्लिम संस्थाए संसार भर के मुसलमानों के लिए मुस्लिम हितो का केंद्र बनाया जाये.

     १८ अक्तूबर १९४७ के दैनिक नवभारत में एक लेख छपा था, विभाजन के बाद भी पाकिस्तान सरकार और उसके एजंट भारत में प्रजातंत्र को दुर्बल बनाने तथा उसमे स्थान स्थान पर छोटे छोटे पाकिस्तान खड़े करने के लिए जो षड्यंत्र कर रहे है उसका उदहारण जूनागढ़,हैदराबाद और कश्मीर बनाये जा रहे है.          

 'हिन्दुस्थान हेरोल्ड' के अनुसार निजाम सरकार दो करोड़ रूपया लगाकर वहा के अछूतों को मुसलमान बनाने के लिए एक विशाल आन्दोलन खड़ा कर रही है हिन्दुओ को डराकर राज्य से भगाया जा रहा है.
विद्यमान परिस्थिती में जनसँख्या जिहाद,लव्ह जिहाद,भूमी जिहाद,सैन्य शिक्षा के लिए अफगानिस्तान जा रहे युवक सीरिया पहुँच रहे है।
  
 *श्री.शंकर शरणजी के दैनिक जागरण २३ फरवरी २००३ में प्रकाशित लेख के आधारपर एक पत्रक हिंदू महासभा के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय श्री.जगदीश प्रसाद गुप्ता,खुर्शेद बाग,विष्णु नगर,लक्ष्मणपुरी (लखनौ) ने प्रकाशित किया था।
" सन १८९१ ब्रिटीश हिंदुस्थान जनगणना आयुक्त ओ.डोनेल नुसार ६२० वर्ष में हिंदू जनसंख्या विश्व से नष्ट होगी। १९०९ में कर्नल यु.एन.मुखर्जी ने १८८१ से १९०१, ३ जनगणना नुसार ४२० वर्ष में हिंदू नष्ट होंगे ऐसा भविष्य व्यक्त किया था।१९९३ में  एन.भंडारे,एल.फर्नांडीस,एम.जैन ने ३१६ वर्ष में खंडित हिंदुस्थान में हिंदू अल्पसंख्यक होंगे ऐसा भविष्य बताया गया है।१९९५ रफिक झकेरिया ने अपनी पुस्तक "द वाईडेनिंग डीवाईड" में ३६५ वर्ष में हिंदू अल्पसंख्यांक होंगे ऐसा कहा है। परंतु,कुछ मुस्लीम नेताओ के कथानानुसार १८ वर्ष में २०२१ तक हिंदू (पूर्व अछूत-दलित-सिक्ख-जैन-बुध्द भी ) अल्पसंख्यांक होंगे !
संतो ने हिन्दुओं को,"हम दो हमारे दो",की परंपरा तोड़ने का उज्जैन कुंभ में संदेश दिया है।

Wednesday 4 May 2016

En route to Liberhan, Babri files got lost in officer’s mystery death


बहन मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री न होती तो ?
Hindu Mahasabha 1949 Ayodhya Files Loss,Mayawati Promise for C.B.I. Enquiry
En route to Liberhan, Babri files got lost in officer’s mystery death
  Manish Sahu

Allegations of murder and an investigation hanging fire are the key elements of the mystery behind the 23 missing files on the Ram Janmabhoomi-Babri Masjid dispute.
Appearing before the Lucknow bench of the Allahabad High Court on Tuesday, UP Chief Secretary Atul Gupta submitted a letter from the Home Secretary stating that the missing files had last been taken by Subhash Bhan Sadh, Officer on Special Duty in the Communalism Control Cell of the UP Home Department, who later died in an accident.
But several things were left unsaid. Sadh died in an “accident” on way to Delhi to appear before the Liberhan Commission probing the Babri Masjid demolition — its report was submitted on June 30, almost 17 years after the Ayodhya incident.
He boarded the Kashi-Vishwanath Express in Lucknow on April 30, 2000 since he had to appear before the Liberhan Commission the next day. Just as the train entered New Delhi’s Tilak Bridge station, he met with an “accident”.
In a petition in the Delhi High Court, his father, Bir Bhan Sadh, said his son was carrying secret files which were never found. He alleged that his son was murdered, pushed from a running train as it slowed down at Tilak Bridge station. He fell in the gap between the platform and the train. Rushed to the Ram Manohar Lohia Hospital, Sadh died the next day.
The Delhi High Court asked the Delhi Police to investigate Sadh’s death and file a report by August 22, 2000. Family advocate Randhir Jain said a report was filed and a reinvestigation directed. But the reinvestigation report was never filed, he said. In January 2002, the court asked the CID to investigate. Jain said there was again no progress.
“There were several loopholes in the police theory. They claimed that Subhash Sadh was carrying secret files but he was travelling second class. They did not record statements of co-passengers.
The accident story was based on the statement of a vendor who, from another platform, saw Subhash fall from the train.”
Jain said that Sadh was carrying contact numbers of several officials and lawyers he was supposed to meet but the police made no attempt to contact any of them. He said he got to know of the “accident” only through an anonymous phone call. The caller, who remains untraced, also told him that Sadh had been taken to RML Hospital.
Son Sunil Sadh knows nothing about the investigation.
When Principal Secretary (Home) Fateh Bahadur was asked about the investigation into Sadh’s death, he said: “The matter is before the court. Whatever we have to say, we will tell the court.”
V K Mittal, who was then Principal Secretary (Home) and is now Vice-Chancellor of Bundelkhand University, said: “When the incident took place, I was in Delhi and also visited the hospital. I was told that if he was carrying original files, the photocopies would be in our possession, and that if he was carrying photocopies, then the originals would be with us.”


  Link- http://m.financialexpress.com/news/en-route-to-liberhan-babri-files-got-lost-in-officer-s-mystery-death/487150/

Monday 2 May 2016

त्रिदंडी स्वामी के समानांतर हिन्दू महासभा का अधिवेशन असफल,संत समागम !

प्रेस नोट: -दिनांक २ मई २०१६ मुंबई कार्यालय हिन्दू महासभा
लखनऊ में हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय नेतृत्व का दावा करनेवाले दो फर्जी / समानांतर गुटों में हाथापाई हुई थी। एक गुट रामानुज संत जो विहिंप केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल सदस्य त्रिदंडी जियर स्वामी है।दूसरा कथित स्वामी चक्रपाणि दोनों २००६ दिसंबर विवाद पूर्व अखिल भारत हिन्दू महासभा राष्ट्रिय कार्यकारिणी द्वारा स्वीकृत सदस्य तक नहीं है। श्रीराम जन्मभुमी कब्जे के लिए ही हिन्दू महासभा में गुटबाजी भाजपा समर्थकों ने फैलाई है। और यह फर्जी हिन्दू महासभाई उज्जैन में हिन्दू महासभा का अधिवेशन सुमेरू पीठ के आचार्य नरेंद्रानंद महाराज श्री के आवाहन पर पैसठ संतो की सहायता से एक मई को कर चुके है। रितेश गुरु उज्जैन के आश्रम में त्रिदंडी स्वामी के समर्थक नौ दिन से डेरा डाले बैठे थे। कार्यक्रम के लिए इंदौर से आठ और उज्जैन से सात कथित हिन्दू महासभाई पधारे।जो शाम को छह बजे तक पंडाल से बाहर आ गए। श्री नरेंद्रानंद महाराज ने आगे से सहायता करने से मना कर दिया।त्रिदंडी स्वामी भी समानांतर हिन्दू महासभा का नेतृत्व करने में उत्साहित नहीं है। सतना के देवेन्द्र पाण्डे ने मंच का सञ्चालन किया।परेल-मुंबई हिन्दू महासभा अध्यक्ष श्री दिनेश भोगले को हिन्दू महासभा का संतो को परिचय करवाने के लिए मंच पर आमंत्रित किया गया परंतु,डायरी पढ़ने के कारन सात मिनट में संतो ने उन्हें उपहास कर वापस जाने को कहा। उदासीन आखाड़े के संत डॉक्टर बिंदु के साथ विवाद हुआ।रविंद्र और देवेन्द्र पांडे का झगड़ा हुआ। उपलब्ध चित्र पोस्ट कर रहे है।






 संत समागम के कारन उपस्थित संत भंडारा और लिफाफा लेने पहुंचे थे।
अखिल भारत हिन्दू महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने ७ जून २००२ को प्रस्ताव पारित कर "श्रीराम जन्मभुमी सैकड़ो वर्षो की परंपरा से अधिपती रहे श्री पंच रामानंदीय निर्मोही आखाडा को लौटाने का निर्णय लिया हैं !"
इसके प्रस्ताव के विपरीत अर्थात विहिंप के इशारे पर चलनेवाले समानांतर कब्जा करने निकले नकली हिन्दू महासभाई है !
त्रिदंडी और चक्रपाणि २००६ दिसंबर विवादपुर्व हिन्दू महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा स्विकृत आजीव सदस्य तक नहीं होने के कारण कथित स्वामी चक्रपाणि को कोर्ट दो बार बाहर कर चुका है।
श्रीराम जन्मभूमि कब्जे के लिए प्रसार माध्यमों के द्वारा हिन्दू महासभा का समानांतर राष्ट्रीय नेतृत्व स्थापित करने का भाजपा का षडयंत्र चल रहा है।मात्र हिन्दू महासभा ने इससे पहले ही २३ दिसंबर २०१५ को सुप्रीम कोर्ट के पास ज्ञापन दे दिया है।

 इसलिए भाजप समर्थक कोई पार्टी ही नहीं होने के कारन सुब्रम्हण्यम स्वामी को पक्षकार बनाकर त्रिदंडी स्वामी,स्वामी चक्रपाणि के माध्यम से देश को गुमराह किया जा रहा है।इसमें विहिंप नेता के करीबी मुंबई हिन्दू महासभा नेता त्रिदंडी का साथ दे रहे है।
राम जन्मभुमी २३ मार्च १५२८ पुर्व से श्री पंच रामानंदीय निर्मोही आखाडा की है और बाबर ने मंदिर छोड़ने के लिए दिया हुकुमनामा भी उनके पास है। १८८५ से आखाड़ा स्वामित्व की लड़ाई लड़ रहा है और २६ जुलाई २००९ को सुनवाई १९४९ अयोध्या आंदोलन हिन्दू महासभा की फ़ाइल के अभाव में रुकी है। मात्र मुख्यमंत्री मायावतीजी के चलते इसकी FIR लिखी गई और भाजप शासनकाल २००० में सुभाष भान साध की हत्या के साथ तिलक ब्रिज स्टेशन पर धक्का देकर फ़ाइल चुराए जाने के रहस्य का पता चला और इस हत्या या फ़ाइल गायब करनेवाले मित्तल को बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी का उपकुलगुरु बनाए जाने का रहस्य खुला था। भाजप श्रीराम मंदिर विध्वंस के आरोप के साथ मंदिर अधिपत्य को हथियाने के अनेक षड्यंत्र करवा चुकी है।
कृपया प्रसार माध्यम भ्रम न फैलाएं ! सुमेरु पीठ शंकराचार्य नरेंद्रानंद महाराज जो,हिन्दू महासभा के सदस्य नहीं है की अध्यक्षता में उनके शिबिर में विहिंप समर्थक संत,श्री शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती,रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य,राघवाचार्य की उपस्थिती में रामानुज श्री जियर त्रिदंडी स्वामी के समानांतर हिन्दू महासभा असफल संत अधिवेशन का विरोध हिन्दू महासभा इंदौर,उज्जैन कार्यकर्ता कपिल शर्मा,संजय झोल,महेश राठोड ने किया, त्रिदंडी समर्थक देवेन्द्र पाण्डे ,बंटी ठाकुर से झड़प हुई !